मेडिसिन स्टोर होंगे पर ‘जेनेरिक’ नहीं

By: Dec 20th, 2018 12:01 am

शिमला  – अब प्रदेश के अस्पतालों में स्थापित की गई निःशुल्क जेनेरिक औषधालय का नाम बदला जाएगा। अब इसमें जेनेरिक शब्द हटाया जाएगा। अस्पतालों में अब फ्री मेडिसिन स्टोर के नाम से दवाआें को जनता को दिया जाएगा। इसमें गुणवत्तायुक्त दवाआें की खरीददारी का आधार पहले रखा जाएगा। इसमें ब्रांडेड दवाएं जो मान्यता प्राप्त और सस्ती है उनकी खरीदारी तय की जाएगी। जानकारी के मुताबिक इसके लिए प्रदेश सरकार रोड मैप तैयार कर रही है। इसकी शुरुआत प्रदेश के सबसे बड़े अस्पताल आईजीएमसी से की जानी तय की गई है। इसमें जेनेरिक का नाम हटाया जा रहा है। गौर हो कि ‘दिव्य हिमाचल’ के 18 अगस्त के अंक  में दवाआें की गुणवत्ता को लेकर यह मामला उजागर किया गया था। इस पर विशेष सचिव स्वास्थ्य ने एक अहम बैठक बुलाई थी। इसमें स्वास्थ्य निदेशक के साथ आईजीएमसी प्रशासन कोे भी बुलाया गया था। लिहाजा इस गंभीर मसले पर बड़ा कदम उठाते हुए विशेष सचिव ने जनता को गुणवत्तायुक्त दवा देने पर एक स्पेशल रोड मैप बनाने और जेनेरिक नाम हटाने के बारे में कहा है। बता दें कि ‘दिव्य हिमाचल’ द्वारा उठाए गए मुद्दे में पर्ची पर जेनेरिक दवाआें को लिखने का दबाव डाल रही सरकार की खरीददारी पर ही सवाल उठाए गए हैं। इसमें सामने आया है कि आईजीएमसी के निःशुल्क जेनेरिक औषधालय में जो दर्द को लेकर जेनेरिक दवा मरीजों को दी जा रही है, वह ब्रांडेड दवा की कंपनी से भी महंगी  है।  आईजीएमसी में दर्द की जो दवा दी जा रही है, उसके एक पत्ते की कीमत 50 रुपए हैं, जबकि ब्रांडेड दवा की कीमत उससे लगभग छह रुपए कम है। हालांकि यह मरीजों को जनऔषधि केंद्रों से निःशुल्क दी जा रही है, लेकिन सवाल ये उठ रहे हैं कि प्रदेश सरकार जन औषधि केंद्रों में आखिर किस आधार से दवाआें की खरीददारी कर रही है। अब सवाल है यह कि  सरकार खरीददारी में सस्ती दवा को आधार बना रही है या फिर गुणवत्ता को?


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