माध्यमिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों के पद भरने की उठाई मांग
भोरंज —आज जहां स्कूली शिक्षा में शारीरिक शिक्षा का महत्त्व इतना बढ़ गया है कि आज निजी स्कूलों भी इसके महत्त्व को समझ कर खेलों में आगे आ रहे हैं। वहीं प्रदेश में शारीरिक शिक्षा को दरकिनार किया जा रहा है। मात्र बहुत ही कम पद निकालकर सरकारी स्कूलों में शारीरिक शिक्षा के प्रति प्रदेश सरकार का रुख स्पष्ट हो रहा है। हालांकि शिक्षा में शारीरिक शिक्षा को शिक्षा का अभिन्न अंग बताया गया है। शारीरिक शिक्षा से ही बच्चों का शारीरिक, मानसिक और बौद्धिक विकास संभव है। ऐसे में प्रदेश के स्कूलों में खिलाडि़यों की नर्सरी कैसे तैयार होगी। खेलों में मिल रही सुविधा के चलते आज प्रदेश से कई राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी बने हैं। मगर आज स्कूलों में सुविधाएं और खेल उपकरण तो है लेकिन शारीरिक शिक्षक नहीं हैं, जिसका फायदा निजी स्कूल उठा रहे हैं। पूर्व अंतरराष्ट्रीय बालीबाल कोच विद्यासागर शर्मा ने बताया कि प्राथमिक स्तर से शारीरिक शिक्षा की व्यवस्था होनी चाहिए, जिससे खिलाडि़यों की नर्सरी तैयार हो सके। आज चीन, इंग्लैंड, अमेरिका इत्यादि देशों में प्राथमिक स्तर से ही शारीरिक शिक्षा शुरू हो जाती है। जिससे ये लोग अंतर्राष्ट्रीय स्पर्धाओं में अधिक पदक जीतते हैं। हमारे देश में प्रतिभा की कमी नहीं है। सेवानिवृत्त डीपी जगदेव ठाकुर का कहना है कि पहले सुविधाओं का अभाव था और खिलाडि़यों को पकड़-पकड़ कर लाना पड़ता था। अब सुविधाएं भी हैं और खिलाड़ी भी, परंतु शारीरिक शिक्षकों की कमी है। लोगों में कश्मीर सिंह, शशिपाल, राजेश शर्मा, अनिल ठाकुर, परुषोत्तम लाल, राजकुमार, विनोद कुमार, संजीव, सुरेंद्र, पवन, प्रदीप पठानिया, सतीश शर्मा, विनय कौशल, हेमराज, अशोक कुमार, संजय, राजीव, यशपाल, सुनील, सुनीता, संजय, दलीप, प्रेम सिंह, कृष्ण, भूप सिंह, कश्मीर सिंह, लकी, सुमन कुमारी इत्यादि ने मुख्यमंत्री वीरभद्र से माध्यमिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों के पद भरने और 20 बच्चों से ऊपर प्राथमिक स्कूलों में शारीरिक शिक्षकों के पद सृजन करने की मांग की है।
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