इन रोगों से रहें सतर्क

By: Dec 29th, 2018 12:04 am

सांस फूलना, बार-बार खांसी और सांस लेने में तकलीफ  जैसी समस्याओं को लोग छोटी समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। मगर ये कई बड़ी बीमारियों के शुरुआती संकेत हो सकते हैं। इसलिए अगर आपको लंबे समय तक ये समस्याएं हों, तो सचेत हो जाएं और चिकित्सक से संपर्क करें…

आजकल लोगों में सांस की बीमारियां तेजी से बढ़ रही हैं। सांस फूलना, बार-बार खांसी और सांस लेने में तकलीफ जैसी समस्याओं को लोग छोटी समस्या समझकर नजरअंदाज कर देते हैं। मगर ये कई बड़ी बीमारियों के शुरुआती संकेत हो सकते हैं।

इसलिए अगर आपको लंबे समय तक ये समस्याएं हों, तो सचेत हो जाएं और चिकित्सक से संपर्क करें। अगर आप सही समय पर जांच करवाकर इलाज शुरू कर देते हैं, तो इन बीमारियों से होने वाले खतरे और नुकसान को बहुत हद तक कम किया जा सकता है।

सर्दियों में कई तरह की बीमारियां लोगों को परेशान करती हैं। इस मौसम में सांस लेने में तकलीफ  आम बीमारी है। न सिर्फ वो लोग जिन्हें अस्थमा, बोंक्राइटिस और हाइपरटेंशन जैसी बीमारियां हैं, बल्कि उन्हें भी सर्दियों में सांस लेने में तकलीफ  होती है, जिन्हें इस तरह की कोई बीमारी नहीं होती है। आइए आपको बताते हैं किन बीमारियों का संकेत हो सकती हैं सांस और खांसी की समस्या।

फ्लू और एलर्जी– फ्लू खासकर सर्दी के मौसम की शुरुआत में होता है। सर्दी, छींक, खांसी, गले में दर्द, बदन दर्द व बुखार इसके सामान्य लक्षण हैं। साथ ही वायरल इन्फेक्शन, सूखी खांसी इनका सबसे आम कारण है। वायरस के प्रत्यक्ष हमले, ठंडे पेय का सेवन श्वसन अस्तर को वायरल संक्रमण के लिए अतिसंवेदनशील बनाता है। पर्यावरण प्रदूषण, लोगों में एलर्जी, खांसी से पीडि़त होने के मुख्य कारणों में से एक है। इसमें केमिकल, औद्योगिक गैसें, धूल, धुआं, मिट्टी और पराग कण श्वसन तंत्र को ट्रिगर कर खांसी पैदा करते है। जो आगे चलकर भयानक रोगों का रूप धारण करते हैं।

अस्थमा– अगर आप सांस और घरघराहट के साथ खांसी की समस्या से भी जूझ रहे हैं, तो हो सकता है कि आप अस्थमा से पीडि़त हों। अस्थमा एक गंभीर बीमारी है, जो श्वास नलिकाओं को प्रभावित करती है। श्वास नलिकाएं फेफड़े से हवा को अंदर-बाहर करती हैं। अस्थमा होने पर इन नलिकाओं की भीतरी दीवार में सूजन आ जाती है और यह सूजन नलिकाओं को बेहद संवेदनशील बना देती है। जब नलिकाएं प्रतिक्रिया करती हैं, तो उनमें संकुचन होता है और उस स्थिति में फेफड़े में हवा की कम मात्रा जाती है। इससे खांसी और सुबह और रात को सांस लेने में तकलीफ आदि जैसे लक्षण पैदा होते हैं।

निमोनिया– निमोनिया होने पर फेफड़ों में हवा की थैलियों में संक्रमण या बलगम भर जाता है। निमोनिया किसी जीवाणु, विषाणु या रसायन से होता है। अकसर यह एक व्यक्ति से दूसरे में नहीं फैलता है। सूखी खांसी के साथ बाद में हरे बलगम का आना निमोनिया का कारण हो सकता है। निमोनिया शुरू में ब्रोंकाइटिस के समान हो सकता है और बाद में  यह खून के धब्बे के साथ इसका अंत हो सकता है।

फेफड़ों का कैंसर- तीन हफ्ते या इससे ज्यादा समय तक बलगम वाली खांसी को नजरअंदाज नही करना चाहिए। यह फेफड़े के कैंसर का इशारा हो सकता है। शुरुआती अवस्था के दौरान महज 15 फीसदी मामले सामने आ पाते हैं। फेफड़ों का कैंसर बहुत अधिक धूम्रपान करने वालों और तंबाकू उपयोगकर्ताओं में खांसी का सबसे आम कारण है। आमतौर पर तीन सप्ताह से अधिक खांसी, पुरानी खांसी में खून आना, सांस का उखड़ना, अस्पष्टीकृत वजन घटना, अत्यधिक थकान और सीने में दर्द फेफड़ों के कैंसर का संकेत हो सकता है।

टीबी या ट्यूबरक्लोसिस- टीबी यानी ट्यूबरक्लोसिस। ये एक संक्रामक रोग है, जो बैक्टीरिया के कारण होता है। यह बैक्टीरिया शरीर के सभी अंगों में प्रवेश कर रोग ग्रसित कर देता है। ये ज्यादातर फेफड़ों में ही पाया जाता है। अत्यधिक थकान और वजन कम होने के साथ लंबे समय तक खांसी आमतौर पर फेफड़ों के एक जीवाणु संक्रमण का ही संकेत मिलता है। खांसी में बलगम के साथ खून का आना ट्यूबरक्लोसिस संदिग्ध हो सकता है। अगर आप को इन रोगों से संबंधित कोई समस्या होती हैै, तो तुरंत डाक्टर से परामर्श करें और अपना इलाज करवाएं।

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App