कलिका सहसन्नाम
-गतांक से आगे…
उग्र-चंडेश्वरी वीर-जननी वीर-सुंदरी।
उग्र-तारा यशोदाख्या देवकी देव-मानिता।। 78।।
निरंजना चित्र-देवी क्रोधिनी कुल-दीपिका।
कुल-वागीश्वरी वाणी मातृका द्राविणी द्रवा।। 79।।
योगेश्वरी-महा-मारी भ्रामरी विंदु-रूपिणी।
दूती प्राणेश्वरी गुप्ता बहुला चामरी-प्रभा।। 80।।
कुब्जिका ज्ञानिनी ज्येष्ठा भुशुंडी प्रकटा तिथिः।
द्रविणी गोपिनी माया काम-बीजेश्वरी क्रिया।। 81।।
शांभवी केकरा मेना मूषलास्त्रा तिलोत्तमा।
अमेय-विक्रमा व्रूसरा सम्पत्शाला त्रिलोचना।। 82।।
सुस्थी हव्य-वहा प्रीतिरुष्मा धूम्रार्चिरङ्गदा।
तपिनी तापिनी विश्वा भोगदा धारिणी धरा।। 83।।
त्रिखंडा बोधिनी वश्या सकला शब्द-रूपिणी।
बीज-रूपा महा-मुद्रा योगिनी योनि-रूपिणी।। 84।।
अनङ्ग – मदनानङ्ग – लेखनङ्ग – कुशेश्वरी।
अनङ्ग-मालिनि-कामेशी देवि सर्वार्थ-साधिका।। 85।।
सर्व-मंत्र-मयी मोहिन्यरुणानङ्ग-मोहिनी।
अनङ्ग-कुसुमानङ्ग-मेखलानङ्ग – रूपिणी।। 86।।
वङ्कोश्वरी च जयिनी सर्व-द्वंद्व-क्षयर्ज्री।
षडङ्ग-युवती योग-युक्ता ज्वालांशु-मालिनी।। 87।।
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