तपोवन में गूंजी गोबिंदसागर-पौंग में मछली की पैदावार

By: Dec 13th, 2018 12:05 am

बिलासपुर—तपोवन में चल रहे विधानसभा सत्र मंे गोबिंदसागर मंे साल-दर-साल कम हो रहे मत्स्य उत्पादन का मुद्दा खूब जोर-शोर से गूंजा। इसी प्रकार पौंग डैम में मत्स्य उत्पादन को लेकर बिलासपुर सदर के विधायक सुभाष ठाकुर ने सरकार से जवाब मांगा। सदर विधायक सुभाष ठाकुर ने बताया कि धर्मशाला विधानसभा सत्र के दौरान तारांकित विधानसभा प्रश्न रखे। जिसमें उन्होंने गत तीन वर्षों में गोबिंदसागर व पौंग डैम में प्रतिवर्ष कितना-कितना मछली उत्पादन हुआ व कितना राजस्व प्राप्त हुआ। इस अवधि में गोबिंदसागर में कितना बीज प्रत्येक वर्ष डाला गया। यह सत्य है कि गोबिंदसागर में उत्पादन में कमी आई है यदि हां तो सरकार मछली उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या पग उठा रही है। तारांकित प्रश्न का जवाब देते हुए ग्रामीण विकास, पंचायती राज, पशुपालन एवं मत्स्य मंत्री वीरेंद्र सिंह ने बताया कि 2015-16 में गोबिंदसागर में 858.782 मीट्रिक टन उत्पादन व 86.41 लाख राजस्व, 2016-17 में 753.537 मीट्रिक टन उत्पादन व 79.26 लाख राजस्व तथा 2017-18 में 471.797 मीट्रिक टन उत्पादन व 54.79 लाख राजस्व प्राप्त हुआ है। इसी प्रकार कांगड़ा जिला के पौंग डैम से 2015-16 में 415.423 मीट्रिक टन उत्पादन व 105.81 लाख राजस्व, 2016-17 में 381.910  मीट्रिक टन उत्पादन व 92.77 लाख राजस्व तथा 2017-18 413.315 मीट्रिक टन मछली उत्पादन व 110.23 लाख राजस्व प्राप्त हुआ है। उन्होंने बताया कि गोबिंदसागर में 2015-16 में 134.089 लाख, 2016-17 में 174.850 लाख तथा 2017-18 में 88.507 लाख मछली बीज का डाला गया। विधायक सुभाष ठाकुर ने दूसरा तारांकित प्रश्न सदन में रखा कि गत तीन वर्षों में जिला बिलासपुर में कितने पशु पंजीकृत किए गए तथा कितने बेसहारा हैं? इस अवधि में जिला बिलासपुर में बेसहारा बैलों ने कितने लोगों को मौत के घाट उतारा व किसानों को घायल किया तथा सरकार ने लोगों की सुरक्षा हेतु क्या पग उठाए हैं? तिारांकित प्रश्न का जवाब देते हुए पशुपालन एवं मत्स्य मंत्री वीरेंद्र सिंह ने कहा कि गत तीन वर्षों में जिला बिलासपुर में कुल 22148 किए गए, जिसमें वर्ष 2015-16 में 20788, 2016-17 में 124, 2017-18 अक्तूबर तक 1166 पशु पंजीकृत हुए हैं।  पशुगणना 2012 के अनुसार जिला बिलासपुर में 1609 पशु बेसहारा थे जिनमें से 608 पशुओं को गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा चलाए जा रहे।


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