कालिका सहस्रनाम
-गतांक से आगे…
त्रिपुरा परमेशानी सुंदरी पुर-सुंदरी।
त्रिपुरेशी पञ्च-दशी पञ्चमी पुर-वासिनी।। 98।।
महा-सप्त-दशी चैव षोडशी त्रिपुरेश्वरी।
महांकुश-स्वरूपा च महा-चव्रेश्वरी तथा।। 99।।
नव-चव्रेसश्वरी चक्र-ईश्वरी त्रिपुर-मालिनी।
राज-राजेश्वरी धीरा महा-त्रिपुर-सुंदरी।। 100।।
सिंदूर-पूर-रुचिरा श्रीमत्त्रिपुर-सुंदरी।
सर्वांग-सुंदरी रक्ता रक्त-वस्त्रोत्तरीयिणी।। 101।।
जवा-यावक-सिंदूर -रक्त-चंदन-धारिणी।
त्रिकूटस्था पञ्च-कूटा सर्व-वूट-शरीरिणी।। 102।।
चामरी बाल-कुटिल-निर्मल-श्याम-केशिनी।
वङ्का-मौक्तिक-रत्नाढ्या-किरीट-मुकुटोज्ज्वला।। 103।।
रत्न-कुंडल-संसक्त-स्फुरद्-गण्ड-मनोरमा।
कुञ्जरेश्वर-कुंभोत्थ-मुक्ता-रञ्जित-नासिका।। 104।।
मुक्ता-विद्रुम-माणिक्य-हाराढ्य-स्तन-मण्डला।
सूर्य-कांतेंदु-कांताढ्य-कांता-कंठ-भूषणा।। 105।।
वीजपूर-स्फुरद्-वीज-दंत-पंक्तिरनुत्तमा।
काम-कोदंडकाभुग्न-भ्रू-कटाक्ष-प्रवर्षिणी।। 106।।
मातंग-कुंभ-वक्षोजा लसत्कोक-नदेक्षणा।
मनोज्ञ-शुष्कुली-कर्णा हंसी-गति-विडम्बिनी।। 107।।
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