आत्मा के अस्तित्व का प्रमाणभूत

By: Dec 15th, 2018 12:05 am

टेलीफोन की घंटी बजी, वकील साहब ने उसे उठाकर कान से लगाया और कहा-हलो, हलो, कौन बोल रहा है? पर उधर से कुछ आवाज न आई, चोंगा नीचे रख दिया। लेकिन अभी वे उठने को ही थे कि घंटी फिर टनटनाई, फिर रिसीवर उठाकर कान से लगाया, तो कोई भद्दी गाली बकने लगा…

 -गतांक से आगे…

फिर भी ऐसी घटनाएं वहां आए दिन होती ही रहती हैं। राष्ट्रपति एडम्स की पत्नी को वहां कपड़े सुखाते देखा गया, लिंकन को जूतों के फीते खोलते देखा गया। क्वीवलैंड की श्रीमती को हंसते और चिल्लाते सुना गया। इस अतींद्रिय अस्तित्व और अनुभूति का कारण क्या हो सकता है? यह शोध व अध्ययन का लंबा विषय है, पर इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि मनुष्य का मृत्यु के बाद भी अस्तित्व बना रहता है। भारतीय दर्शन की इस मान्यता को निराधार कहने वालों को पहले अमरीकी राष्ट्रपतियों, उनकी पत्नियों और सहकर्मियों को अन-उत्तरदायी और झूठा कहना होगा, पर यदि उनकी विशिष्टता पर विश्वास हो तो हमें भारतीय दर्शन के इन आधारभूत तथ्यों पर भी विश्वास करना और अपने जीवन को आध्यात्मिक पद्धति से ढालने का अभ्यास करना ही होगा।

भूत बड़े-बड़ों ने देखा

टेलीफोन की घंटी बजी, वकील साहब ने उसे उठाकर कान से लगाया और कहा-हलो, हलो, कौन बोल रहा है? पर उधर से कुछ आवाज न आई, चोंगा नीचे रख दिया। लेकिन अभी वे उठने को ही थे कि घंटी फिर टनटनाई, फिर रिसीवर उठाकर कान से लगाया, तो कोई भद्दी गाली बकने लगा। कई दिन तक ऐसे ही कभी गालियां, कभी धोखा खाने के बाद भी उन्हें पता न चल पाया कि कौन तंग कर रहा है? फिर स्विच दबाया नहीं कि ट्यूब लाइट तेजी से चमकने लगा।

बल्ब जला और फटाक से फूट पड़ा। कमरे में उनके अतिरिक्त एक चिडि़या भी नहीं तो भी यह ऊधम मच रहा है। वकील साहब बड़े तंग हुए, अंत में हारकर बिजली विभाग को लिखा-कहीं कोई बिजली की गड़बड़ी है, उसे ठीक किया जाए। बिजली विभाग के इंजीनियर तक आए, सारे सर्किट को ओवरहालिंग कर गए, पर न तो कोई गड़बड़ी मिली और न बंद ही हुआ ऊधम। एडवोकेट साहब का बुरा हाल था। यह प्रसंग कोई कथा नहीं, वरन एक सत्य घटना है, जो रोजेनहीम के एक वकील के साथ जून 1668 में घटी। इस समाचार का विवरण नवनीत (हिंदी डाइजेस्ट) में भी छपा है। लगभग 8-9 महीने की लगातार जांच के बाद बिजली विशेषज्ञों ने जवाब दे दिया और स्थिति नियंत्रण में नहीं आई। इसके बाद परा-मनोविज्ञान वेत्ता प्रो. हांस बेंडर, जो कि फ्रीवर्ग इंस्टीच्यूट आफ पैरासाइकोलोजी के अध्यक्ष हैं, ने इन परिस्थितियों की जांच की और बताया कि सब कुछ देखने के बाद मैं इस निर्णय पर पहुंचा हूं कि मामला मनोगति क्रम (साइको-काइनेसिस) का है।

मनोगति क्रम का अर्थ ही है कि सूक्ष्म मानसिक शक्तियां, जो भौतिक पदार्थों पर नियंत्रण और हस्तक्षेप कर सकती हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि मानसिक अवस्था किसी भूत-प्रेत के रूप में स्थित रह सकती है। ब्राजील के अति प्रतिष्ठित दैनिक पत्र ‘ओ क्रूजीरो’ के प्रतिनिधियों ने आंखों देखा और जांचा हुआ समाचार छापा था कि साओपाअलो राज्य के इटापिका नगर के एक किसान सिडकांटो के घर पर जाने कहां से पत्थर बरसते थे और घर में रहने वालों को घायल करते थे। भूत-उपचारकों से लेकर अन्य सभी प्रकार के उपाय जब इसकी रोकथाम में असफल हो गए तो पुलिस को सूचना दी गई।

(यह अंश आचार्य श्री राम शर्मा

द्वारा रचित किताब ‘भूत कैसे होते हैं, क्या करते हैं’ से लिए गए हैं)


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