स्कूली खेलों के आयोजन की चुनौती

By: Oct 15th, 2018 12:07 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

उम्मीद है सरकार इन युवाओं को खेलों में अधिकाधिक भाग लेने के लिए उचित खेल वातावरण तैयार करेगी व स्कूली खेलों के बजट बढ़ाएगी, क्योंकि स्कूली खिलाडि़यों को सुरक्षा, उचित मात्रा में शौचालय, बिस्तर व गुणवत्तायुक्त भोजन मिलना समय की मांग  है…

हिमाचल प्रदेश के स्कूलों में पिछले दिनों प्रारंभिक एवं सीनियर सेकेंडरी स्तर की खंड, जोनल और जिला स्तरीय लड़के-लड़कियों की खेलें संपन्न हुई हैं। यदि इन खेलों की ही बात करें, तो नन्हें उदीयमान खिलाडि़यों का जोश और जज्बा देखते ही बनता है और खेलों के मैदान में यह खिलाड़ी अपना जलवा बिखेरते नजर आते हैं। कुल मिलाकर साल के इन दिनों में खेलों के मैदान में खिलाडि़यों के चेहरों पर खुशी की तरंगों को देखकर अध्यापकों और दर्शकों को गुदगुदी होती है। खुशी यह देखकर भी होती है कि इन खेलों में भाग लेने वाले खिलाड़ी गांव की मिट्टी में पले-बढ़े होते हैं और इनमें दमखम भी होता है, लेकिन जरूरत इस बात की रहती है कि हमारे स्कूलों के खेल प्रशिक्षक नियमित प्रशिक्षण द्वारा ऐसे उदीयमान खिलाडि़यों को खेलों में तकनीकी रूप से दक्ष एवं योग्य बनाएं, ताकि राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर यह बच्चे भी अपनी भागीदारी बखूबी निभा सकें।  यह भी एक सर्वविदित तथ्य है कि पिछले कुछ सालों में शारीरिक शिक्षा अध्यापकों की रिक्तियों की संख्या घटी है और कई स्कूलों के खिलाड़ी विद्यार्थी पीईटी के अभाव में खेलों में शिरकत ही नहीं कर पाते हैं, खेलों की तकनीक को समझना तो दूर की कौड़ी है।

हिमाचल प्रदेश में स्कूली स्तर पर खिलाडि़यों की पौध तैयार की जाए और उनमें से ही प्रतिभाशाली खिलाडि़यों की पहचान कर उन्हें ख्यातिप्राप्त योग्य प्रशिक्षकों की देखरेख में उभारा जाए, इसके लिए पहले से तैयार नीतियों को धरातल पर साकार रूप देने की आवश्यकता है। हिमाचल प्रदेश में जोनल एवं जिला स्तर की होने वाली खेल प्रतियोगिताओं में प्रतिवर्ष लगभग 40 हजार से ज्यादा छात्र खिलाड़ी भाग लेते हैं और इस पर डाइट मनी के रूप में लगभग 45 लाख रुपयों का खर्च आता है। अभी यह डाइट मनी 60 रुपए प्रतिदिन है, इसे 100 रुपए करने की मांग की जा रही है, लेकिन वित्त विभाग ने इस पर कुछ आपत्तियां लगाई हैं। हिमाचल सरकार ने स्कूलों को दिए जाने वाले खेल बजट को इस बार 20 लाख रुपए से बढ़ाकर 40 लाख रुपए कर दिया है, इसमें और बढ़ोतरी की दरकार है। शिक्षा विभाग द्वारा घोषित वार्षिक खेल कैलेंडर के अनुसार ब्लॉक, जोनल एवं जिला स्तरीय खेलों के आयोजन की जिम्मेदारी स्कूलों को ही सौंपी जाती है। आए हुए मेहमान खिलाडि़यों से प्रतिदिन 60 रुपए डाइट मनी वसूलने के बावजूद खेल आयोजक ग्रामीणों अथवा अतिथियों से दान देने की अपील कर खेलों के लिए रुपयों का जुगाड़ करते नजर आते हैं, कहीं-कहीं अनाज भी दान में देने की अपील करते हुए मिल जाते हैं। इस प्रकार की घटनाओं से जहां प्रतिभागी नन्हें खिलाडि़यों के रहने-ठहरने और खाने की अच्छी सुविधाओं की पोल खुलती है, तो वहीं कहीं न कहीं यह खेल महज खानापूर्ति बनकर रह जाते हैं। खेलों में भाग लेने आए नन्हें खिलाडि़यों को शौचालयों, बिस्तरों और गुणवत्तायुक्त भोजन की कमी से जूझना पड़ता है।

इन खेलों में खिलाडि़यों की सुरक्षा भी एक बड़ी चुनौती रहती है। पिछले दिनों मंडी के राजकीय वरिष्ठ माध्यमिक पाठशाला गोहर में अंडर-19 खेलों में भाग लेने आए 11वीं कक्षा के छात्र की खड्ड में डूबने से हुई मौत, एक दुखद घटना है। समस्या यह है कि साथ गए शारीरिक शिक्षा अध्यापक खेलों के आयोजन में रेफरी और कन्वीनर की भूमिका निभाएं अथवा छात्र खिलाडि़यों की निगरानी करें। खिलाड़ी छात्र-छात्राओं की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा रहा है। प्रायः छात्राओं के साथ भेजी जाने वाली अध्यापिकाएं इस जिम्मेदारी को निभाने के लिए न-नुक्कर करती दिख जाती हैं। लड़के-लड़कियां सुरक्षित माहौल में सुविधाओं के बीच खेलों में भाग लें, इसके लिए सरकार को पुख्ता इंतजामात करने की आवश्यकता है। यह सही है कि हिमाचल प्रदेश सरकार राज्य में युवा सेवाओं और खेलों को प्रोत्साहित करने के प्रति कृतसंकल्प नजर आती है, ताकि हमारे युवाओं की ऊर्जा का सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन एवं राष्ट्र निर्माण की दिशा में सकारात्मक सदुपयोग किया जा सके। हिमाचल प्रदेश सरकार द्वारा बहुउद्देश्यीय इनडोर खेल परिसरों, खेल मैदानों एवं अन्य ढांचागत सुविधाओं के निर्माण हेतु करोड़ों रुपए खर्च किए जा रहे हैं। राज्य सरकार ने देश के विभिन्न खेल संघों की अनुदान राशि में वृद्धि की है और राष्ट्रीय स्तर पर व्यक्तिगत स्पर्धाओं में बेहतरीन प्रदर्शन करने वाले खिलाडि़यों की सम्मान राशि में भी बढ़ोतरी की है। हिमाचल प्रदेश की जनसंख्या का कुल 40 फीसदी भाग युवा है। उम्मीद है सरकार इन युवाओं को खेलों तथा अन्य गतिविधियों में अधिकाधिक भाग लेने के लिए उचित खेल वातावरण तैयार करेगी और स्कूली खेलों के बजट बढ़ाएगी, क्योंकि स्कूली खिलाडि़यों को सुरक्षा, उचित मात्रा में शौचालय, साफ-सुथरे बिस्तर और गुणवत्तायुक्त स्वादिष्ट भोजन मिलना समय की मांग है, तभी वह खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन दे पाएंगे।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App