पहेलियां

By: Dec 12th, 2018 12:05 am

1.

कहलाता तो हूं मैं चूल्हा,

पर अजब है मेरा रूप।

तेल, गैस न लकड़ी मांगूं,

मुझे तो चाहिए धूप।

****

2.

 अंत कटे तो चाव बनूं,

मध्य कटे तो चाल।

तीन अक्षर का अन्न हूं

खाओ मुझे उबाल।

****

चलती खूब है कच्ची राह पर,

लकड़ी की वह गाड़ी।

चार पांव का इंजन उसका,

चलता सदा अगाड़ी।

4

पैदा होते ही उड़े,

सीधा नभ में जाता।

5.

पंख नहीं है फिर भी वह,

नभ में गायब हो जाता।

सरस्वती की सफेद सवारी,

मोती जिनको भाते,

करते अलग दूध से पानी,

बोलो कौन कहलाते।

६.

कान बड़े हैं, काया छोटी,

कोमल-कोमल बाल,

चौकस इतना पकड़ सके न, बड़ी तेज है चाल।

7.

नर पंछी नारी से सुंदर,

वर्षा में नाच दिखाता,

मनमोहक कृष्ण को प्यारा,

राष्ट्र पक्षी कहलाता।

उत्तर : 1.सौर चूल्हा 2. चावल 3. बैलगाड़ी 4. धुआं,

  1. हंस, 6. खरगोश, 7.मोर

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