प्रसिद्ध धार्मिक स्थल अल्मोड़ा

By: Dec 29th, 2018 12:07 am

दूर दूर तक फैले बर्फ  के पहाड़, उन पर बिखरी रुई  जैसी सफेद बर्फ, फूलों से भरे हुए पेड़, नर्म मुलायम घास, कल कल करते चांदी की भांति गिरते झरने और मन को मोह लेने वाले मनोरम दृश्य को देख कर ऐसा महसूस होता है जैसे अल्मोड़ा खूबसूरत विशाल पहाड़ों की गोद में आराम कर रहा हो। यहां देखने योग्य अनेक मंदिर और धार्मिक स्थल हैं…

गोलू देवता मंदिर

अल्मोड़ा से लगभग 8 किमी. दूर पिथौरागढ़ हाईवे पर न्याय के देवता गोलू  का प्रसिद्ध मंदिर है। ऐसी मान्यता है कि इस मंदिर का निर्माण चंद वंश के एक सेनापति ने 12वीं शताब्दी में करवाया था। गोलू जी देवता की अध्यक्षता में गौर भैरव के रूप में भगवान शिव विराजमान हैं। चितई के गोलू देवता के मंदिर को इसकी परिसर में लटकी तांबे की घंटियों द्वारा आसानी से पहचाना जा सकता है। पहाड़ी पर बसा यह मंदिर चीड़ और मिमोसा के घने जंगलों से घिरा हुआ है।

नंदा देवी मंदिर

नंदा देवी मंदिर का निर्माण चंद वंश के राजाओं द्वारा किया गया था। देवी की मूर्ति शिव मंदिर की ड्योढ़ी में स्थित है और स्थानीय लोगों द्वारा बहुत सम्मानित है। हर साल सितंबर में नंदा देवी मंदिर में मेला लगता है। जिसमें हजारों भक्तों की भीड़ रहती हैं। यह मेला चंद वंश की राज परंपराओं से संबंध रखता है। पंचमी तिथि से प्रारंभ मेले के अवसर पर  भव्य देवी की दो प्रतिमाएं बनाई जाती हैं।

कसार देवी मंदिर

कसार देवी उत्तराखंड के अल्मोड़ा के पास एक गांव है। यह कसार देवी मंदिर के कारण प्रसिद्ध है। यह मंदिर दूसरी शताब्दी के समय का है। इस मंदिर में मां दुर्गा साक्षात प्रकट हुई थीं। 1890 के दशक में स्वामी विवेकानंद ने कसार देवी मंदिर का दौरा किया था। यह कैं्रक रिज के लिए प्रसिद्ध है, जहां 1960-1970 के दशक में हिप्पी आंदोलन बहुत प्रसिद्ध हुआ था। उत्तराखंड देवभूमि का ये स्थान भारत का एकमात्र और दुनिया का तीसरा ऐसा स्थान है, जहां खास चुंबकीय शक्तियां उपस्थित हैं। कसार देवी मंदिर की अपार शक्ति से बड़े-बड़े वैज्ञानिक भी हैरान हैं। इस मंदिर में लोगों की गहरी आस्था और श्रद्धा है।

झूला देवी मंदिर रानीखेत

झूला देवी मंदिर रानीखेत शहर से 7 किमी. की दूरी पर स्थित एक लोकप्रिय पवित्र एवं धार्मिक मंदिर है। पवित्र मंदिर देवी दुर्गा को समर्पित है। मंदिर परिसर में झूला स्थापित होने के कारण देवी को झूला देवी नाम से पूजा जाता है। स्थानीय लोगों के अनुसार यह मंदिर 700 वर्ष पुराना है। यह माना जाता है कि झूला देवी अपने भक्तों की इच्छाओं को पूरा करती है और इच्छाएं पूरी होने के बाद भक्त यहां तांबे की घंटी चढ़ाते हैं। इस मंदिर को घंटियों वाला मंदिर भी कहा जाता है। झूला देवी मंदिर के समीप ही भगवान राम को समर्पित मंदिर भी है।

बिनसर महादेव मंदिर

मोटे देवदार के जंगलों के बीच में बिनसर महादेव का पवित्र मंदिर स्थित है। मंदिर के गर्भगृह में गणोश, हरगौरी और महेशमर्दिनी की प्रतिमा स्थापित है। कहा जाता है कि बिनसर महादेव 9-10वीं सदी में बनाया गया था और इसलिए ये उत्तराखंड में सदियों से एक महत्त्वपूर्ण धार्मिक स्थल रहा है। यहां हर साल जून के महीने में बैकुंठ चतुर्दशी के अवसर पर मेला लगता है। महिलाएं अपने हाथ में दीये लेकर संतान प्राप्ति के लिए आराधना करती हैं।


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