कुंडलपुर जैन तीर्थ

By: Nov 10th, 2018 12:08 am

यह प्रतिमा बड़े बाबा जी के नाम से प्रसिद्ध है। प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में है और 15 फुट ऊंची है। कुंडलपुर का अतिशय बहुत निराला और प्राचीन है, श्रीधर केवली की निर्वाण भूमि होना, यह अवगत कराती है कि ईसा से छह शताब्दियों पूर्व भगवान महावीर स्वामी का समवसरण यहां पर आया था। एक शिलालेख के अनुसार विक्रमी संवत् 1757 में यह मंदिर फिर से भट्टारक सुरेंद्रकीर्ति द्वारा खोजा गया था…

कुंडलपुर भारत में जैन धर्म का ऐतिहासिक तीर्थ स्थल है। यह मध्य प्रदेश में दमोह जिले से 35 किमी. की दूरी पर कुंडलगिरी में स्थित है। कुंडलपुर में 63 जैन मंदिर हैं। उन में से 22वां मंदिर काफी प्रसिद्ध है। इसी मंदिर में बड़े बाबा की विशाल प्रतिमा है। यह प्रतिमा बड़े बाबा जी के नाम से प्रसिद्ध है। प्रतिमा पद्मासन मुद्रा में है और 15 फुट ऊंची है। कुंडलपुर का अतिशय बहुत निराला और प्राचीन है, श्रीधर केवली की निर्वाण भूमि होना, यह अवगत कराती है कि ईसा से छह शताब्दियों पूर्व भगवान महावीर स्वामी का समवसरण यहां पर आया था। एक शिलालेख के अनुसार विक्रमी संवत् 1757 में यह मंदिर फिर से भट्टारक सुरेंद्रकीर्ति द्वारा खोजा गया था। तब यह मंदिर जीर्णशीर्ण हालत में था।  बुंदेलखंड के शासक छत्रसाल की मदद से मंदिर का पुनः निर्माण कराया गया था। आचार्य विद्यासागर इस क्षेत्र के जीर्णोद्धार के मुख्य प्रेरणा स्रोत माने जाते हैं।

ये कथा भी प्रचलित है- बताते हैं कि एक बार पटेरा गांव में एक व्यापारी बंजी करता था। वह प्रतिदिन सामान बेचने के लिए पहाड़ी के दूसरी ओर जाता था, जहां रास्ते में उसे प्रतिदिन एक पत्थर से ठोकर लगती थी। एक दिन उसने मन बनाया कि वह पत्थर को वहां से हटा देगा, लेकिन उसी रात उसे स्वप्र आया कि वह पत्थर नहीं, तीर्थंकर मूर्ति है। स्वप्न में उससे मूर्ति की प्रतिष्ठा कराने के लिए कहा गया, लेकिन शर्त यह थी कि वह पीछे मुड़कर नहीं देखेगा। उसने दूसरे दिन वैसा ही किया, बैलगाड़ी पर मूर्ति सरलता से आ गई। जैसे ही आगे बढ़ा उसे संगीत और वाद्यध्वनियां सुनाई दीं। जिस पर उत्साहित होकर उसने पीछे मुड़कर देख लिया और मूर्ति वहीं स्थापित हो गई।

यहां की सबसे बड़ी घटना तो वह थी, जब मूर्ति पूजा विरोधी औरंगजेब अपनी बड़ी भारी सेना लेकर पहाड़ पर चढ़ आया और उसने बड़े बाबा की प्रतिमा को खंडित करने का असफल प्रयास किया, जैसे ही उसने प्रतिमा के दाहिने पैर के अंगूठे पर तलवार का वार किया,  अंगूठे से दूध की धारा निकल पड़ी। इस पर सेना पीछे हट गई, लेकिन दोबारा वे आगे मूर्ति तोड़ने के लिए बढ़े, तो मधुमक्खियों ने उन पर हमला कर दिया। जिससे उन्हें जान बचाकर वहां से भागना पड़ा। बड़े बाबा के दाहिने पैर के अंगूठे का निशान और मधुमक्खियों के शांत और व्यवस्थित छत्ते इसी बात का प्रमाण है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App