योग रखे निरोग

By: Dec 15th, 2018 12:05 am

आजकल का आपाधापी वाला जीवन ही बढ़ती हुई बीमारियों का कारण है। व्यक्ति पर कई तरह के दबाव होते हैं, चाहे वह विद्यार्थी हो, व्यावसायिक हो या नौकरी पेशे वाले हों। योग मुद्रा, ध्यान और योग में श्वसन की विशेष क्रियाओं द्वारा तनाव से राहत मिलती है। योग मन को विशेष विषयों से हटाकर स्थिरता प्रदान करता है और कार्य विशेष में मन को स्थिर करने में सहायक होता है…

ठंड के दिनों में, उच्च रक्तचाप, हृदय रोग के रोगियों को खासकर बुजुर्गों को कई तरह की समस्याओं से जूझना पड़ता है। खासकर उन्हें रात के वक्त अधिक कष्ट होता है। डाक्टर की सलाह व योग विशेषज्ञ की सलाह से कुछ प्राणायाम करना इनके लिए लाभदायक हो सकता है। आजकल का आपाधापी वाला जीवन ही बढ़ती हुई बीमारियों का कारण है। व्यक्ति पर कई तरह के दबाव होते हैं, चाहे वह विद्यार्थी हो, व्यावसायिक हो या नौकरी पेशे वाले हों। योग मुद्रा, ध्यान और योग में श्वसन की विशेष क्रियाओं द्वारा तनाव से राहत मिलती है। योग मन को विभिन्न विषयों से हटाकर स्थिरता प्रदान करता है और कार्य विशेष में मन को स्थिर करने में सहायक होता है। नाड़ीशोधन प्राणायाम, वायु मुद्रा, पृथ्वी मुद्रा और आकाश मुद्रा जैसे प्राणायाम सर्दियों में करना फायदेमंद माना जाता है। मस्तिष्क की कार्यकुशलता बढ़ाने और तेज दिमाग पाने के लिए भी इस मौसम में योग जरूरी है।

नाड़ी शोधन प्राणायाम का अभ्यास

सिद्धासन, पद्मासन या सुखासन में रीढ़, गले व सिर को सीधा कर बैठ जाएं। दायीं नासिका को बंद कर बायीं नासिका से गहरी, धीमी व लंबी श्वास अंदर लें। उसके बाद बायीं नासिका को बंद कर दायीं नासिका से लंबी गहरी तथा धीमी श्वास बाहर निकालें। इसके तुरंत बाद इसी नासिका से श्वास लेकर बायीं नासिका से प्रश्वास करें। यह नाड़ी शोधन प्राणायाम की एक आवृत्ति है। शुरू में इसे 10 बार दोहराएं। धीरे-धीरे संख्या 24 तक कर लें।

वायु मुद्रा

वायु मुद्रा करने के लिए तर्जनी अंगुली को मोड़कर अंगूठे के मूल में लगाकर हल्का सा दबाएं और बाकी की सारी अंगुलियों को सीधा कर दें। इस मुद्रा में बैठे हुए रीढ़ की हड्डी बिलकुल सीधी रहनी चाहिए। वायु मुद्रा वात रोगों बेहद लाभकारी होती है। कमर दर्द, गर्दन दर्द, पार्किंसन, गठिया, लकवा, जोड़ों के दर्द में भी प्राणायाम की यह मुद्रा लाभ देती है।

आकाश मुद्रा

आकाश मुद्रा करने के लिए मध्यमा अंगुली को अंगूठे के अग्रभाग से लगा लें और बाकी अंगुलियों को बिलकुल सीधा कर लें। इस मुद्रा को नियमित रूप से करने से कान के रोग, बहरेपन, कान में भिनभिनाहट व व्यर्थ की आवाजें सुनाई देना व हड्डियों की कमजोरी दूर होती है। इस मुद्रा से माइगे्रन के दर्द से भी राहत मिलती है।

पृथ्वी मुद्रा

पृथ्वी मुद्रा बनाने के लिए अनामिका अंगुली को अंगूठे के अग्रभाग से लगाकर बाकी अंगुलियां को सीधा कर लें। यह मुद्रा शरीर की दुर्बलता को दूर कर वजन बढ़ाने में मदद करती है, यह शरीर में खून के दौरे को ठीक कर शरीर में स्फूर्ति, कांति एवं तेज उत्पन्न करती है और मांसपेशियों में मजबूती लाती है। इससे शरीर की कमजोरी दूर होती है। यह मुद्रा शरीर को स्वस्थ बनाए रखने में मदद करती है।


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