दिवाली को ईको फें्रडली बनाएं
अदित कंसल
सोलन
दिवाली रोशनी का उत्सव है। दिवाली का त्योहार उल्लास, प्रफुल्लता के साथ-साथ उस राम राज्य की स्थापना की प्रतिबद्धता का स्मरण दिलाता है, जिसमें सब प्रसन्न, स्वस्थ व संपन्न होंगे। दिवाली के अवसर पर आतिशबाजी व पटाखों के प्रयोग से वायु प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण बढ़ता है। आज के युग में मानव स्वच्छ हवा के लिए संघर्ष कर रहा है। माननीय उच्च न्यायालय ने पूरे देश में दिवाली पर सिर्फ दो घंटे पटाखे चलाने का आदेश दिया है, जो सराहनीय है। यदि हम पटाखों पर अंकुश लगा लें, तो एक ओर जहां वायु व ध्वनि प्रदूषण पर रोक लगेगी, वहीं दूसरी ओर आगजनी की घटनाओं से निजात मिल सकेगी। इस समय देश व प्रदेश में स्वच्छता अभियान चरम पर है। हम सबको एकजुट होकर पटाखों का त्याग करना चाहिए, स्वच्छता अपनाएं, स्वच्छता बांटें। राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को चाहिए कि स्वच्छ व सुरक्षित दिवाली मनाने के लिए एडवाइजरी जारी करें। अध्यापकों व स्कूल प्रबंधन समिति को विद्यालयों सहित उनके अभिभावकों को पर्यावरण मैत्री दिवाली मनाने के लिए प्रेरित करना चाहिए। महिला मंडल व सामाजिक संस्थाओं को भी स्वच्छता के इस यज्ञ में अपनी ओर से आहुति डालनी चाहिए। इस ईको फें्रडली दिवाली से ही प्रदेश सरकार के प्रदूषित हवा से लड़ने के प्रयास को बल मिलेगा। आइए इस बार मिलकर ईको फें्रडली दिवाली मनाएं तथा बाहरी रोशनी फैलाने के साथ-साथ अपने अंतःकरण को भी प्रकाशित कर प्रदूषण को हराएं।
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