सौर ऊर्जा संवर्धन से आएगी आत्मनिर्भरता

By: Dec 17th, 2018 12:05 am

जीवन बिलासपुरी

लेखक, बिलासपुर से हैं

सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में यही सबसे बड़ी अड़चन है। अकसर देखा गया है कि जब सरकार बदलती है, तो इसके साथ-साथ उसकी प्राथमिकताएं भी बदल जाती हैं, जिससे कुछ योजनाओं के विस्तार पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्रदेश में उपयुक्त जगहों का चयन करके  सोलर पार्क स्थापित करने के लिए गंभीर प्रयास करने चाहिए। सरकार जनमंच कार्यक्रमों में सोलर रूफ पैनल से संबंधित अर्जियों को विशेष रूप से तत्काल सुविधा के आधार पर औपचारिकताओं को मौके पर पूरा कर लोगों की सहायता कर सकती है…

हिमाचल एक ऐसा प्रदेश है जहां बिजली चौबीस घंटे उपलब्ध रहती है। आखिर हो भी क्यों नहीं, पहाड़ों का सीना छलनी कर नदियों की धरोहर का पूरा दोहन करके ये सब संभव हो पाया है। इसके साथ ही प्रदेश में बिजली जिस कीमत पर उपलब्ध हो रही है, वह अन्य राज्यों के लिए किसी सपने से कम नहीं, लेकिन समय के साथ ऊर्जा की अन्य जरूरतें निरंतर बढ़ रही हैं। भविष्य की जरूरतों को पूरा करने के लिए बिजली से जुड़ी हर समस्या का हल सौर ऊर्जा ही है और साथ ही धन अर्जित करने व रोजगार सृजन का साधन भी है। सूर्य असीमित ऊर्जा का स्रोत है, जिसका संवर्धन करके आने वाले समय में खुशहाल जिंदगी व स्वच्छ वातावरण की ओर अग्रसर होना समय की पुकार है। घर में सभी उपकरण सौर ऊर्जा से चल सकते हैं, लेकिन अभी तक हम ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में सौर ऊर्जा से सिर्फ सोलर लाइटों से अपने रास्तों को ही रोशन कर पा रहे हैं। सौर ऊर्जा अन्य साधनों की अपेक्षा अधिक सुरक्षित है। भारत के अन्य राज्यों जैसे तेलंगाना, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और राजस्थान में निवेश के साथ-साथ सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों में विशेष छूट प्रदान की जाती है और ये राज्य सौर ऊर्जा उत्पादन में भी अपेक्षाकृत आगे हैं। सोलर ऊर्जा से संचालित होने वाले उपकरण किसानों के लिए भी वरदान साबित हो रहे हैं। खेतों में ही सोलर पैनल स्थापित करके सोलर पंप के माध्यम से सिंचाई व अन्य कृषि संबंधित उपकरणों का उपयोग किसानों के लिए वरदान साबित हो सकता है। सोलर ऊर्जा की मदद से सिंचाई का लक्ष्य हासिल करने के लिए प्रयास भी किए जा सकते हैं।

एक रिपोर्ट के मुताबिक चीन, जापान, जर्मनी, अमरीका, इटली और इंग्लैंड के बाद भारत सौर ऊर्जा का संवर्धन करने वाले देशों की कतार में सम्मिलित हो गया है। वर्ष 2030 में अत्यधिक मोटर-वाहन इलेक्ट्रसिटी से ही संचालित होंगे, जिसके चलते बढ़ती ऊर्जा की बढ़ती खपत को भी पूरा किया जा सकेगा। नेशनल इंस्टीच्यूट ऑफ सोलर एनर्जी की रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक हिमाचल प्रदेश में 34 त्रङ्ख सौर ऊर्जा उत्पादन का अनुमान है, जिसमें 3 प्रतिशत इस्तेमाल न होने वाली भूमि और घरों की छतें भी मौजूद हैं। वर्ष 2022 तक 700 रूङ्ख क्षमता को हासिल करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। सरकार ने लक्ष्य निर्धारण में सबसे ज्यादा महत्त्व घरों की छतों को दिया है, लेकिन अभी तक सरकार लक्ष्य प्राप्ति के लिए लोगों को योजना के प्रति आकर्षित करने में असफल रही है। यदि सरकार घरों, सरकारी दफ्तर और अन्य संस्थाओं में सारणीबद्ध तरीके से ऊर्जा संयंत्र लगाने में कामयाब हो जाती है, तो लोग खुद इसकी तरफ आकर्षित होंगे। इससे ऊर्जा की जरूरतों को पूरा किया जा सकता है और साथ-साथ अतिरिक्त बिजली को प्रदेश बिजली बोर्ड को बेचकर आय अर्जित की जा सकती है, क्योंकि एक आकलन के मुताबिक घरों की छतों से उपभोग की क्षमता की अपेक्षा तीन गुना अधिक ऊर्जा उत्पादन संभव है। हिमाचल प्रदेश सोलर ऊर्जा पालिसी 2016 निर्धारित किए गए लक्ष्यों के साथ 31 मार्च 2022 तक वैध है, यदि उसे आगे जारी नहीं रखा जाता है। इसके लिए हिम ऊर्जा द्वारा 45 फर्मों को अधिकृत किया गया है। जैसे-जैसे सौर ऊर्जा संयंत्रों का विस्तार होगा, वैसे-वैसे युवाओं को इस क्षेत्र में रोजगार के नए अवसर मुहैया होंगे। सौर ऊर्जा में असीमित संभावनाएं मौजूद हैं।

नियमों को आसान बनाकर व सबसिडी को जारी रख कर इस योजना को प्रत्येक गांव व घर तक पहुंचाया जाना चाहिए। लगभग तीन वर्ष बीत जाने के उपरांत भी सौर ऊर्जा रूफ प्लांट न के बराबर ही स्थापित हो पाए हैं। 80 प्रतिशत अनुदान के बावजूद या तो लोग इस योजना के प्रति आकर्षित नहीं हो पा रहे हैं या विभागों की जटिल औपचारिकताएं होने के कारण हतोत्साहित हो रहे हैं। इस प्रोजेक्ट के लिए हिम ऊर्जा, राजस्व विभाग, इलेक्ट्रसिटी बोर्ड और टाउन एंड सिटी प्लानिंग की तय औपचारिकताओं को पूर्ण करने की आवश्यकता होती है। यदि सरकार इस तरफ विशेष ध्यान दे, तो औपचारिकताओं के लिए एकल खिड़की की व्यवस्था का प्रावधान कर योजना को रफ्तार दी जा सकती है। उपभोक्ता एवं निवेशकों को ऑनलाइन प्लेटफार्म भी उपलब्ध करवाया जा सकता है, ताकि उन्हें सरकारी दफ्तरों के चक्कर लगाने से निजात मिल सके।

सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में यही सबसे बड़ी अड़चन है। अकसर देखा गया है कि जब सरकार बदलती है, तो इसके साथ-साथ उसकी प्राथमिकताएं भी बदल जाती हैं, जिससे कुछ योजनाओं के विस्तार पर इसका विपरीत प्रभाव पड़ता है। प्रदेश में उपयुक्त जगहों का चयन करके अन्य राज्यों की तर्ज पर सोलर पार्क स्थापित करने के लिए निश्चित रूप से गंभीर प्रयास करने चाहिए। सरकार जनमंच कार्यक्रमों में सोलर रूफ पैनल से संबंधित अर्जियों को विशेष रूप से तत्काल सुविधा के आधार पर सब औपचारिकताओं को मौके पर पूर्ण कर लोगों की इच्छानुसार सुविधा प्रदान कर सकती है। योजना के तहत लगने वाले उपकरणों को उच्च गुणवत्ता के आधार पर लगाया जाना चाहिए और निवेशकों व सेवा प्रदाताओं की जिम्मेदारी भी तय की जानी चाहिए, ताकि आने वाले समय में यह योजना प्रदेश के विकास में अहम रोल अदा कर सके।


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