महिला कबड्डी में विवि स्तर पर स्वर्ण

By: Nov 30th, 2018 12:07 am

भूपिंदर सिंह

लेखक, राष्ट्रीय एथलेटिक प्रशिक्षक हैं

राज्य में कई प्रशिक्षक, शारीरिक शिक्षक व पूर्व खिलाड़ी कई जगह प्रशिक्षण कार्य ईमानदारी से कर रहे हैं। जब उनके ट्रेनी विजेता प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें भी समारोह में सम्मानित करें। उनका जुनून व जज्बा भी बना रहेगा और एक स्वस्थ परंपरा भी शुरू हो जाएगी…

हिमाचल प्रदेश में रहकर अपना प्रशिक्षण कार्यक्रम पूरा कर पुरुष व महिला कबड्डी के खिलाडि़यों ने एशियाई खेलों से लेकर विश्व प्रतियोगिता तक का सफर तय किया है। आज जो राज्य में कबड्डी का स्तर दिखाई दे रहा है उसमें कई प्रशिक्षकों, शारीरिक शिक्षकों, प्रबंधकों व प्रशासन का पूरा-पूरा हाथ रहा है। राज्य में कबड्डी के प्रबंधन व प्रशासन के लिए पूर्व मंत्री व अब नयना देवी के विधायक ठाकुर रामलाल व उनके भाई प्रशिक्षक नंद लाल के प्रयत्नों को याद किए बिना राज्य कबड्डी का इतिहास अधूरा ही रहेगा। राज्य में कबड्डी के विस्तार व प्रसार के लिए ठाकुर भाइयों का योगदान नींव का पत्थर रहा है। प्रशिक्षण कार्यक्रम में पूर्व साई प्रशिक्षक दयाराम चौधरी ने जब अपना केंद्र सुंदरनगर में शुरू कर दिया था, तब राज्य में कबड्डी का कोई भी खेल छात्रावास नहीं था। उस समय की उम्दा कबड्डी खिलाड़ी पुष्पा के नेतृत्व में इस सदी के शुरुआती साल में जयपुर में आयोजित हुई राष्ट्रीय महिला खेलों की कबड्डी प्रतियोगिता में हिमाचल की टीम ने पहली बार राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक की जीत का स्वाद चखा था। उसके बाद धर्मशाला का साई खेल छात्रावास बना। प्रशिक्षक मेहर सिंह वर्मा ने बहुत काबिलेतारीफ प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाया और फिर उसी की उपज में पूजा ठाकुर व कविता ठाकुर एशियाई कबड्डी स्वर्ण पदक विजेता टीम की सदस्या बनी।

धर्मशाला खेल छात्रावास के बाद बिलासपुर में राज्य खेल छात्रावास शुरू हुआ। पहले स्वर्गीय दौलत ठाकुर ने यहां खिलाडि़यों को तराशा, फिर बाद में राज्य खेल विभाग के प्रशिक्षक रतन ठाकुर ने यहां पर काफी अच्छा प्रशिक्षण कार्य किया है। राज्य खेल छात्रावास बिलासपुर की प्रियंका नेगी व रितु नेगी इस वर्ष जकार्ता में हुई एशियाई खेलों की कबड्डी प्रतियोगिता में रजत पदक विजेता भारतीय टीम की सदस्य रही हैं। सिरमौर की यह लड़कियां स्वर्गीय ठाकुर हीरा सिंह की खोज हैं। यह शारीरिक शिक्षक खेल का दीवाना था। जकार्ता एशियाई खेलों में धर्मशाला खेल छात्रावास की कविता ठाकुर भी भारतीय टीम की सदस्य रही है। पुरुष वर्ग में अजय ठाकुर व प्रियंका नेगी विश्वकप के स्वर्ण पदक विजेता टीमों के सदस्य रहे हैं। अजय ठाकुर जो आज देश का सबसे बेहतरीन खिलाड़ी है, 2014 एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक विजेता टीम का सदस्य तथा इस वर्ष के एशियाई खेलों में रजत पदक विजेता टीम का कप्तान रहा है। राष्ट्रीय स्तर पर हिमाचल की महिला कबड्डी टीम विजेता ट्रॉफी चूम चुकी है। स्कूली स्तर पर भी हिमाचल कई वर्षों से राष्ट्रीय स्कूली खेलों में अपनी धाक जमा रहा है। अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय महिला कबड्डी प्रतियोगिता में पिछले दो वषर्ोें से हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय उपविजेता ट्रॉफी जीत रहा था। इस वर्ष राजकीय महाविद्यालय संजोली में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला द्वारा आयोजित अखिल भारतीय अंतर विश्वविद्यालय कबड्डी प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिमला ने पहली बार कुरुक्षेत्र विश्वविद्यालय को 20 के मुकाबले 49 अंकों से धूल चटाकर विजेता ट्रॉफी हासिल की है। इस प्रतियोगिता में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय की टीम में प्रशिक्षक मेहर चंद वर्मा की चार, राज्य प्रशिक्षक रतन ठाकुर की तीन व दयाराम चौधरी की एक खिलाड़ी ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए टीम को जीत तक पहुंचाया है। इस टीम में धर्मशाला की सारिका, ज्योति, पुष्पा व गोपी, बिलासपुर की निधि शर्मा, सुषमा व शिल्पा, सुंदरनगर की भावना, जुखाला की वंदना, सीमा (रोहड़ू) की प्रीति, आरकेएमवी की प्रियंका व ऊना की पूजा ने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व किया। धर्मशाला की सारिका ने इस स्वर्ण पदक विजेता टीम का सफलतापूर्वक नेतृत्व किया। धर्मशाला की ज्योति ने बेहतरीन प्रदर्शन करते हुए इस प्रतियोगिता का आलराउंड बेस्ट का खिताब अपने नाम कर लिया। पुष्पा सर्वश्रेष्ठ डिफेंडर रही, जबकि कनिष्ठ एशियाई कबड्डी प्रतियोगिता में भारतीय रजत पदक विजेता टीम की सदस्य बिलासपुर की निधि शर्मा को सर्वश्रेष्ठ रेडर का खिताब मिला। सुंदरनगर की भावना ने भी आल राउंडर के रूप में उम्दा प्रदर्शन करते हुए टीम को एकतरफा जिताते हुए आगे बढ़ाया है। इस विजेता टीम के संयोजक एवं प्रतियोगिता के प्रशिक्षक प्रो. गोपाल रहे, जो स्वयं अच्छे कबड्डी खिलाड़ी रहे हैं।

हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय व राज्य स्कूली क्रीड़ा परिषद को चाहिए कि राज्य में कार्य कर रहे प्रशिक्षकों व शारीरिक शिक्षकों से तालमेल बिठाकर राज्य में खेलों को सम्मानजनक स्तर तक ले जाने में सहायता करें। राज्य में कई प्रशिक्षक, शारीरिक शिक्षक व पूर्व खिलाड़ी कई जगह प्रशिक्षण कार्य ईमानदारी से कर रहे हैं। जब उनके ट्रेनी विजेता प्रदर्शन करते हैं, तो उन्हें भी समारोह में सम्मानित करें। उनका जुनून व जज्बा भी बना रहेगा और एक स्वस्थ परंपरा भी शुरू हो जाएगी। हिमाचल प्रदेश खेलों में अभी बहुत पिछड़ा हुआ है और खेलें किसी भी राज्य की तरक्की व खुशहाली का सम्मानजनक पैमाना होती हैं। खिलाडि़यों, उनके प्रशिक्षकों व विश्वविद्यालय प्रशासन को इस पहली टीम स्पर्धा की विजेता ट्रॉफी की बहुत-बहुत बधाई तथा खिलाडि़यों को खेलो इंडिया में उम्दा प्रदर्शन कर वजीफा जीतने के लिए शुभकामनाएं।

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