सोलन के कचहरी भवन खस्ता हाल
सोलन—सोलन का एक और ऐतिहासिक भवन अपनी बदहाली के आंसू बहा रहा है। इतिहासकारों के अनुसार हिमाचल प्रदेश के नामकरण की प्रक्रिया का चश्मदीद रहा इस कचहरी भवन की हालत काफी खस्ता है। विडंबना यह है कि भवन में लोक निर्माण विभाग सोलन के अधीक्षण अभियंता (एसई) का कार्यालय संचालित है, लेकिन अन्यों लोगों के लिए भवन निर्माण करने वाले विभागीय कर्मचारी इस टूटे व जर्जर होते जा रहे भवन में बैठने के लिए विवश हैं। गौर रहे कि चौक बाजार के समीप इस कचहरी भवन में दरारें गहरी होती जा रही हैं। भवन में लोक निर्माण विभाग के करीब चार दर्जन अधिकारी व कर्मचारी प्रतिदिन बैठते हैं, लेकिन भवन की खस्ताहालत को देखते हुए उन्हें हमेशा ही जान का जोखिम बना रहता है। भवन को कई स्थानीय संस्थाओं व इतिहासकारों द्वारा संग्रहालय बनाए जाने की मांग पिछले कई वर्षों से की जा रही है, लेकिन अभी तक इस बारे में कोई पहल नहीं की गई है। लोनिवि का कार्यालय होने के कारण प्रतिदिन अपने कार्यों से संबंधित लोगों का यहां आना-जाना लगा रहता है। करीब दो दशक पुराने इस भवन को धरोहर का दर्जा दिए जाने की भी मांग की जा रही है। जानकारी के अनुसार 26 जनवरी 1948 को प्रजामंडल के नेताओं की सोलन में एक सभा बुलाई गई। इस सभा में 27 रियासतों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया। बघाट के राजा दुर्गा सिंह को अध्यक्ष चुना गया। सभा में रियासती संघ के नाम पर राजाओं ने समझौते पर प्रस्ताव रखा और रियासतों का संघ का नाम हिमाचल प्रदेश रखा गया।
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