By: Nov 12th, 2018 12:20 am

मातृत्व योजना की सबसे अहम परियोजना सिरे नहीं चढ़ा पाई प्रदेश सरकार 

 शिमला  —मातृत्व योजना के सबसे अहम प्रोजेक्ट को हिमाचल अभी तक सिरे ही नहीं चढ़ा पाया है। आठ वर्ष से टेस्ट ट्यूब बेबी प्रोजेक्ट को अमलीजामा पहनाने का सपना देख रहे प्रदेश से अब यह प्रोजेक्ट ही गायब हो गया है। हालांकि वर्ष 2016 में बेल्जियम से प्रदेश को यह ऑफर दिया गया था कि वह प्रदेश से किसी एक विशेषज्ञ को ट्रेनिंग के लिए विदेश भेज सकता है, जिसके बाद कमला नेहरू अस्पताल से एक डाक्टर ने प्रदेश सरकार से बेल्जियम जाने के लिए अनुमति भी मांगी थी, लेकिन पूर्व कांग्रेस सरकार ने उस डाक्टर को एनओसी ही नहीं दी। इसके बाद इस योजना का का प्रस्ताव ही तैयार नहीं हो पाया और यह प्रोजेक्ट फाइलों में गायब होकर रह गया। हालांकि अभी कमला नेहरू अस्पताल में महिलाओं की गोद भरने के लिए आईयूआई तकनीक से काम हो रहा है, लेकिन अन्य कारणों के कारण जिन दंपति के बच्चे नहीं हो रहे, उन्हें टेस्ट ट्यूब बेबी के लिए प्रदेश से बाहर का रुख करना पड़ रहा है।  गौर हो कि आठ वर्ष पहले इस योजना का एक खाका तैयार किया गया था। इस प्रोजेक्ट पर सरकार व विभागीय स्तर पर कई बैठकें भी हुईं, लेकिन इस संबंध कोई अहम फैसला नहीं हो पाया और यह प्रोजेक्ट कहीं खोकर रह गया।

क्या है टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक

जिन दंपति की औलाद नहीं होती, उन्हें टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक से बच्चा पैदा करने की सलाह डाक्टरों द्वारा दी जाती है। यह काफी एडवांस तकनीक होती है, जिसमें महिला के अंडे और पुरुष के शुक्राणू को टेस्ट ट्यूब में प्रिजर्व किया जाता है। दोनों के मिलने के बाद इसे कुछ समय बाद महिला के गर्भ में डाला जाता है। इस प्रोजेक्ट को शुरू करने के लिए एक लैब और विशेषज्ञों को ट्रेनिंग करवाना जरूरी रहता है।

हर वर्ष आते हैं 500 दंपति

हर वर्ष प्रदेश के अस्पतालों में करीब 500 ऐसे लोग पहुंच रहे हैं, जिनकी कई वर्षों से गोद नहीं भरती है। इसमें अधिकतर दंपति को तो केएनएच रैफर कर दिया जाता है, लेकिन इनमें भी कई केस ऐसे होते हैं, जिन्हें टेस्ट ट्यूब बेबी तकनीक की आवश्यक्ता रहती है। इसमें उच्च वर्ग तो प्रदेश से बाहर चला जाता है, लेकिन निर्धन तबके को मुश्किल होती है।


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