हिंदुस्तान ओवैसी का भी…

By: Dec 5th, 2018 12:05 am

भाजपा के स्टार चुनाव प्रचारक एवं उप्र के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सार्वजनिक रैली के सामने यह कहा है कि यदि तेलंगाना में भाजपा की जीत होती है, तो ओवैसी निजाम की तर्ज पर हैदराबाद छोड़ कर भाग जाएंगे। ओवैसी ने तुरंत ताल ठोंकते हुए जवाब दिया-‘यह मेरे अब्बा का मुल्क है, तो बेटा क्यों भागेगा! हमारी 100 पीढि़यां हैदराबाद में ही रहेंगी।’ न जाने योगी ने क्या सोचकर यह बयान दिया और पलटजवाब भी सुनना पड़ा, क्योंकि यह बयान असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और इतिहास से परे है। बहरहाल यहां इतिहास खंगालने और दोहराने की गुंजाइश नहीं है। सवाल इतना-सा ही है कि चुनाव प्रचार के दौरान यह बयान क्यों दिया गया? चूंकि प्रधानमंत्री मोदी ने भी सवाल किया है कि क्या उनका हिंदुत्व ज्ञान एक चुनावी मुद्दा है? तो उसी तर्ज पर योगी से भी सवाल किया जा सकता है। लोकतंत्र में चुनावी हार के बाद पराजित पक्ष को देशनिकाला नहीं दिया जा सकता। भाजपा ने भी बेहद करारी चुनावी पराजय झेली है, जब लोकसभा में उसके मात्र 2 सांसद ही चुनकर आए थे। क्या किसी ने भाजपा को देश छोड़ कर भागने को विवश किया था? ऐसा किया ही नहीं जा सकता, क्योंकि यह देश संविधान और कानून से चलता है। संविधान में आजादी, बोलने और जीवन जीने, समता और सियासत के अधिकार प्रत्येक नागरिक को दिए गए हैं। उन्हें योगी आदित्यनाथ कैसे छीन सकते हैं, जबकि खुद उन्होंने संविधान की शपथ ले रखी है? ओवैसी लोकसभा सांसद हैं और 1991 से लगातार संसदीय चुनाव जीतते आए हैं। वह सांसद तभी बन सके, जब वह भारत और आंध्रप्रदेश (अब तेलंगाना) के संवैधानिक नागरिक थे। बेशक ओवैसी खुलकर मुसलमानों की पैरोकारी करते रहे हैं और सोच के स्तर पर कट्टरपंथी रहे हैं। योगी कह सकते थे कि वह ओवैसी की विचारधारा से मुक्त तेलंगाना की कल्पना करते  हैं, लेकिन हैदराबाद से उनके भागने का दावा किस आधार पर कर सकते हैं? यह एक आपराधिक बयान भी है, जिस पर चुनाव आयोग को संज्ञान लेना चाहिए। क्या योगी का यह मानना है कि ऐसे बयानों से ही हिंदू-मुसलमान विभाजन की स्थिति पैदा होती है और अंततः भाजपा को ही चुनावी फायदा होगा? क्या भाजपा ने योगी को इसीलिए स्टार प्रचारक बनाया है कि वह सांप्रदायिक आधार पर वोटों का धु्रवीकरण कर सकते हैं? लेकिन यह तय है कि देश संविधान से ही चलेगा और सांप्रदायिक एजेंडा बहुत देर तक चलने वाला नहीं है। एक तरफ योगी आदित्यनाथ विभिन्न राज्यों में चुनाव प्रचार पूरी तरह सांप्रदायिक लाइन पर करते रहे हैं और दूसरी तरफ उनके अपने राज्य के बुलंदशहर में हिंसा भड़क उठी है। फिर गोहत्या का मामला सामने आया है। फिर भीड़तंत्र हत्यारा बन गया है और हिंसा ने एसएचओ स्तर के पुलिस अधिकारी की हत्या कर दी है। पुलिस चौकी और कई वाहन खाक कर दिए गए हैं। क्या निजाम-पुराण पढ़ने के बजाय उप्र की कानून-व्यवस्था मुख्यमंत्री योगी की पहली जवाबदेही नहीं है? योगी के शासन के दौरान कई सवाल उठ रहे हैं और अराजकता सामने आई है। सिर्फ हिंदुत्व के राग जरूर सुनाई देते रहे हैं। क्या सांप्रदायिक सियासत के लिए ही योगी को उप्र का मुख्यमंत्री बनाया गया था? बहरहाल प्रसंग ओवैसी और उनकी पार्टी एमआईएम का था। अजीब विरोधाभास हैं कि कांग्रेस ओवैसी की पार्टी को भाजपा की ‘बी टीम’ करार देती है और भाजपा ही उसे हैदराबाद से बाहर खदेड़ने की बात कह रही है! भाजपा के सामने ओवैसी की सियासी हैसियत बहुत बौनी है, लेकिन एमआईएम महाराष्ट्र, बिहार, दिल्ली आदि राज्यों में भी चुनाव लड़कर भाजपा को फायदा पहुंचा चुकी है। यह महज आरोप नहीं, तथ्यात्मक सच है, लेकिन आंध्रप्रदेश में कांग्रेस ने ओवैसी की पार्टी के गठबंधन में ही सरकार बनाई थी। कमोबेश भाजपा का उसके साथ ऐसा कोई गठबंधन नहीं है। बड़ा सवाल किसी भी राजनीतिक पक्ष को शहर, चुनाव-क्षेत्र या देश से भगाने की बात कहने का है, तो वह बिलकुल अस्वीकार्य है। कमोबेश वोट के लिए ऐसा नहीं किया जाना चाहिए।

जीवनसंगी की तलाश है? तो आज ही भारत  मैट्रिमोनी पर रजिस्टर करें- निःशुल्क  रजिस्ट्रेशन!

 


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App