पालकवाहके दीयों  से जगमगाएंगा ऊना

By: Nov 2nd, 2018 12:10 am

हरोली—दीपों के पर्व दीपावली को लेकर जहां शहरों में बाजार सजने-संवरने लगे हैं वहीं ग्रामीण स्तर पर कुम्हार वर्ग ने मिट्टी के दीये बनाना भी शुरू कर दिए हैं। हरोली क्षेत्र के गांव पालकवाह में कई परिवार इस व्यवसाय से जुड़े हैं और दीये बनाने के साथ-साथ मिट्टी के कई बरतन भी बनाते हैं। सबसे ज्यादा डिमांड दीपावली में इस्तेमाल होने वाले दीयों की रहती है। पालकवाह गांव के विक्रम उर्फ विक्की हर साल इस पर्व पर लाखों दीये तैयार करके बेचते हैं। इस वर्ष अभी तक उन्होंने करीब डेढ़ लाख दीये दुकानदारों को बेच दिए हैं, जबकि 70 हजार दीये बनाने का आर्डर अभी पेडिंग है। एक दिन में चार से पांच हजार दीये तैयार किए जाते हैं। विक्की बतातें हैं कि उनके बुजुर्ग भी पहले मिट्टी के दीये व बरतन बनाने का कार्य करते थे। अपने पारिवारिक व्यवसाय को जीवित रखने के लिए वे हर साल मिट्टी के दीये व बरतन तैयार करते हैं। उन्होंने बताया कि उनके पिता बिजली बोर्ड में सरकारी नौकरी करते हैं, लेकिन फिर भी बुजुर्गों द्वारा शुरू किए गए कार्य को आगे चलाए रखना चाहते हैं और ड्यूटी के बाद घर आकर दीये बनाने का काम करते हैं। उन्होंने कहा कि समय के साथ-साथ काम करने के तरीके में भी बदलाव आया है, पुराने समय में जहां मिट्टी से दीये व बरतन तैयार करने में ज्यादा मेहनत करनी पड़ती थी और इसमें समय भी ज्यादा लगता था। अब बदलते ट्रेंड में बिजली की मोटर से दीये तैयार किए जाते हैं, जिससे काम में तेजी आई है। चिकनी व लाल मिट्टी के दीये बनाने के बाद धूप में सुखाकर इन्हें आग में तपाकर पक्का किया जाता है ताकि लोगों को गुणवत्तायुक्त दीये उपलब्ध करवाए जाएं। विक्की ने बताया कि दुकानदार उनसे दीये खरीदते हैं तो वहीं कई लोग उनके घर से आकर दीये व मिट्टी से तैयार किए गए अन्य बर्तन भी खरीदते हैं। वहीं कभी-कभार वे स्वयं घर-घर जाकर दीये बेचते हैं।


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