हिमाचली पुरुषार्थ के गौरव

By: Dec 26th, 2018 12:05 am

 कई ऐसे पुरुष हैं जो कुछ हटके करने की चाहत रखते हैं।  हर क्षेत्र में हिमाचली पुरुष कामयाबी का फलसफा लिख रहे हैं। वर्ष 2018 में भी उनका यह सफर जारी रहा। इस बार के अंक में हम आपको मिला रहे हैं, ऐसे  हिमाचल के गौरव से, जिन्होंने अपने दम पर लीक से हटकर काम किया …

अंकुश भारद्वाज

संगीत के क्षेत्र में शिमला जिले के कोटगढ़ के अंकुश भारद्वाज एक बड़ी हस्ती बनकर उभरे हैं। उन्हें इंडियन आइडल-10 का प्रथम रनरअप घोषित किया गया है। अंकुश भारद्वाज ‘दिव्य हिमाचल’ की ‘हिमाचल की आवाज’ में भी फर्स्ट रनरअप रह चुके हैं।

नितिन कुमार

संगीत के क्षेत्र में ऊना के नितिन कुमार एक बड़ी हस्ती बनकर उभरे हैं। उन्हें इंडियन आइडल-10 के तहत सीजन का बेस्ट परफार्मर घोषित किया गया है । वह ‘दिव्य हिमाचल एक्सीलेंस अवार्ड’ से भी नवाजे जा चुके हैं।

नंदलाल

प्रशासनिक सेवा में नंदलाल ने अपने सेवाकाल के दौरान विभिन्न पदों यथा सहायक कमिश्नर, चंबा, एसडीएम अर्की, एसडीएम बड़सर, मुख्यमंत्री के उप सचिव, सचिव, एचपीएसईबी, भु-अधिग्रहण समाहर्ताए मंडी एवं शिमला, कमिश्नर कामगार मुआवजा, विशेष सचिव जीएडी निदेशक आयुर्वेद तथा हिमाचल प्रदेश सरकार के विशेष सचिव स्वास्थ्य के रूप में कार्य किया।

प्रमेश चड्डा

देश के लिए कुछ करने का जज्बा था, तो उन्होंने उसे जिंदा रखने के लिए एक और रास्ता चुना। वह रास्ता था एक बाल फिल्म बनाना, जिससे बच्चों में देशभक्ति की भावना जागे और वे देश से प्यार करें। 1965 में बाल फिल्म बनाने का उनका विचार धरातल पर उतरा सन् 1968 में।

वरुण रत्न

धर्मशाला के वरुण रत्न सिंह ने व्यावसायिक स्तर पर भारत और अमरीका के रिश्तों को मजबूत करने की सराहनीय पहल की है। वरुण भारत और हिमाचल प्रदेश में अमरीकी व्यवसायियों के साथ मिलकर नए स्वरोजगार और रोजगार के आयाम स्थापित करने के लिए कार्य करने जा रहे हैं। साथ ही वरुण रत्न सिंह डिवेलपमेंट लॉजिक कंपनी की स्थापना करके प्रदेश के युवाओं को डिजिटल इंडिया के तहत रोजगार से जोड़ चुके हैं।

रितिक

चंडीगढ़ में होम्योपैथी मेडिकल कालेज एंड हास्पिटल पंजाबी यूनिवर्सिटी से बीएचएमएस की पढ़़ाई कर रहे रितिक ने ‘दिव्य हिमाचल’ से विशेष बातचीत में बताया कि हम तीन दोस्तों द्वारा फे्रेंडस चैरिटी के नाम से इस अभियान की शुरुआत चंडीगढ़ से की गई थी। क्योंकि रक्तदान एक ऐसा दान है, जिसकी आवश्यकता कभी भी किसी को भी पड़ सकती है। ऐसे में उन्होंने इस मुहिम को देशभर में शुरू करने का निर्णय लिया।

जगदीश

कुश्ती में देश का नाम सबसे ऊंचा रखने का जुनून पाले जगदीश पहलवान बिना सुविधाओं के अखाड़े में कुश्ती प्रतिभाओं को तराश रहे हैं। जिला के पंजगाई स्कूल में बतौर डीपीई पद पर कार्यरत जगदीश पहलवान सुबह-शाम चैहड़ अखाड़े में तथा ड्यूटी के समय दिन में स्कूली पहलवानों को कुश्ती की बारीकियां सिखा रहे हैं।

रतन लाल ठाकुर

रतन लाल ठाकुर स्कूल के समय वॉलीबाल, बास्केटबाल व एथलेटिक्स के साथ कबड्डी खेलते रहे। आर्मी से सूबेदार के पद से सेवानिवृत्त हुए बड़े भाई और सर्विसेज की ओर से प्रसिद्ध बॉक्सर रहे देवी राम ठाकुर को और स्कूल में गुरु को  प्रेरणास्रोत मानते है। रतन लाल ठाकुर देश के कबड्डी खिलाडि़यों को तराश रहे हैं।

भूपिंदर सिंह

भूपिंदर सिंह आज तक 1000 एथलेटिक्स खिलाडि़यों को प्रशिक्षण के जरिए रोजगार प्राप्त करवा चुके हैं। उनके शिष्य स्पोर्ट्स कोटे के जरिए पुलिस, आर्मी, टीचर, प्रोफेसर आदि पदों पर सेवाएं दे रहे हैं। यही नहीं, उनके दो खिलाडि़यों पुष्पा ठाकुर व संजो देवी को परशुराम अवार्ड से भी नवाजा जा चुका है।

राजेंद्र नेगी

जिएं तो जिएं कैसे…’ , तो ऐसे जिएं कि हमें हमेशा याद किया जाए। जी हां ऐसे हैं आईएएस अधिकारी राजेंद्र नेगी जी। आलीशान जिंदगी छोड़कर प्रदेश के एक सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी जो कि प्रदेश सरकार के विभिन्न अहम ओहदों के अलावा उपायुक्त व विशेष सचिव के पद पर सेवाएं दे चुके हैं, वह अनाथ बच्चों के बीच रिटायरमेंट के बाद अपना शेष जीवन व्यतीत करेंगे।

सुरेंद्र पाल

पहाड़ी भाषा को लिम्का बुक ऑफ  रिकार्ड में स्थान दिलाने वाले डा. सुरेंद्र पाल ने योगदान दिया।  वह अमरीका, आस्ट्रेलिया, सिंगापुर, चीन, मलेशिया, इंडोनेशिया, थाईलैंड जैसे देशों में अपने शोध कार्य प्रदर्शित कर चुके हैं। डा. पाल ने पीजीआई में मिर्गी के रोग पर गहन रिसर्च की और इस खोज से विदेशों में भी अपनी रिसर्च का लोहा मनवाया।

मैहताब सिंह

घर में गरीबी होने के कारण मैहताब सिंह को अगली पढ़ाई करना मुश्किल हो गया।  जैसे-तैसे इन्होंने स्वयं ही निजी तौर पर व्यवस्था करके दसवीं कक्षा तक की पढ़ाई की। दसवीं के बाद मैहताब सिंह भाखड़ा प्रोजेक्ट में जॉब करने लगे, लेकिन बच्चों को शिक्षा देकर उनका भविष्य संवारने की कसक पाले मैहताब सिंह ने नौकरी छोड़ दी। फिर 1960 में गालियां स्कूल में साक्षात्कार देकर जेबीटी लग गए।

डा. नरेंद्र अवस्थी

एचपीयू के परीक्षा नियंत्रक के रूप में इन्होंने कई  शैक्षणिक कार्य किए, जिसमें दीमक और चूहे द्वारा न खाए जाने वाली और न ही फटने वाली डिग्री का प्रोजेक्ट भी तैयार किया। डा. अवस्थी ने प्रदेश में इंटिग्रेटेड एग्जामिनेशन मैनेजमेंट सिस्टम को शुरू करने का प्लान बनाया। इसके तहत बीकॉम फाइनल की परीक्षा में पॉयलट के रूप में ट्रायल भी करवाया गया, जिसमें अत्याधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से मात्र एक ही दिन में परीक्षा परिणाम जारी कर दिया गया।

सुनील दत्त

सुनील दत्त ने वर्ष 2006 में भारत की चंडीगढ़ स्थित मशहूर खुंब उत्पादन कंपनी एग्रो डच इंडस्ट्रीज लिमिटेड में बतौर प्रबंधक अपनी सेवाएं आरंभ कीं। इस कंपनी द्वारा प्रतिदिन लगभग 100 टन मशरूम का उत्पादन किया जाता है। कंपनी द्वारा उनके उल्लेखनीय योगदान को ध्यान में रखते हुए उन्हें महाप्रबंधक के पद पर प्रोन्नति दी गई, जहां पर 6 वर्षों तक कार्यरत रहने के पश्चात उन्होंने अपनी सेवाओं को प्रदेश के लोगों  के लिए समर्पित करने का निर्णय लिया।

संजय यादव

किसने कहा सपने साकार नहीं होते, सच्ची मेहनत और लगन से सपनों को साकार किया जा सकता है। ऐसा ही सपना  और अपनी विरासत को आगे बढ़ाने का देखा था संजय यादव  ने, जो साकार किया है। जी हां  कुश्ती, वुशू जूडो व मार्शल आर्ट में महारत हासिल करने वाले  संजय यादव  को कौन नहीं जानता। संजय ने दुनिया भर में तिरंगे का मान बढ़ाया।

अर्थव चड्डा

22 साल की उम्र में इस युवा उद्यमी ने फूड प्रोसेसिंग यूनिट स्थापित करने का सपना देखा और आज नामचीन खाद्य पदार्थ निर्माता कंपनियां इस युवा उद्यमी के कंधे पर पांव रख कर आसमान छू रही हैं। आज शिबांबू इंटरनेशनल के बीडीएम ब्रांड के खाद्य उत्पाद सफलता की वह गाथा लिख रहे हैं कि देश के साथ-साथ विदेश में भी यह ब्रांड खूब सराहा जा रहा है।

विनोद कुमार सोनी

विनोद कुमार सोनी ने अपनी स्नातक की शिक्षा और बीएड करने के बाद जो सरकारी नौकरी का सपना पाला था समय के थपेड़ों के साथ-साथ जब वह टूटता सा प्रतीत होने लगा, तब उन्होंने अपने पुश्तैनी स्वर्णकार के व्यवसाय को आगे बढ़ाने के लिए प्रयास आरंभ किए।

सुनील

सिरमौर जिला के रेणुका विधानसभा क्षेत्र के एक छोटे से गांव माईना के रहने वाले रामानंद शर्मा व प्रेमलता शर्मा ने शायद ही सोचा होगा कि उनका बेटा जो माईना की पहाडि़यों पर नन्हे पांव को रखकर स्कूल तक पैदल पहुंचता है, वह किसी दिन विश्व के सबसे बड़ी महाशक्ति अमरीका में दौड़ को जीतने का लक्ष्य रखेगा।

अनिल

पहली बार इन्होंने बतौर रसायन शास्त्र लेक्चररकाम शुरू किया। वहीं पदोन्नत होकर विज्ञान विभागाध्यक्ष रहे। यहां इन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में काफी नाम कमाया। एक जून, 1998 को इन्होंने आर्मी स्कूल में प्रधानाचार्य पद के लिए साक्षात्कार दिया। 38 अभ्यर्थियों में इनका चयन हुआ।

पीयूष राज

चंबा के पीयूष राज  को कौन नहीं जानता।   पीयूष राज ने एक गजल की शुरुआत में कमानी ऑडिटोरियम में पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जेल सिंह के समक्ष  गजल गाई जिसे उन्होंने दो घंटे के लिए सुना था। उनकी आवाज में जादू है।

विजय कुमार

विजय कुमार की प्रतिमा को मध्य प्रदेश में सलाम किया है। मध्य प्रदेश की खेल एवं युवा कल्याण मंत्री ने मध्य प्रदेश शूटिंग रैंज का नाम करण ओलंपिक मेडलिस्ट सूबेदार मेजर आनरेरी कैप्टन विजय कुमार शर्मा के नाम पर करने का निर्णय लिया है। ख्ेल जगत में चमकता सितारा इन दिनों कोरियाम में होने वाली नेशनल लेवल शूटिंग रेंज का अभ्यास दिल्ली में कर रहा है।

राजीव सूद

सिंगापुर में आर्मी की नौकरी छोड़कर अपने बुजुर्गों के चाय  बागान के कारोबार को आगे बढ़ाने का संकल्प लेने वाले राजीव सूद पुरखों की विरासत को सहजने में व्यस्त हुए हैं। बुजुर्गों की धरोहर को संजो कर रखें तो हुआ न सोने पर सुहागा।

बीएस बहल

प्रदेश सरकार ने पर्यावरण संरक्षण के लिए पापा प्रोजेक्ट (पोल्यूशन अवेटिंग प्लांट्स अभियान) भले ही कुछ समय पहले छेड़ा हो, लेकिन कांगड़ा जिला की एक हस्ती पिछले 30 साल से इस मुहिम पर काम कर रही है। नाम है बीएस बहल।


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