सुकेत रियासत का प्रबंध भारतीय सेना ने संभाला

By: Nov 11th, 2018 12:05 am

चीफ कमिश्नर और धर्मशाला (कांगड़ा) के डिप्टी कमिश्नर सेना की एक टुकड़ी सहित सुकेत को अधिकारगत करने के लिए सुंदरनगर पहुंच रहे हैं। उधर, पंडित पद्मदेव, शिवानंद रमौल, डा. देवेंद्र सिंह, स्वामी पूर्णानंद, सदाराम चंदेल, रतन सिंह आदि सत्याग्रही समूह के साथ 25 फरवरी, 1948 को सुकेत की राजधानी ‘सुंदरनगर’ पहुंच गए...

गतांक से आगे …

  हिमाचल प्रदेश के गठन का प्रस्ताव:

रियासत के भीतर भी असंतोष उठ खड़ा हुआ। इस बीच इस सत्याग्रह की सूचना राज्य मंत्रालय को लगी और वहां से आदेश आया कि सत्याग्रही जहां भी हो उन्हें रोक दिया जाए।

राजा को सूचित कर दिया गया था कि वह सत्याग्रहियों से कोई टक्कर न ले साथ ही साथ यह सूचना भी मिली कि जालंधर के चीफ कमिश्नर और धर्मशाला (कांगड़ा) के डिप्टी कमिश्नर सेना की एक टुकड़ी सहित सुकेत को अधिकारगत करने के लिए सुंदरनगर पहुंच रहे हैं। उधर, पंडित पद्मदेव, शिवानंद रमौल, डा. देवेंद्र सिंह, स्वामी पूर्णानंद, सदाराम चंदेल, रतन सिंह आदि सत्याग्रही समूह के साथ 25 फरवरी, 1948 को सुकेत की राजधानी ‘सुंदरनगर’ पहुंच गए। रियासत की टुकड़ी ने हथियार डाल दिए और राजा लक्ष्मण सेन सीधे दिल्ली चले गए।

सत्याग्रहियों ने रियासत पर अधिकार कर लिया। दूसरे दिन केंद्र सरकार की ओर से जालंधर के चीफ कमिश्नर लेफ्टिनेंट जनरल नगेश दत्त तथा धर्मशाला से कांगड़ा के डिप्टी कमिश्नर कन्हैया लाल फौजी टुकड़ी के साथ सुंदरनगर पहुंचे। चीफ कमिश्नर नगेश दत्त ने सुकेत रियासत पर भारत सरकार के अधिकार की घोषण कर दी। इस प्रकार से सुकेत रियासत का प्रबंध भारतीय सेना ने संभाला।

इस घटना को अंग्रेजी के समाचार पत्र ‘दि ट्रिब्यून’ ने ‘सेवन डेज दैट शुक दि वर्ल्ड’ शीर्षक से प्रकाशित किया। इसका उल्लेख ट्रिब्यून के संपादकीय में ‘वे सात दिन जिन्होंने हिमालय को झकझोर दिया’ शीर्षक से प्रकाशित हुआ।

जब ये गतिविधियां चल रही थीं तो राजा दुर्गा सिंह (बघाट) की अध्यक्षता में बनी ‘नैगोशियेटिंग कमेटी’ के सदस्य भागमल सौहटा ने पहली मार्च, 1948 को सरदार वल्लभ भाई पटले को एक ज्ञापन दिया, जिसमें लिखा था ‘हम पहाड़ी रियासतों के प्रतिनिधियों को ज्ञात हुआ कि राज्य मंत्रालय ने इन रियासतों में संवैधानिक परिवर्तन लाने के उद्देश्य से इन राजाओं की एक बैठक दो मार्च, 1948 को दिल्ली में बुलाई है। हम समझते हैं  और विश्वास करते हैं कि इस परिवर्तन से न केवल राजाओं का ही संबंध है अपितु लोगों के अधिकारों से प्रभावित होने की बात है। हम अपने कर्त्तव्य से चूकेंगे यदि हम पहाड़ी लोगों की भावनाएं मंत्रालय के सम्मुख न रखें। इसलिए राज्य मंत्रालय के सामने प्रजा के विचार रखने की अनुमति चाहते हैं।’


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App