केंद्र की सौगात मांग रही स्टाफ

By: Dec 4th, 2018 12:02 am

प्रदेश में मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन के लिए न एनालिस्ट; न हेल्पर और न ही ड्राइवर

 मंडी —हिमाचल को करीब एक साल पहले केंद्र से दो मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन की सौगात मिली थी। इस मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन की खासियत यह है कि वैन चलती-फिरती लैब है, जिसमें तेल, दूध सहित अन्य पेय व खाद्य पदार्थों की गुणवत्ता चंद मिनटों में ही पता लगाई जा सकती है। एक मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन की कीमत करीब 30 लाख रुपए है, लेकिन केंद्र की यह सौगात हिमाचल में सफेद हाथी ही साबित हो रही है। ऐसा इसलिए, क्योंकि लैब में न तो फूड एनालिस्ट हैं और न ही हेल्पर और इन्हें चलाने के लिए ड्राइवर भी नहीं। जब हिमाचल में यह वैन आई तो इन्हें छह-छह जिलों में समयबद्ध चलाने का निर्णय हुआ। शुरुआती दौर में शिवरात्री मेले और श्रीरेणुकाजी मेले में मोबाइल फूड टेस्टिंग वैन का इस्तेमाल हुआ। यहां खाद्य व पेय पदार्थों के सैंपल सर्वे भी किए गए। हालांकि मेलों के समय भी इसे जुगाड़ से ही दौड़ाया गया, लेकिन काफी समय से वैन धूल फांक रही हैं, क्योंकि स्वास्थ्य विभाग की ओर से इसके लिए स्टाफ ही मुहैया नहीं करवाया गया। हिमाचल में पहले से ही मात्र दो फूड सेफ्टी अफसर तैनात हैं। ऐसे में वैन के लिए भी स्टाफ न मिलने से इसका सही उपयोग नहीं हो पा रहा है। स्वास्थ्य निदेशालय से चालक एक मोबाइल फूड सेफ्टी वैन चलाते थे, लेकिन बीमारी के चलते उनकी मौत हो गई। कंडाघाट लैब से एक चालक दूसरी वैन चलाते हैं, लेकिन वह भी जुगाड़ सिस्टम ही है। हालांकि अभी सरकार की ओर से आउटसोर्स के माध्यम से छह लोगों की भर्ती की मंजूरी दी गई। इसमें दो ड्राइवर, दो एनालिस्ट और दो हेल्पर शामिल हैं। इसमें भी अभी दो लोगों की ही भर्ती हुई है।

होने से पहले रोकी जा सकेंगी बीमारियां

आम लोगों के इलाज के लिए सरकारें करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, लेकिन बीमारी से बचाव पर ध्यान ही नहीं दिया जा रहा। प्रिवेंटिव हैल्थ पर भी उतनी ही संजीदगी से काम हो, तो काफी हद तक बीमारियां होने से पहले रोकी जा सकेंगी।

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