पंजाब सरकार का गोदाम था अल्हिलाल में

By: Dec 12th, 2018 12:05 am

1947 ई. से 1949 ई. तक अल्हिलाल पंजाब सरकार द्वारा गोदाम के रूप में प्रयोग किया गया। 1949 ई. में यह जम्मू के महाराजा हरि सिंह की पत्नी और राजा करण सिंह की माता महारानी तारा के अधिकार में आया…

गतांक से आगे …

अल्हिलाल

प्राचीन काल में गद्दी जाति के नाम पर इस स्थान को ‘ललियाल’ नाम से जाना जाता था। मुसलमान इस स्थान का प्रयोग इस्लाम के विचारों का प्रयोग करने के लिए करते थे। 1933 में ‘भावनगर के नवाब’ ने यहां एक महल बनवाया, जिसका नाम अल्हिलाल रखा गया। 1947 तक यह स्थान नवाब के लिए गर्मियों की राजधानी रहा। 1947 ई. से 1949 ई. तक इसे पंजाब सरकार द्वारा गोदाम के रूप में प्रयोग किया गया। 1949 ई. में जम्मू के महाराजा हरि सिंह की पत्नी और राजा करण सिंह की माता महारानी तारा के अधिकार में आया। 1951 में इसे एक मोटल के रूप में बदल दिया गया।

चिनी

यह हिंदोस्तान- तिब्बत मार्ग पर रांगी और पांगी के बीच एक गांव है। समुद्र तल से इसकी ऊंचाई 9085 फुट है। यह गांव सतलुज नदी के ऊपर कुछ हजार फुट की ऊंचाई पर स्थित है। इस स्थान के चारों ओर का दृश्य संुदर है।  वहां सबसे ऊंची चोटी भी है, जिसे कैलाश या शिव का निवास भी कहा जाता है।

चिनी तत्कालीन गवर्नर जनरल लॉर्ड डलहौजी का मन भाता स्थान था, जहां वह आनंद के लिए घूमने के लिए जाया करता था। चिनी मानसून क्षेत्र के बाहर पड़ता है और शुष्क और शक्तिवर्द्धक जलवायु रखता है।

चांगो

यह किन्नौर जिला में स्पीति नदी के बाएं किनारे पर उपतहसील हैंगरैंग में शुवा परगना के अंतर्गत चार छोटे गांवों का समूह है। यह चारों ओर से ऊंची पहाडि़यों से घिरा हुआ है, जो भूतकाल में यहां किसी झील के होने का साक्षी है। यह गांव बुद्ध धर्म के प्रभाव में है, लेकिन यहां ‘ग्यालब, डावला और यालसा’ नाम के कुछ स्थानीय देवता भी है।

दाड़चा

यह लाहुल घाटी में है, जहां से पहाड़ों पर चढ़ाई करने वाले सिंगोला तथा बारालाचा होते हुए फर्टसेलट से होकर पद्म तक जाते हैं। इस स्थान से आगे मुश्किल से ही कोई  वृक्ष है।

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