कबड्डी का चमकता सितारा है सुषमा शर्मा

By: Jan 30th, 2019 12:07 am

शिखर पर

जिला सिरमौर ही नहीं अपितु हिमाचल के साथ-साथ देश का नाम अंतरराष्ट्रीय पटल पर कबड्डी के क्षेत्र में चमका चुकी जिला सिरमौर के गिरिपार क्षेत्र के शिलाई क्षेत्र की मशहूर बेटी प्रियंका नेगी व रितु नेगी के बाद सिरमौर जिला के गिरिपार क्षेत्र की चार ओर बेटियों ने भारतीय महिला कबड्डी टीम के लिए अपनी ताल ठोक दी है। हिमाचल प्रदेश की महिला कबड्डी टीम का नेतृत्व महाराष्ट्र के पुणे में हाल ही में संपन्न हुई खेलो इंडिया राष्ट्रीय प्रतियोगिता में जिला सिरमौर के शिलाई की बेटी सुषमा शर्मा ने बतौर कप्तान कर साबित कर दिया है कि गिरिपार की बेटियां किसी से कम नहीं हैं। सिरमौर जिला के क्षेत्र की बेटियों के हौसले पहाड़ों से भी मजबूत व ऊंचे हैं इस बात को सिरमौर जिला के क्षेत्र की बेटियों ने कबड्डी के क्षेत्र में  साबित कर दिया है। खेलो इंडिया में विजेता रही हिमाचल की कबड्डी टीम में सिरमौर जिला के क्षेत्र की चार बेटियों ने प्रदेश का नेतृत्व किया, जिसमें  शिलाई के गांव की सुषमा शर्मा ने बतौर कप्तान हिमाचल का नेतृत्व किया। इसके अलावा क्षेत्र के ही मिल्लाह गांव की पुष्पा ठाकुर, जरबा गांव के जुगाईना निवासी गोपी शर्मा व धकौली की साक्षी शर्मा भी हिमाचल प्रदेश को कबड्डी में स्वर्ण पदक दिलाने की साक्षी बनी। भारतीय महिला टीम के लिए शिलाई की चारों बेटियों ने ताल ठोक दी है। हिमाचल प्रदेश की महिला कबड्डी टीम का नेतृत्व बतौर कप्तान करने वाली सुषमा शर्मा अपने अगले मुकाम के लिए तैयार है। जिला सिरमौर के ट्रांसगिरि क्षेत्र के द्राबिल गांव की सुषमा शर्मा ने महज 10 साल की उम्र में चैंपियन बनने का सपना देखा था। शुक्रवार को खेलो इंडिया के फाइनल मुकाबले में सुषमा स्वयं तो बतौर टीम कप्तान चैंपियन बनी ही। साथ ही कुशल नेतृत्व के कारण हरेक सदस्य गौरवान्वित हो गया है। छह बहन-भाइयों में सबसे छोटी सुषमा ने उस वक्त कबड्डी खेलना शुरू कर दिया था जब उम्र नौ साल की थी। तीन साल पहले साईं होस्टल बिलासपुर में दाखिला मिल गया। उल्लेखनीय है कि हरियाणा को 27-30 से हराकर हिमाचल की टीम चैंपियन बनी है। राज्य से अब तक प्रियंका नेगी, रितु नेगी, निधि शर्मा व कविता ठाकुर देश की महिला कबड्डी टीम में अपना डंका बजा चुकी हैं। 20 साल की बाला सुषमा का भी लक्ष्य भारतीय टीम में शामिल होकर देश का प्रतिनिधित्व करने का है। अहम बात यह है कि सात खिलाडि़यों ने फाइनल मुकाबले में हिस्सा लिया। इसमें से चार बेटियां ट्रांसगिरि क्षेत्र की थी। सुषमा के अलावा पुष्पा चौहान, साक्षी शर्मा व गोपी भी जीत का जश्न मना रही हैं। खेलो इंडिया में जोरदार प्रदर्शन के बाद हिमाचल की टीम का नेतृत्व बिलासपुर में हर्षोल्लास से किया गया। दिव्य हिमाचल से बातचीत में सुषमा शर्मा ने कहा कि पूरी टीम केवल गोल्ड मेडल पर ही निशाना साधे हुए थी। उन्होंने कहा कि इंटर यूनिवर्सिटी में एक गोल्ड मेडल के अलावा दो अन्य पदक भी हासिल कर चुकी है। इसके अलावा जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में भी स्वर्ण पदक हासिल हुआ था यानी सुषमा अब तक राष्ट्रीय स्तर तक अपनी चमक बिखेरने में बखूबी कामयाब हुई है। द्राबिल गांव में सुषमा शर्मा के पिता मदन सिंह के अलावा पूरा क्षेत्र टीम की कामयाबी पर फूला नहीं समां रहा है। गौर हो कि सुषमा के अलावा शिलाई क्षेत्र की ही प्रियंका नेगी व रितु नेगी कबड्डी के विश्व कप व एशियाई खेलों में भारतीय टीम का नेतृत्व कर चुकी हैं। प्रियंका नेगी व रितु नेगी भी हिमाचल के बिलासपुर स्थित कबड्डी खेल छात्रावास से प्रशिक्षण प्राप्त हैं। वर्तमान में सुषमा शर्मा भी बिलासपुर स्थित कबड्डी खेल छात्रावास से प्रशिक्षण प्राप्त कर रही है। सुषमा के पिता मदन शर्मा ने बताया कि बचपन से ही सुषमा कबड्डी की ओर आकर्षित होती थी। यही कारण है कि वह मात्र नौ से 10 वर्ष की उम्र से कबड्डी के मैदान में अभ्यास करने लगी थी। इसके फलस्वरूप उसका चयन बिलासपुर के लिए कबड्डी छात्रावास के लिए हुआ था।

— सूरत पुंडीर, नाहन

मुलाकात ः खेल के मूलभूत ढांचे में सुधार जरूरी…

खेलों से आपके जीवन में क्या परिवर्तन आया?

खेलों ने मुझे जीवन में समय का सदुपयोग कैसे करना है यह सिखाया है। जब मेरा चयन राज्य खेल छात्रावास बिलासपुर के लिए हुआ तो मैंने अपने जीवन की समयसारिणी बदलकर कड़ी मेहनत व लग्न से अपने जीवन का लक्ष्य तय किया है।

कबड्डी ही क्यों?

बचपन से ही मुझे खेलने व पढ़ने में काफी रुचि थी। पांचवी कक्षा के दौरान प्राथमिक स्कूलों की खेलकूद प्रतियोगिता के दौरान कबड्डी के लिए मेरा चयन राज्य स्तरीय प्रतियोगिता के लिए हुआ जो मंडी के जोगिंद्रनगर में आयोजित की गई थी। मेरे बेहतरीन प्रदर्शन के चलते जिला सिरमौर पहली बार विजेता रहा था। इसी प्रतियोगिता के बाद मैंने कबड्डी को अपना लक्ष्य चुना।

हिमाचली परिदृश्य में खेल जीवन को कैसे परिभाषित करना चाहेंगी?

हिमाचल की मुश्किल व कठिन भौगोलिक स्थिति के कारण प्रदेश में कबड्डी के खिलाड़ी अन्य राज्यों की तर्ज पर बेहतरीन हैं। सरकार को चाहिए कि हिमाचल जैसे राज्य में कबड्डी को प्रोत्साहन करने के लिए खेल के मूलभूत ढांचे में सुधार किया जाए।

कोई महिला खिलाड़ी, जो आपका आदर्श रही?

कबड्डी खेल छात्रावास बिलासपुर की कबड्डी खिलाड़ी निधि शर्मा ने मुझे कबड्डी खेलने के लिए प्रेरित व प्रोत्साहित किया।

‘खेलो इंडिया खेलो’ का अनुभव?

खेलो इंडिया एक ऐसा मंच है जहां पर युवा खिलाडि़यों को कम उम्र में राष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। 2019 के खेलो इंडिया यूथ गेम्स में बतौर हिमाचल प्रदेश टीम की कप्तान के रूप में मैंने श्रेष्ठ प्रदर्शन देने का प्रयास किया। टीम की आपसी सामंजस्य की बदौलत हम हिमाचल के लोगों की उम्मीदों पर खरा उतरे तथा टीम को विजयी मुकाम तक पहुंचाया। बतौर कप्तान टीम को साथ लेकर चलना व खेल के दौरान खिलाडि़यों को प्रोत्साहित करना एक अच्छा अनुभव था जो मुझे आदर्श गुरुओं से प्राप्त हुआ।

जीत-हार के बीच सुषमा शर्मा का संयम क्या है?

मेरा पहला लक्ष्य केवल जीत और जीत है। यदि टीम विरोधी टीम से पीछे चल रही होती है तो मैं टीम के खिलाडि़यों के साथ बातचीत कर सभी को अपने आपको स्थिर रखने व विरोधी टीम की कमियों को जांच कर मैच को अपने पक्ष में करने का प्रयास ही संयम है।

कोई ऐसी जीत या हार जो आज भी रोमांचित करती है या सबक की तरह गूंजती है?

खेलो इंडिया यूथ गेम्स का मुकाबला हरियाणा के साथ हुआ था उसमें अंतिम तीन मिनट तक हरियाणा की टीम चार प्वाइंट आगे थी। करो या मरो की स्थिति को देखते हुए मैंने एक रेड द्वारा तीन प्वाइंट हासिल किए, जिससे हरियाणा का केवल एक खिलाड़ी मैदान में रहा। उसको भी हमारी टीम ने आउट कर तीन प्वाइंट हासिल किए तथा हिमाचल की टीम दो प्वाइंट से आगे हो गई। यह मैच टर्निंग प्वाइंट था।

हिमाचल में महिला खेलों की स्थिति व संभावना?

हिमाचल की महिलाएं कबड्डी खेलना चाहती हैं, परंतु माता-पिता व समाज का ग्रामीण क्षेत्रों में पर्याप्त सहयोग नहीं मिलता है। मैंने जब भी अपने क्षेत्र की स्कूल की लड़कियों से कबड्डी के बारे में बातचीत की तो मुझे ऐसा महसूस हुआ कि ग्रामीण क्षेत्रों की लड़कियां खेलना तो चाहती हैं परंतु समाज का रूझान व परिवार की आर्थिक स्थिति उन्हें आगे बढ़ने से रोकती है।

कोई तीन सुझाव प्रस्तावित हिमाचल खेल नीति के संदर्भ में?

संभावना- अगर सरकार प्राथमिक स्कूल स्तर पर खेलों के लिए अनुदान राशि व मूलभूत सुविधाओं में इजाफा करती है तो ग्रामीण क्षेत्रों की प्रतिभाएं हिमाचल को मिल सकती हैं। तहसील स्तर पर खेल छात्रावास का निर्माण होना चाहिए तभी हिमाचल को उच्च कोटी के खिलाड़ी प्राप्त होंगे।  प्राथमिक स्कूल स्तर पर खेल के लिए आधारित संरचना व अनुदान राशि बढ़ाई जानी चाहिए। तहसील स्तर पर खेल छात्रावास का निर्माण किया जाना चाहिए तथा स्कूलों में आदर्श प्रशिक्षक की तैनाती की जानी चाहिए।

आपके व्यक्तित्व का कितना प्रतिशत खेलों से ही मिला?

शत-प्रतिशत खेलों से प्राप्त हुआ है।

खेलों में करियर का चयन करते हुए, कौन सी बातों पर गौर करना चाहिए?

खेलों में करियर के लिए हमें समय का सदुपयोग करना पड़ेगा। अनुशासन में रहकर हमें खेलों के लक्ष्य को साधना होगा। मैं दैनिक समयसारिणी के अनुसार सुबह पांच बजे उठकर सुबह की प्रार्थना सभा में उपस्थित होती हूं जो कि सुबह साढ़े पांच बजे तक चलती है। उसके बाद साढ़े पांच बजे से आठ बजे तक प्रैक्टिस सेशन अटेंड करती हूं। उसके बाद कालेज की पढ़ाई तथा शाम को फिर तीन से आठ बजे तक प्रैक्टिस सेशन अटेंड करती हूं।

कोई सपना जो आपकी रगों में दौड़ता है?

मेरा अगला लक्ष्य वर्ल्ड कप 2019 व एशियाई गेम्स 2022 में देश का नेतृत्व करना है। इसके लिए मैं प्रतिदिन 10 से 12 घंटे का अभ्यास करती हूं।

खेला मैदान से हटकर सुषमा क्या है और आपकी अन्य व्यस्तताएं क्या  रहती हैं?

खेलों की दुनिया से हटकर मैं एक बिलकुल साधारण लड़की हूं, जो गांव जाकर माता-पिता के साथ खेतों में काम करती है। मुझे गांव के लोगों से बातचीत करना बेहद पसंद है। मैं बेहद ही भावुक लड़की हूं। मुझे यदि कोई गरीब बच्चा मिलता है तो मैं उसके लिए जितना भी संभव हो मदद करने का प्रयास करती हूं। साथ ही युवा खिलाडि़यों को खेल के प्रति भी प्रोत्साहित करती हूं।


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