हिमाचल के लिए अलग बने ट्रांसमिशन पॉलिसी

By: Dec 17th, 2018 12:01 am

शिमला – देश के पहाड़ी राज्यों के लिए अलग से ऊर्जा ट्रांसमिशन पॉलिसी चाहिए। पर्वतीय क्षेत्रों के लिए अलग से लागत प्रभावी तथा विश्वसनीय ऊर्जा संचरण एवं वितरण प्रणाली विकसित करने के लिए अलग से ट्रांसमिशन पॉलिसी की आवश्यकता है। पिछले महीने शिमला में आयोजित एकदिवसीय राष्ट्रीय सम्मेलन के दौरान मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर इस मसले को उठा चुके हैं। ऐसे में अब प्रदेश सरकार अपनी ओर से केंद्र की मोदी सरकार को इस संदर्भ में जल्द ही प्रस्ताव भी सौंपेगी, ताकि अगले वित्त वर्ष के दौरान हिमाचल को भी ट्रांसमिशन लाइन बिछाने के लिए केंद्र से बेहतर बजट मिल सके। प्रदेश की भौगोलिक स्थिति, ढलानों का ठहराव, भू-स्खलन व ग्लेशियर के बीच से ट्रांसमिशन लाइन बिछाना आसान काम नहीं है। अलग ट्रांसमिशल पॉलिसी तैयार होने के बाद पहाड़ी राज्यों को केंद्र से राहत भी मिल सकती है। इसमें बजट से लेकर मशीनरी  तक का लाभ भी मिलेगा। ऊर्जा विभाग के मुताबिक सात और आठ जनवरी को शिमला में होने वाली विधायक प्राथमिकताओं की बैठक के बाद अलग ट्रांसमिशन पॉलिसी तैयार करने के लिए प्रस्ताव केंद्रीय ऊर्जा मंत्रालय को भेजा जाएगा। बताया जा रहा हे कि हिमाचल प्रदेश ऊर्जा संचरण निगम सीमित राज्य में जलविद्युत परियोजनाओं के लिए ट्रांसमिशन प्रणाली को विकसित कर रहा है। पहाड़ी क्षेत्रों में ट्रांसमिशन लाइनें बिछाना मैदानी क्षेत्रों की अपेक्षा काफी कठिन है। इसलिए उपभोक्ताओं को विश्वसनीय, निर्बाध तथा लागत प्रभावी विद्युत आपूर्ति प्रदान करने के लिए विशेष कार्यनीति तैयार करने के लिए प्रदेश सरकार सभी पहाड़ी राज्यों का पक्ष रखेगी। उल्लेखनीय है कि हिमाचल प्रदेश में करीब 10 हजार मेगावाट क्षमता की जलविद्युत परियोजना क्रियान्वयन के विभिन्न चरणों में हैं। राज्य ने अभी तक 10 हजार 500  मेगावाट विद्युत क्षमता का दोहन कर लिया है। यहां तक कि प्रदेश सरकार ने नई ऊर्जा नीति भी तैयार की है। बताया गया कि अभी भी हिमाचल प्रदेश में 27 हजार मेगावाट की विद्युत क्षमता मौजूद है, जो देश की कुल क्षमता का एक चौथाई है।

वन वैली-वन लाइन पर जोर देगी सरकार

प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए प्रदेश सरकार वन वैली-वन लाइन योजना पर बल देगी, ताकि प्राकृतिक आपदा यानी भारी बर्फबारी, भू-स्खलन, गलेशियर और हिमखंड खिसकने के बाद भी लाइन टूटने की नौबत न आ सके। पहाड़ी राज्य होने के नाते हिमाचल प्रदेश में ऊर्जा ट्रांसमिशन लाइनों के निर्माण के लिए विशेष डिजाइन की आवश्यकता है, जिसे ऊर्जा विभाग मान रहा है।


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