चोर शिष्य
एक शाम जेन गुरु कोजुन सूत्रों का पाठ कर रहे थे कि हाथ में नंगी तलवार लहराते हुए एक चोर घुस आया। चोर ने जान की सलामती के बाद कुछ पैसे मांगे।
मुझे परेशान करने की कोई जरूरत नहीं, पैसे अलमारी में रखे हैं, ले लो। कह कर कोजुन फिर पाठ करने लगे।
थोड़ी देर रुक कर उन्होंने फिर कहा,सारे मत ले जाना, मुझे कल किसी की उधारी चुकानी है। चोर अधिकांश पैसे बटोर कर सरकने लगा, तो कोजुन फिर बोले, जब कोई तुम्हें कुछ दे, तो उसका शक्रिया भी अदा किया करो।
चोर ने शुक्रिया कहा और वहां से निकल लिया। थोड़े दिनों बाद ये चोर पुलिस के हत्थे चढ़ गया। दूसरी चोरियों के साथ उसने कोजुन के यहां की गई चोरी भी कबूल कर ली। कोजुन को गवाही पर बुलाया गया, तो उन्होंने कहा, मेरे मामले में यह चोर नहीं है।
मैंने तो खुद इसको पैसे दिए थे और बदले में इसने मुझे शुक्रिया भी कहा था। सजा पूरी होते ही चोर सीधा कोजुन के पास आया और उनका शिष्य बन गया।
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