उज्जैन से ज्योतिर्लिंग लाएंगे चोकरवासी

By: Jan 21st, 2019 12:05 am

नौहराधार—देवभूमि हिमाचल सच में देवो का स्थान है और यहां रहने वाले लोगों की देवी-देवताओं के प्रति बहुत ज्यादा आस्था है। यह आस्था नौहराधार क्षेत्र के चोकर गांव में दिखी, जो लोग 15 जनवरी को मध्यप्रदेश के उज्जैन गए हैं, जहां पर ओम कालेश्वर जी का मंदिर है। साथ में वहां पर नर्मदा व कावेरी नदी का संगम हैं। चोकर व भंगाडी गांव के करीब 35 लोग अपना कामकाज छोड़कर नर्मदा व कावेरी नदी से मंगलेश्वर ज्योतिर्लिंग लेने गए हैं। यह ज्योतिर्लिंग इन दोनों नदी के संगम के अंदर पानी से प्राप्त करनी पड़ती हैं। मजेदार बात यह है कि यह लोग वहां तक गाड़ी में गए हंै व वापस 1600 किलोमीटर का सफर ज्योतिर्लिंग को पालकी में उठाकर पैदल  कर रहे हंै।  यही नहीं यह पालकी को नीचे जमीन पर भी नहीं रखते बारी बारी से पालकी को उठाया जा रहा हैं। 1600 किलोमीटर के इस सफर में इन लोगों को करीब 25 दिन लग जाएंगे। इन्होंने यह ज्योतिर्लिंग अपने गांव केंथा में स्थापित करनी है, जब इस लिंग को स्थापित करेंगे तो वहां पर विशाल भंडारे व यज्ञ का आयोजन होगा। बाद में यहां पर एक भव्य मंदिर बनाया जाएगा। कथाओं के अनुसार उज्जैन में यह शिवलिंग तब प्रकट हुआ था जब भगवान शिव ने त्रिपुरासुर नामक राक्षस  का वध किया था ओर अपने अस्त्र-शस्त्र इन्हीं नदियों पर अर्पित किए थे। यहां पर कालेश्वर ज्योतिर्लिंग का निर्माण स्वतः ही हुआ है । तभी लोग यहां से शिवलिंग को लाते हैं। मध्यप्रदेश में देश के 12 ज्योतिर्लिंगो में से  दो ज्योति लिंग विराजमान है। एक उज्जैन में महाकाल के रूप में और दूसरा ओम कालेश्वर में मगेश्वर के रूप में विराजमान हैं। सुना है कि देश मे जिस भी मंदिर पर कालेश्वर के मंदिर है यहीं से ज्योतिर्लिंग को लाया जाता है और स्थापित किए जाते हैं। शिवलिंग के लिए निकले उत्तम सिंह, मंजीत व प्रदीप सिंह ने बताया कि हम 18 जनवरी को हम शिवलिंग लेकर वापस घर के लिए चल पड़े हैं । हम लोग बारी बारी से शिवलिंग को उठा रहे हैं। न ही पालकी को नीचे जमीन पर रख रहे हैं। हमें घर पहुंचने में करीब 25 से 30 दिन लग जाएंगे। पहुंचते ही शिवलिंग को स्थापित कर देंगे।


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