प्रदेश में बनेगा होम्योपैथी एम्स
आयुर्वेद विभाग ने सरकार को सौंपा प्रस्ताव, इलाज की प्राचीन पद्धति को मजबूत बनाने की योजना
शिमला —हिमाचल का भी अपना होम्योपैथी एम्स बनेगा। इसके लिए प्रदेश आयुर्वेद विभाग की ओर से प्रदेश सरकार और आयुष मंत्रालय को प्रस्ताव सौंप दिया गया है। आयुष मंत्रालय की ओर से प्रदेश की ओर से भेजे गए प्रस्ताव पर यदि मंजूरी मिलती है तो दिल्ली के बाद यह देश का दूसरा होम्योपैथी संस्थान होगा, जो हिमाचल में बनेगा। प्रस्ताव में होम्योपैथी अस्पताल के साथ उसमें टेस्टिंग लैब भी बनाई जाएगी। वहीं, शोध के लिए भी यहां पर विशेष जा़ेन बनाया जाएगा। हालांकि अभी यह तय किया जाने वाला है कि प्रदेश के आखिर किस स्थान पर इसे स्थापित किया जाना है, लेकिन भारत सरकार को सौंपे गए प्रस्ताव को लेकर दिल्ली में जल्द ही एक बैठक आयोजित की जाने वाली है, जिसमें प्रदेश से आयुर्वेद विभाग के आला अफसर भाग लेंगे। गौर हो कि प्रदेश की प्राचीन विद्याआें को अपग्रेड करने के लिए आयुर्वेद विभाग द्वारा यह बड़ा कदम उठाया जा रहा है। सूत्रों की मानें तो कांगड़ा के पपरोला में एम्स खोलना तय किया गया है। यदि इस प्रस्ताव को मंजूरी मिलती है तो प्रदेश सरकार की यह बड़ी उपलब्धि होगी, क्योंकि देश में अभी होम्योपैथी का विस्तार ज्यादा नहीं हो पाया है। हालांकि प्रदेश में भी होम्योपैथी की स्थिति ज्यादा मज़बूत नहीं हैं। यहां डाक्टर्स की संख्या 60 से भी कम है। लिहाजा एम्स स्थापित करने से प्रदेश में इलाज की प्राचीन पद्धति को एक नई दिशा मिल पाएगी।
होम्योपैथी एम्स कुछ यूं बनेगा वरदान
विशेषज्ञों का मानना है कि होम्योपैथी इलाज की एक ऐसी विद्या है, जिसमें मरीज़ को बीमारी को क्र ोनिक होने से पहले ही रोका जा सकता है। हालांकि यदि मामला क्रोनिक यानी गंभीर हो जाती है तो उसका इलाज एलोपैथी में किया जाता है, लेकिन इस इलाज में मरीज को दवा के काफी साइडइफेक्ट रहते हैं। लिहाजा आयुर्वेद और होम्योपैथी से इलाज करवाने पर बीमारी गंभीर अवस्था में पहुंचने से पहले रुक सकती है। यही नहीं, इस दवा का साइडइफे क्ट भी नहीं होता है।
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