अन्न का होम करने से अन्न की प्राप्ति
सूर्य विम्वे जल हुत्वा जलस्थ हेममाप्नुयात।अत्र हुत्वाप्नुयादन्न ब्रीहीन्ब्रहिपतिर्भवेत। 33। सूर्य के मंडल में जल छोड़ने से जल में स्थित सुवर्ण की प्राप्ति होती है। अन्न का होम करने पर अन्न की प्राप्ति होती है। करीषचूर्णैर्वत्सस्य हुत्वा पशुमवाप्नुयात। प्रियंगु पायसाज्यश्च भवेद्धोमादिष्ट संततिः। 34…
-गतांक से आगे…
शतं शतं च सप्ताहं हुत्वाश्रियमवाप्नुयात।
लाजैस्तु मधुरोपेतैर्होमे कन्यामवाप्तुयात। 31।
मधुत्रय मिलाकर लाजा से सात दिन तक सौ-सौ आहुतियां देकर हवन करने पर सुंदर कन्या की प्राप्ति होती है।
अनेन विधिना कन्या वरमान्योति वाअिंछतम्।
हुत्वा रक्तोत्पलै हेम सप्ताह प्राप्नुयात्खलु। 32।
इस विधि से होम करने पर कन्या अति सुंदर और अभीष्ट प्राप्त करती है। सात दिन वर पर्यंत लाल कमल के फूलों से हवन करने पर सुवर्ण की प्राप्ति होती है।
सूर्य विम्वे जल हुत्वा जलस्थ हेममाप्नुयात।
अत्र हुत्वाप्नुयादन्न ब्रीहीन्ब्रहिपतिर्भवेत। 33।
सूर्य के मंडल में जल छोड़ने से जल में स्थित सुवर्ण की प्राप्ति होती है। अन्न का होम करने पर अन्न की प्राप्ति होती है।
करीषचूर्णैर्वत्सस्य हुत्वा पशुमवाप्नुयात।
प्रियंगु पायसाज्यश्च भवेद्धोमादिष्ट संततिः। 34।
बछड़े के गोबर से होम करने से पशुओं की प्राप्ति होती है। काकुनि की खीर व घृत के होम से अभीष्ट प्रजा की प्राप्ति होती है।
निवेद्य भास्करायान्न पायसं होमपूर्वकम।
भोजयेत्तदृतुस्नाता पुत्ररत्नमवाप्नुयात। 35।
सूर्य को होमपूर्वक पायस अत्र अर्पण करके ऋतुस्नान की हुई स्त्री को भोजन कराने से पुत्र की प्राप्ति होती है।
स प्ररोहाभिरार्द्राभिर्हुत्वा आयुष्माप्नुयात।
समिभ्दः क्षीरवृक्षस्य हुत्वाअअयुष्यमवाप्नुयात। 36।
पलास की समिधा से होम करने पर आयु की वृद्धि होती है। क्षीर वृक्षों की समिधा से हवन किया जाए तो भी आयु-वृद्धि होती है।
स प्ररोहाभिरार्द्राभि युक्ताभिर्मधुरत्रयैः।
ब्रीहीणां च शत हुत्वा हेमं चायुरवाप्नुयात। 37।
पलास समिधा के होम करने से तथा यवों के होम करने से मधुत्रय से और ब्रीहियों से सौ आहुतियों देने से सुंदर शरीर और लंबी आयु की प्राप्ति होती है।
सुवण कमलं हुत्वा शतमायुरवाप्नुयात।
दुर्वाभिः पयसा वापि मधुना सर्पिषापि वा। 38।
शतं शतं च सप्ताहमपमृत्यु व्यपोहति।
समीसमिद्भिन्नेन पयसा वा च सर्पिषा। 39।
सुवर्ण कमल के होम से पुरुष शतजीवी होता है। दूर्वा, दुग्ध, मधु (शहद) और घी से सौ-सौ आहुतियां देने पर अकाल मृत्यु का भय नहीं रहता। शमी (छोंकर) की समिधाओं से, दूध से तथा घी से हवन करने पर भी अकाल मृत्यु होने का भय नहीं रहता।
शतं शतं च सप्ताहमपमृत्यु व्यपोहति।
क्षीराहारो जपेन्मृत्योः सप्ताहद्विजयी भवेतध। 41।
तीन रात्रि बिना कुछ खाए मंत्र जप करने पर मृत्यु के भय से भी मुक्त हो जाता है। जल में निमग्न होकर गायत्री जप करने से तत्क्षण ही मृत्यु से विमुक्ति हो जाती है।
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