एक रेणुकाजी मेला ,कमियां हजार

By: Nov 24th, 2018 12:05 am

संगड़ाह—अंतरराष्ट्रीय मेला रेणुकाजी के विधिवत समापन के बाद भी मेला मैदान में अगले दो-तीन दिनों तक खरीद-फरोख्त का दौर जारी रहेगा। छह दिन तक चले इस मेले के दौरान भले ही जिला प्रशासन, भाजपा नेताओं अथवा विकास बोर्ड द्वारा बार-बार बेहतरीन आयोजन के दावे किए गए, मगर इस दौरान कई बार अव्यवस्था के आलम के चलते मेलार्थियों व व्यापारियों को परेशानी झेलनी पड़ी। मेले में शुरुआती दो दिनों में जहां रेणुकाजी से संगड़ाह, नाहन तथा पांवटा साहिब की ओर निकलने वाली तीनों सड़कों पर लंबा जाम रहा, वहीं रेणु मंच अथवा मेला मैदान में पुलिस कर्मियों की संख्या भी बहुत कम दिखी। वर्ष 2012 से बतौर अंतरराष्ट्रीय उत्सव मनाए जा रहे इस मेले में विभाग के अनुसार मात्र 370 के करीब पुलिस व होमगार्ड के जवान तैनात किए गए थे। प्रदेश के अन्य मेलों की बात करें तो अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरा में जहां सुरक्षा कर्मियों की संख्या दो हजार के करीब रहती है, वहीं राज्य स्तरीय शूलिनी मेला में भी सुरक्षा बलों की संख्या रेणुकाजी से कहीं अधिक रहती है तथा चार से पांच जीओ अथवा डीएसपी स्तर के अधिकारी तैनात रहते हैं। सिरमौर के इस प्रमुख मेले की सांस्कृतिक संध्याओं में कलाकार अन्य अंतरराष्ट्रीय मेलों के स्तर के नहीं रहते तथा सस्ते कलाकारों से काम चलाए जाने की कोशिश रहती है। मेलार्थियों की सुविधा के लिए परिवहन निगम द्वारा लगाई जाने वाली अतिरिक्त बसों की संख्या भी साल दर साल घटती जा रही है, जिसके चलते बसों व अन्य वाहनों में भारी ओवरलोडिंग के बावजूद मां रेणुका व भगवान परशुराम में आस्था रखने वाले श्रद्धालुओं को जान जोखिम में डालकर मेले में जाते देखा जाता है। डेढ़ दशक पहले तक मेले के लिए प्रशासन अथवा एचआरटीसी द्वारा अन्य डिपो से दो दर्जन के करीब बसें मंगवाई जाती थी जिनकी संख्या घटकर दो तक आ गई है। परिवहन निगम के संबंधित अधिकारियों के अनुसार इस बार शिमला डिपो से मंगवाई गई दो अतिरिक्त बसों के अलावा नाहन डिपो की 22 बसें रेणुकाजी से होकर चल रही हैं। मेले में बेहतर सुरक्षा व्यवस्था के दावों के बावजूद सहारनपुर से आए व्यापारी व उसके पिता से मारपीट किए जाने तथा तथा उसकी लाखों की कमाई लूटने की वारदात ने कानून व्यवस्था की पोल खोलकर रख दी। मेला व्यापारियों को प्लाट बेचकर हालांकि बोर्ड अथवा प्रशासन हर साल 50 लाख के करीब राजस्व प्राप्त करता है, मगर सहारनपुर के व्यापारी से हुई मारपीट ने दुकानदारों की सुरक्षा पर सवालिया निशान खड़े कर दिए। जिला प्रशासन, विकास बोर्ड पदाधिकारियों तथा क्षेत्र के भाजपा नेताओं के अनुसार इस बार पूर्व प्रदेश सरकार के कार्यकाल की अपेक्षा बेहतरीन ढंग से मेले का आयोजन किया गया। मेले मंे दिखने वाली अव्यवस्था का असर यहां हर साल आने वाले मेलार्थियों की संख्या पर भी पड़ रहा है। मेला व्यापारियों के अनुसार पिछले करीब डेढ़ दशक से यहां हिमाचल के अन्य प्रमुख मेलों की तुलना में ग्राहकों अथवा लोगों की तादात लगातार घट रही है जिसके चलते कारोबार मंदा है।

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