गलत को उजागर करना विपक्ष का अधिकार

By: Dec 7th, 2018 12:15 am

मीडिया के बीच जब हिमाचल के वरिष्ठतम नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री यह कहें कि जागते रहो-जगाते रहो, तो ऐसे दार्शनिक भाव के हर अर्थ को समझना होगा। दो बार मुख्यमंत्री तथा अपने दौर के सक्रिय सांसद रहे पे्रम कुमार धूमल हिमाचल में भाजपा की हर जीत का अहम किरदार भी रहे हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में उनके आभा मंडल को श्रद्धेय मानने की वजह बढ़ जाती है। प्रदेश से राष्ट्रीय राजनीति तक भाजपा के वरिष्ठ नेता से सीधे रू-ब-रू हो रहे हैं ‘दिव्य हिमाचल’ के न्यूज एडिटर संजय अवस्थी,  डिप्टी न्यूज एडिटर अनिल अग्निहोत्री स्थानीय डेस्क प्रभारी राजेश शर्मा तथा जिला प्रभारी जीवन ऋषि…

आप जनाधार वाले नेता रहे हैं, पर लंबे समय बाद आप सरकार में शामिल नहीं हैं। क्या महसूस कर रहे हैं?

धूमल : मैं जनसेवक हूं और जनसेवा के लिए सरकार की आवश्यकता नहीं होती। ईश्वर की कृपा है, जिन्होंने सामर्थ्य दिया है और उस पर जनता की शक्ति साथ है। हां पहले निर्णय करते थे, और अब अनुशंसा करते हैं।

आप प्रदेश सरकार के एक वर्ष के कार्यकाल का विश्लेषण कैसे करेंगे?

धूमल : एक साल का अर्थ है अभी 20 अंक का प्रश्नपत्र ही हल किया गया है। जाहिर है, ऐसे में विश्लेषण का सवाल ही पैदा नहीं होता। वैसे मुझे पूर्ण विश्वास है कि परिणाम बेहतर होगा।

लोकसभा चुनावों के लिए सरकार और प्रदेश भाजपा की तैयारी कागजी तो नहीं है?

धूमल : सारी तैयारियां पूरी हैं। इसे इस तरह समझिए। एक समय अगर किसी विधानसभा क्षेत्र में 20 से 25 समर्पित कार्यकर्ता भी होते थे, तो जीत की उम्मीद होती थी। अब तो भाजपा मतदान केंद्रों से भी आगे बढ़कर मतदाता सूचियों के पन्नों तक पहुंच गई है। हर पन्ना प्रमुख अपने पृष्ठ के एक-एक मतदाता तक पहुंच बनाए हुए है। जाहिर है, कड़ी मेहनत का फल सुखद रहेगा।

भाजपा तक में सुगबुगाहट है कि सरकार में संगठन विशेष, खासकर विद्यार्थी परिषद से संबद्ध नेताओं या कार्यकर्ताओं की सुनवाई है और सामान्य कार्यकर्ता हाशिए पर चले गए हैं। क्या सचमुच ऐसा है?

धूमल : शायद सरसरी तौर पर किसी को ऐसा लगता हो, परंतु यह सच्चाई नहीं है। सबको अधिमान मिलता है। पार्टी में भी ऐसा ही है।

रेल मंत्री पीयूष गोयल के हालिया दौरे ने हिमाचल में रेल नेटवर्क विस्तार की उम्मीदों पर ही पानी नहीं फेर दिया?

धूमल : देखिए, मुझे लगता है इसमें कुछ मिस अंडरस्टैंडिंग है, जिसे बातचीत से दूर कर लेना चाहिए। रेल मंत्री ने पठानकोट-जोगिंद्रनगर नैरोगेज लाइन को ब्रॉडगेज में बदलने से इसलिए इनकार किया क्योंकि शताब्दी पूरी कर चुकी है और संरक्षित ऐतिहासिक टै्रक है, लेकिन उन्होंने पठानकोट से मंडी तक एक नई ब्रॉडगेज लाइन बिछाने से कहां इनकार किया है? ‘हू ऑपोजिज़ पैरलल ब्रॉडगेज?’ शायद ऊपर बात करने की आवश्यकता है। ‘दिस लाइन इज़ अ मस्ट फॉर हिमाचल।’ नई लाइन का खर्च भी कम आता है।

फिर भी, प्रदेश में रेल विस्तार वैसे तो नहीं हो रहा, जिसकी उम्मीद थी!

धूमल : ऐसा नहीं है। काम जारी है, जिसके परिणाम जल्द सामने होंगे। उदाहरण दूं, तो नंगल-तलवाड़ा टै्रक का नींव पत्थर 1973 में रखा गया, पर रेल ऊना तक 1991 में पहुंची, जब मैं सांसद था। वर्ष 1998 में मुख्यमंत्री था, तो चुरड़ू तक ट्रेन पहुंचाई। सांसद अनुराग ठाकुर के कार्यकाल में पहले रेलगाड़ी अंब-अंदौरा तक पहुंची और अगले तीन महीने में हिमाचल की अंतिम सीमा तक इस टै्रक का विस्तार मुकम्मल हो जाएगा।

क्या आप मानते हैं कि हिमाचल के चहुंमुखी विकास के लिए रेल नेटवर्क का विस्तार आवश्यक है?

धूमल : जी बिलकुल। और उससे भी बढ़कर यह मुद्दा राष्ट्रीय सुरक्षा से भी जुड़ा है। मैंने ही सबसे पहले भानुपल्ली-बरमाणा-मंडी टै्रक का सुझाव देकर लेह तक रेल पहुंचाने की बात कही थी। मेरा मानना है कि पठानकोट से भी ब्रॉडगेज लाइन बिछाकर मंडी में मिलानी चाहिए और फिर मंडी से एक रेल ट्रैक लेह पहुंचाना चाहिए। इससे न केवल प्रदेश के बड़े हिस्से में पर्यटन को मजबूती मिलेगी, बल्कि संवेदनशील सरहद तक सेना की पहुंच भी आसान होगी।

इसमें खर्च तो बहुत आएगा लेकिन…

धूमल : हमें सेना के टैंक और अन्य सामान चंडीगढ़ से एयरलिफ्ट कर लद्दाख पहुंचाना पड़ता है। यही बात ट्रूप्स के साथ भी है। लेह तक ट्रैक बन जाए, तो सारा खर्च दो साल में पूरा हो जाएगा।

ऊना-हमीरपुर रेलवे लाइन की क्या स्थिति है?

धूमल : तीसरा और अंतिम सर्वेक्षण पूरा हो चुका है। निर्माण के लिए 2850 करोड़ रुपए का बजट आबंटित हो गया है। काम जल्द शुरू हो रहा है।

धर्मशाला में आईपीएल और अंतरराष्ट्रीय मैच न होने से क्रिकेट पे्रमी निराश हैं। आपका क्या मत है?

धूमल : रणजी ट्रॉफी के मैच तो हो ही रहे हैं। खैर, आपको पता है यह सब किसने रुकवाया। हमने तो पाकिस्तान से भी मैच तय करवा दिया था। वैसे भी, हमारा व्यक्तिगत तो कुछ नहीं था, फिर भी आठ-दस मुकदमे इसीलिए भुगत रहे हैं।

हिमाचल में सात-आठ मेडिकल कालेज खुल गए, पर फैकल्टी के नाम पर हाथ खड़े हैं। चंबा तो डाक्टर प्रोमोशन लेकर भी नहीं जाना चाहते। आप इसे कैसे देखते हैं?

धूमल : आपका प्रश्न अत्यंत मौलिक है। फैसला करना होगा कि हमें क्वालिटी चाहिए या क्वैंटिटी। मेरा अनुभव है कि आम जनता संख्या के स्थान पर गुणवत्ता चाहती है। शिक्षकों के बिना संस्थान किस काम के? और डाक्टरों के बिना अस्पतालों का क्या फायदा? यह वीरभद्र जी की सोच थी कि एक बच्चे के लिए भी स्कूल खोलूंगा। परिणाम सबके सामने है।

प्रदेश के विकास में कहां सुधार की गुंजाइश देखते हैं?

धूमल : सुधार की गुंजाइश तो हमेशा रहती है। आपको बताऊं, मैं जब इजरायल के दौरे पर गया, तो पाया कि वे मात्र 35सौ फुट ऊंची पहाडि़यों पर सर्वोत्तम सेब उगा रहे हैं। उपज का आलम ऐसा कि एक हेक्टेयर पर कम से कम 50 टन उत्पादन और हम एक हेक्टेयर में अधिकतम सात टन सेब पैदा करते हैं। यह एक उदाहरण है, अर्थ यह कि आशावादी होकर प्रयास करने होंगे।

प्रदेश में दूध के दाम पांच रुपए घटाने पर लोगों में आक्रोश झलक रहा है। फैसले को कैसे देखते हैं?

धूमल : हमें ग्रामीण आर्थिकी मजबूत करनी होगी और उसके लिए किसान और उत्पादक की मदद करनी पड़ेगी। शहर की हर समस्या का समाधान गांव में निहित है। लोगों को गांव में सुविधाएं मिलेंगी, तो शहरों से बोझ हटेगा। गांव भी खुश, शहर भी खुश।

प्रदेश में ‘चार्जशीट’ शब्द खूब चर्चा में है आजकल। आप क्या कहेंगे?

धूमल : सिर्फ रीत बनाकर चार्जशीट तैयार करें, तो यह सही नहीं। पर कुछ गलत हो तो उसे उजागर करना विपक्ष का दायित्व है।

प्रदेश में धारणा बन रही है कि सरकार जो कर्ज ओढ़ रही है, उसका फायदा मात्र सरकारी कर्मचारियों को हो रहा। यह दौर कब रुकेगा और कब हम अपनी आर्थिक चादर देख पैर पसारेंगे?

धूमल : इसका एक ही समाधान है, वन नेशन-वन इलेक्शन। अमरीका जैसी राष्ट्रपति प्रणाली हो या कोई और जरिया, लेकिन देश में सभी चुनाव एक साथ होने चाहिए। सरकार उसी स्थिति में लंबे फायदे के लिए अलोकप्रिय निर्णय ले सकती है। हर छह माह बाद कहीं न कहीं जो चुनाव हो रहे हैं, उससे सिस्टम पर असर पड़ रहा है।

नोटबंदी और जीएसटी लागू करने जैसे फैसलों से आम आदमी बुरी तरह आहुत हुआ। क्या आप ऐसा नहीं सोचते?

धूमल : ऐसा हरगिज नहीं। शायद हम अध्ययन नहीं कर रहे हैं। दोनों दूरदर्शी निर्णय हैं और इनके सुखद परिणाम सामने आ रहे हैं। अन्य फायदों के अतिरिक्त इनसे मनोवैज्ञानिक लाभ भी हुए, जिन्हें जनता समझती है।

आपकी नजर में जयराम ठाकुर सरकार का अब तक का सबसे अच्छा निर्णय क्या है?

धूमल : वृद्धावस्था पेंशन की आयु 80 वर्ष से घटाकर 70 साल करना सर्वोत्तम कदम है। इससे उन सब लोगों को फायदा मिला, जिन्हें इसकी सबसे अधिक जरूरत थी।

आप प्रदेश सरकार को क्या सुझाव देना चाहेंगे?

धूमल : कोई सुझाव देना होगा, तो मीडिया के माध्यम से तो हरगिज नहीं दूंगा। वैसे, मैंने तो इतना कहा है, … ‘बेस्ट ऑफ लक।’

अच्छा, आप हिमाचल के मीडिया से क्या अपेक्षा करते हैं?

धूमल : सिर्फ इतना कि हमारी कमियां सामने लाई जाएं। इससे हम स्वयं में सुधार ला पाएंगे। मैं कहूंगा, ‘जागो और जगाओ’

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