वेतन आयोग के पक्ष में जयराम सरकार

By: Dec 11th, 2018 12:06 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के परिवारों सहित वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है, लिहाजा समय-समय पर प्रदेश  की सरकारें अपने कर्मचारियों के हित में फैसले लेती आई हैं। कर्मचारियों की अन्य मांगों में भत्तों में बढ़ोतरी, मकान भत्ते में बढ़ोतरी, नए सरकारी आवासों के निर्माण के लिए बजट में वृद्धि, सेवानिवृत्ति आयु को 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष करना और 4.9.14 को लागू किया जाना अभी भी सरकार के समक्ष विचाराधीन है। चूंकि अगले वर्ष लोकसभा चुनाव होने हैं, इसके दृष्टिगत कर्मचारी वेतन आयोग की सिफारिशों को जल्दी लागू होते देखना चाहते हैं…

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर द्वारा केंद्रीय वेतन आयोग की तर्ज पर नए वेतन आयोग की सिफारिशों को अगले वर्ष से लागू करने की बात कहने से प्रदेश के सरकारी कर्मचारियों में एक बार पुनः वेतन बढ़ोतरी को लेकर चर्चाएं शुरू होना स्वाभाविक ही है। पहाड़ी राज्य होने के चलते यहां के अधिकतर परिवारों के कमाऊ सदस्यों की आजीविका पूर्णतया सरकारी नौकरियों पर निर्भर है। घरेलू खर्चों में वृद्धि, बच्चों की महंगी शिक्षा, सामाजिक एवं पारिवारिक जिम्मेदारियों के निर्वहन में होने वाले खर्चों के चलते प्रदेश का कर्मचारी वर्ग लंबे समय से केंद्रीय वेतन आयोग की तर्ज पर नए वेतनमान की सिफारिशों के लागू होने का बेसब्री से इंतजार कर रहा है। इससे हिमाचल प्रदेश के कर्मचारियों को जहां बढ़ती महंगाई से जूझने में मदद मिल सकेगी, तो वहीं कर्मचारियों के वेतनमान में वृद्धि के कारण व्यावसायियों और कारोबारियों के व्यापार में भी इजाफा होगा।

हिमाचल प्रदेश सरकार के आर्थिक एवं सांख्यिकी विभाग के आंकड़ों के मुताबिक 31 मार्च, 2017 तक राज्य सरकार की सेवा में नियमित कर्मचारियों की संख्या 1 लाख 77 हजार 338 थी। गैर नियमित कर्मचारियों की संख्या 42 हजार 872, अनुबंध पर 23 हजार 703, पार्ट टाइम कर्मियों की संख्या 4 हजार 666 और दैनिक वेतनभोगी कर्मचारियों की संख्या 10 हजार 578 थी। 2010 की तुलना में प्रदेश में कर्मचारियों की संख्या में 13 हजार की कमी दर्ज की गई है। चूंकि वेतन निर्धारण के मामले में हिमाचल प्रदेश में पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों का ही अनुसरण करना पड़ता है, लिहाजा पंजाब में हो रही देरी का इंतजार इस पर्वतीय राज्य के सरकारी कर्मचारियों को भी करना पड़ रहा है।

 केंद्र सरकार पहले ही सातवें केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को लागू कर एरियर्स आदि का भुगतान कर अपनी जिम्मेदारियों से फारिग हो चुकी है। हालांकि माना जा रहा है कि सातवें वेतन आयोग ने जूनियर लेवल पर बेसिक सैलरी में 14.27 फीसदी इजाफे की सिफारिश की थी, जो पिछले 70 वर्षों में सबसे कम बढ़ोतरी मानी जा रही है। ऐसी भी चर्चाएं हैं कि केंद्र सरकार जनवरी 2019 से फिटमेंट फैक्टर को लेकर बड़ा बदलाव कर सकती है। आशा है कि हिमाचल प्रदेश सरकार इस प्रकार के निर्णयों पर भी नजर रखेगी और भविष्य में किसी भी प्रकार की वेतन विसंगतियों को पैदा नहीं होने देगी। भारतवर्ष के कई अन्य राज्यों जम्मू व कश्मीर, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश आदि राज्यों ने भी सीधे केंद्रीय वेतन आयोग की सिफारिशों को अपने राज्यों में लागू कर दिया है। लिहाजा हिमाचल प्रदेश के भी कई कर्मचारियों का यह मानना है कि लंबे समय तक पंजाब वेतन आयोग की सिफारिशों के लागू होने का इंतजार करने से बेहतर होगा कि प्रदेश की जयराम ठाकुर सरकार 7वें वेतन आयोग की सिफारिशों को ही हिमाचल प्रदेश में भी कर्मचारी हित में लागू कर दे। हिमाचल प्रदेश में कर्मचारी हितों से जुड़ा एक अन्य मसला न्यू पेंशन स्कीम का भी है जिसे 15 मई, 2003 से राज्य में लागू किया गया था। अब हिमाचल प्रदेश की सरकारी सेवा में आए कर्मचारी इस योजना का लगातार विरोध कर रहे हैं और पुरानी पेंशन प्रणाली की बहाली की मांग को जोर-शोर से उठा रहे हैं, क्योंकि इस प्रणाली के अधीन सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारियों को मामूली पेंशन मिल रही है, जिसके कारण सेवानिवृत्त कर्मचारियों को गरिमामय तरीके से सेवानिवृत्त जीवन जीने में कई आर्थिक कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। आशा है कि सरकार नए कर्मचारियों की इस व्यथा का भी सहानुभूतिपूर्वक तरीके से माकूल समाधान निकालेगी।

हिमाचल प्रदेश में राज्य कर्मचारी महासंघ के अलावा लगभग सभी विभागों के कर्मचारियों की यूनियनें भी हैं, जो समय-समय पर कर्मचारी हित से जुड़े मुद्दों को सरकार के समक्ष उठाती रहती हैं। हिमाचल प्रदेश में सरकारी कर्मचारियों के परिवारों सहित वोटरों की संख्या काफी ज्यादा है, लिहाजा समय-समय पर प्रदेश की सरकारें अपने कर्मचारियों के हित में फैसले लेती आई हैं।

कर्मचारियों की अन्य मांगों में भत्तों में बढ़ोतरी, मकान भत्ते में बढ़ोतरी, नए सरकारी आवासों के निर्माण के लिए बजट में वृद्धि, सेवानिवृत्ति आयु को 58 से बढ़ाकर 60 वर्ष करना और 4.9.14 को लागू किया जाना अभी भी सरकार के समक्ष विचाराधीन है। चूंकि अगले वर्ष लोकसभा के चुनाव होने हैं, इसके दृष्टिगत भी कर्मचारी वेतन आयोग की सिफारिशों को जल्दी लागू होते देखना चाहते हैं। वहीं हिमाचल प्रदेश सरकार, केंद्र सरकार के सहयोग से यदि पुरानी पेंशन योजना को लागू करती है, तो यह आने वाले चुनावों में एक गेम चेंजर वाली बात भी साबित हो सकती है। कहते हैं कि उम्मीदों पर दुनिया कायम है, लिहाजा उम्मीद की जानी चाहिए कि हिमाचल प्रदेश सरकार आने वाले कुछ महीनों

में कर्मचारी हित में कुछ बड़े आर्थिक फैसले लेकर राज्य के कर्मचारियों का मनोबल बढ़ाएगी। कर्मचारी वर्ग काफी लंबे समय से सरकार के आगे अपनी मांगों को पूरा करने की गुहार लगा रहा है, तो ऐसे में अब यह वर्ग सरकार की ओर से सकारात्मक कार्रवाई की उम्मीद करता है। जयराम सरकार ने प्रदेश में कई अच्छे बदलाव करने की पहल की है। इसलिए सरकार को इस मामले में भी जनहित के लिए सोच कर जल्द कार्रवाई करनी चाहिए।

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