नए आकार का निवेश

By: Dec 3rd, 2018 12:05 am

उम्मीदों के छज्जे से हिमाचली निवेश का नया क्षितिज भले ही चमकदार लगे, लेकिन असल में यह फिजाओं को बदलने की पहल है। पहली बार किसी सरकार ने हिमाचली क्षमता का नया बाजार खोलने का प्रण नहीं लिया, बल्कि पर्वतीय मंजर को इसके काबिल बनाने का सफर भी शुरू किया है। बेशक इरादों का प्रारूप अपनी प्राथमिकताओं की इबारत लिख रहा है और विभागीय लक्ष्यों में निवेश की वसंत का संगीत भरा जा रहा है, फिर भी इस दिशा की कसौटियों में सबसे पहले निजी क्षेत्र के प्रति सरोकार व सहोदर होने की सदिच्छा बहुत जरूरी है। यह इसलिए कि निवेश की राहों में अब तक का सफर अपनी छवि में जो प्रतिकूलता दर्शाता रहा, उन्हें हटाए बिना मंजिल तक पहुंचना कठिन है। बेशक कठिनता का संघर्ष सीधे धारा 118 से ही मुखातिब रहेगा और यहीं निवेश की तासीर बदलने की सबसे अधिक मेहनत होगी। अगर 85 हजार करोड़ का निवेश रेखांकित करना है, तो हर परियोजना को बंधन मुक्त जमीन चाहिए और गैर हिमाचली को प्रदेश का प्रमाणिक नागरिक होने का दस्तावेज। जाहिर तौर पर जयराम सरकार ने जो क्षेत्र चिन्हित किए हैं, वे नए निवेश की भुजाएं और हिमाचल की आर्थिक रीढ़ को सुदृढ़ करेंगे। अंतर केवल यही है कि आज से पहले केवल सरकारी खजाने और केंद्र के पायजामे पहनकर विकास देखा गया और इसमें संदेह नहीं कि इस तरह राज्य ने अपनी वर्जनाओं से हटकर मुकाम हासिल किया, लेकिन अब तरक्की के पैमाने और आय के स्रोत बदले जा रहे हैं। हिमाचल को निवेश राज्य बनाने की पहल में खाका तो तैयार है, बस सूरत व सीरत बदलनी होगी। हिमाचल की अपनी एक खास विशिष्टता पहले से रही है, इसीलिए इसे फल राज्य, ऊर्जा राज्य, पर्यटन राज्य, देवभूमि तथा वीरभूमि कहा गया है। इसके अलावा प्रगतिशील व अति साक्षर होने की वजह से हिमाचल का उल्लेख राष्ट्रीय आंकड़ों में आश्चर्यजनक हिसाब से नई संभावनाओं को जन्म देता है। यहां सामाजिक व राजनीतिक उत्कंठा के कारण आर्थिकी का विकास तथा उन्नति का उजास देखा गया। ऐसे में इन्वेस्टर मीट वास्तव में हिमाचली तरक्की का अगला चक्र है। समझना यह होगा कि निवेश के उत्प्रेरक, संभावनाएं, सुविधाएं, आशाएं व संकल्प क्या हो सकते हैं तथा इसके बीज बोने के लिए आवश्यक धरती आएगी कहां से। हम पहले से कहते रहे हैं कि हिमाचल को कम से कम एक दर्जन निवेश केंद्र विकसित करते हुए प्रदेश को आर्थिक संबल देना होगा। वर्तमान दौर में प्रस्तावित फोरलेन मार्गों या नेशनल हाई-वे के किनारे ऐसे क्षेत्र चिन्हित करते हुए, इन्हें भौगोलिक आधार पर निवेश विशेष के लिए निर्धारित करना होगा। इसके अलावा कम से कम आधा दर्जन शहरी विकास प्राधिकरणों का गठन करते हुए समन्वित विकास की रूपरेखा बनानी होगी। इनके तहत हर स्थानीय निकाय का लैंड बैंक सुनिश्चित करते हुए पर्यटन, चिकित्सा पर्यटन, शिक्षा, बुनियादी ढांचे, मनोरंजन तथा शहरी अधोसंरचना में निवेश को आकार मिलेगा। हिमाचल सरकार अगर इच्छाशक्ति दिखाए तो कुछ मेगा परियोजनाएं मसलन ऊना में प्रदेश का सबसे बड़ा उपग्रह नगर, गरली-परागपुर में फिल्म सिटी, पौंग, भाखड़ा, कोल व चमेरा झीलों पर आधारित पर्यटन परियोजनाएं, गोल्फ ग्राउंड, कुल्लू, शिमला व चंबा में स्की विलेज, शहरी परिवहन क्षेत्र में मोनो ट्रेन-स्काई बस तथा रज्जु मार्ग, पर्यटन व धार्मिक शहरों में आधुनिक बस स्टैंड तथा नए हिल स्टेशन स्थापित किए जा सकते हैं। हिमाचल में निवेश के लिए आत्मीय माहौल का आधार जिस जमीन पर खड़ा होगा, वहां भूमि बैंक की परिधि को व्यापक बनाने के लिए भी निवेश की जरूरत है। निवेश के साहस में सरकार धारा 118 तथा व्यवस्थागत अड़चनों का मुकाबला कैसे करती है, इस पर सारा दारोमदार रहेगा।

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