नियति

By: Dec 29th, 2018 12:05 am

नोबूनागा एक महान जापानी सेना नायक था। एक बार उसे दुश्मन फौज पर धाबा बोलना था। मगर उसकी सेना में दुश्मन फौज के मुकाबले उसका दसवां हिस्सा भर सैनिक थे। नोबूनागा अपनी जीत को लेकर निश्चिंत था। उसके सिपाही संदेहों से घिरे थे। कूच के रास्ते नोबूनागा की सेना ने एक जेन मंदिर के पास पड़ाव डाला। नोबूनागा ने अवने सिपाहियों को संबोधित किया, मैं मंदिर में ध्यान करने जा रहा हूं। वहां से लौट कर सिक्का उछालूंगा। सिक्का चित पड़ा तो जीत हमारी, अगर पुट पड़ा तो हम हार जाएंगे। हमारी नियति अब सिक्का ही तय करेगा। नोबूनागा ने मंदिर में जाकर ध्यान किया। इसके बाद बाहर आकर उसने तमाम सैनिकों की उपस्थिति में सिक्का उछाला। सिक्का चित पड़ा। नोबूनागा के सिपाहियों ने इनती तत्परता से युद्ध लड़ा कि आनन-फानन में उनकी जीत हो गई। ‘सचमुच नियति को कोई टाल नहीं सकता।’ जीतने के बाद नोबूनागा से उसके एक सहायक ने कहा। ‘वाकई ! कह कर नोबूनागा ने उसे सिक्का उलट-पुलट कर दिखा दिया। सिक्का दोनो पहलुओं से एक जैसा था।


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