अमरीका की ताकीद बेमानी

By: Jan 9th, 2019 12:06 am

डा. वरिंदर भाटिया

पूर्व कालेज प्रिंसीपल

भारत लंबे समय से अफगानिस्तान की मानवीय पहलू के आधार पर यथासंभव मदद कर रहा है। इसके पीछे की भावनाएं साम्राज्यवादी ताकतों के मसीहा की समझ से बाहर हैं। भारत ने अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर सड़कें एवं बांध बनवाए हैं तथा तीन अरब डालर की मदद की प्रतिबद्धता भी जताई है। भारत-अफगानिस्तान के न सिर्फ राजनीतिक, बल्कि भावनात्मक रिश्ते भी हैं, जिसका एक समृद्ध इतिहास है। दोनों दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के भी सदस्य हैं। दोनों देशों के बीच प्राचीन काल से ही गहरे संबंध रहे हैं। ट्रंप को भारत-अफगानिस्तान के ऐतिहासिक रिश्ते का अल्प ज्ञान जान पड़ता है…

राजनीतिक पूर्वाग्रहों से ऊपर उठते हुए अफगानिस्तान में एक पुस्तकालय की फंडिंग को लेकर अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तंज कसने को लेकर तीन जनवरी को कांग्रेस ने ट्रंप पर निशाना साधते हुए कहा कि अफगानिस्तान में विकास कार्यों के संदर्भ में भारत को अमरीका से उपदेश की जरूरत नहीं है। ट्रंप के बयान यह दर्शाते हैं कि अमरीका की आर्थिक और सामरिक शक्ति के कर्ता-धर्ता होने का दंभ उनके सर चढ़कर बोल रहा है। भारत लंबे समय से अफगानिस्तान की मानवीय पहलू के आधार पर यथासंभव मदद कर रहा है। इसके पीछे की भावनाएं साम्राज्यवादी ताकतों के मसीहा की समझ से बाहर हैं। भारत ने अफगानिस्तान में बड़े पैमाने पर सड़कें एवं बांध बनवाए हैं तथा तीन अरब डालर की मदद की प्रतिबद्धता भी जताई है। अफगानिस्तान और भारत एक-दूसरे के पड़ोस में स्थित दो प्रमुख दक्षिण एशियाई देश हैं। यानी न सिर्फ राजनीतिक, बल्कि भावनात्मक रिश्ते भी हैं, जिसका एक समृद्ध इतिहास है। दोनों दक्षिण एशियाई क्षेत्रीय सहयोग संगठन (दक्षेस) के भी सदस्य हैं। दोनों देशों के बीच प्राचीन काल से ही गहरे संबंध रहे हैं। ट्रंप को भारत-अफगानिस्तान के ऐतिहासिक रिश्ते का अल्प ज्ञान जान पड़ता है। इन रिश्तों का इतिहास आज की पीढ़ी के लिए भी अत्यंत दिलचस्प है। महाभारत काल में अफगानिस्तान के गांधार जो वर्तमान समय में कंधार है, की राजकुमारी का विवाह हस्तिनापुर (वर्तमान दिल्ली) के राजा धृतराष्ट्र से हुआ था। अफगानिस्तान को छोड़कर भारत के बृहद इतिहास की कल्पना नहीं की जा सकती।

कहना चाहिए कि वह 7वीं सदी तक अखंड भारत का एक हिस्सा था। इतिहास के पन्ने बताते हैं कि अफगानिस्तान पहले एक वैदिक राष्ट्र था, बाद में यह बौद्ध राष्ट्र बना और अब वह एक इस्लामिक राष्ट्र है। 26 मई, 1739 को दिल्ली के बादशाह मुहम्मद शाह अकबर ने ईरान के नादिर शाह से संधि कर उपगण स्थान अफगानिस्तान उसे सौंप दिया था। 17वीं सदी तक अफगानिस्तान नाम का कोई राष्ट्र नहीं था। अफगानिस्तान नाम का विशेष प्रचलन अहमद शाह दुरानी के शासनकाल (1747-1773) में ही हुआ। इसके पूर्व अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह आदि नामों से पुकारा जाता था, जिसमें गांधार, कंबोज, कुंभा, वर्णु, सुवास्तु आदि क्षेत्र थे। अफगनिस्तान में हिंदूकुश नाम का एक पहाड़ी क्षेत्र है, जिसके उस पार कजाकिस्तान, रूस और चीन जाया जा सकता है। ईसा के 700 साल पूर्व तक यह स्थान आर्यों का था। ईसा पूर्व 700 साल पहले तक इसके उत्तरी क्षेत्र में गांधार महाजनपद था, जिसके बारे में भारतीय स्रोत महाभारत तथा अन्य ग्रंथों में वर्णन मिलता है। अफगानिस्तान की सबसे बड़ी होटलों की शृंखला का नाम ‘आर्याना’ था और हवाई कंपनी भी ‘आर्याना’ के नाम से जानी जाती थी। काफी अरसा पहले अफगानिस्तान को आर्याना, आर्यानुम्र वीजू, पख्तिया, खुरासान, पश्तूनख्वाह और रोह आदि नामों से पुकारा जाता था। पारसी मत के प्रवर्तक जरथ्रुष्ट द्वारा रचित ग्रंथ ‘जिंदावेस्ता’ में इस भूखंड को ऐरीन-वीजो या आर्यानुम्र वीजो कहा गया है। आज भी अफगानिस्तान के गांवों में बच्चों के नाम आपको कनिष्क, आर्यन, वेद आदि मिलेंगे। उत्तरी अफगानिस्तान का बल्ख प्रांत दुनिया की कुछ बेहद महत्त्वपूर्ण ऐतिहासिक विरासतों को सहेजे हुए है। इसके कुछ प्राचीन शहरों को दुनिया के सभी शहरों का जनक कहा जाता है। ये बल्ख के तराई इलाकों की समतल भूमि है, जिसके प्राचीन व्यापारिक मार्ग ने खानाबदोशों, योद्धाओं, साहसी लोगों और धर्म प्रचारकों का ध्यान अपनी ओर खींचा। इन लोगों ने अपने पीछे यहां ऐसे रहस्यों को छोड़ा, जिन्हें पुरातत्वविदों ने खोजना शुरू ही किया है। पिछले वर्ष ही अफगानिस्तान में 5000 साल पुराना एक विमान मिला है। इस विमान के महाभारतकालीन होने का अनुमान है। यह खुलासा ‘वायर्ड डाट कॉम’ की एक रिपोर्ट में किया गया है। रिपोर्ट के मुताबिक अफगानिस्तान की एक प्राचीन गुफा में रखा प्राचीन भारत का एक विमान पाया गया है। अब सवाल है कि ये इतने वर्षों तक सुरक्षित कैसे रहा। दरअसल, यह विमान ‘टाइम वेल’ में फंसा हुआ है। इसी कारण सुरक्षित बना हुआ है। ‘टाइम वेल’ इलेक्ट्रोमैग्नेटिक शॉकवेव्स से सुरक्षित क्षेत्र होता है और इस कारण से इस विमान के पास जाने की चेष्टा करने वाला कोई भी व्यक्ति इसके प्रभाव के कारण गायब या अदृश्य हो जाता है।

कहा जा रहा है कि यह विमान महाभारतकाल का है और इसके आकार-प्रकार का विवरण महाभारत और अन्य प्राचीन ग्रंथों में किया गया है। इस कारण से इसे गुफा से निकालने की कोशिश करने वाले कई अमरीकी सील कमांडो गायब हो गए हैं या फिर मारे गए हैं। करीब 3500 साल पहले एकेश्वरवादी धर्म की स्थापना करने वाले दार्शनिक जोरास्टर यहीं रहते थे, पठान पख्तून होते हैं। पठान को पहले पक्ता कहा जाता था। ऋग्वेद के चौथे खंड के 44वें श्लोक में भी पख्तूनों का वर्णन ‘पक्तयाकय’ नाम से मिलता है। इसी तरह तीसरे खंड का 91वें श्लोक आफरीदी कबीले का जिक्र ‘आपर्यतय’ के नाम से करता है। दरअसल, अंग्रेजी शासन में पिंडारियों के रूप में जो अंग्रेजों से लड़े, वे विशेषकर पठान और जाट ही थे। पठान जाट समुदाय का ही एक वर्ग है। कुछ लोग इन्हें बनी इजराइलियों का वंशज मानते हैं। अफगानिस्तान में पहले आर्यों के कबीले आबाद थे और वे सभी वैदिक धर्म का पालन करते थे, फिर बौद्ध धर्म के प्रचार के बाद यह स्थान बौद्धों का गढ़ बन गया। यहां के सभी लोग ध्यान और रहस्य की खोज में लग गए। कुछ अरसे बाद यहां एक अलग शुरुआत हुई। बुद्ध के शांति के मार्ग को छोड़कर ये लोग अलग मार्ग पर चल पड़े। शीतयुद्ध के दौरान अफगानिस्तान को तहस-नहस कर दिया गया। यहां की संस्कृति और प्राचीन चिह्न मिटा दिए गए।

21वीं सदी में तालिबान के पतन के बाद दोनों देशों के संबंध फिर से काफी मजबूत हो गए हैं। भारत ने अफगानिस्तान के पुनर्निर्माण में रचनात्मक हिस्सेदारी की है। मई 2016 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की ईरान यात्रा के समय चाबहार बंदरगाह के विकास पर जो समझौता हुआ, उसमें अफगानिस्तान भी शामिल है। इस बंदरगाह से स्थलमार्ग अफगानिस्तान से होकर मध्य एशिया को जाएगा। भारत और अफगानिस्तान के बीच पाइप लाइन परियोजना पर भी हस्ताक्षर हुए हैं। इसका उद्देश्य तुर्कमेनिस्तान से अफगानिस्तान-पाकिस्तान होते हुए भारत में प्राकृतिक गैस लाना है। भारत और अफगानिस्तान के बीच पुराने सांस्कृतिक संबंध भी रहे हैं। भारत अनेक अफगानी छात्रों को छात्रवृत्तियां देता है, आईने में सब साफ नजर आता है। भारत नहीं समझता है कि उसे अफगानिस्तान के निर्माण को लेकर आर्थिक शक्ति होने के अभिमान से प्रभावित ट्रंप साहिब के नैतिक सर्टिफिकेट की जरूरत है।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App