कालिका सहस्रनाम

By: Jan 26th, 2019 12:07 am

 -गतांक से आगे…

भग-रूपा भग-स्थात्री भगनी भग-रूपिणी।

भगात्मिका भगाधार-रूपिणी भग-मालिनी।। 118।।

लिंगाख्या चैव लिंगेशी त्रिपुरा-भैरवी तथा।

लिंग-गीतिः सुगीतिश्च लिंगस्था लिंग-रूप-धृव् ।। 119।।

लिंग-माना लिंग-भवा लिंग-लिंगा च पार्वती।

भगवती कौशिकी च प्रेमा चैव प्रियंवदा।। 120।।

गृध्र-रूपा शिवा-रूपा चक्रि.णी चक्र-रूप-धृव्।

लिंगाभिधायिनी लिंग-प्रिया लिंग-निवासिनी।। 121।।

लिंगस्था लिंगनी लिंग-रूपिणी लिंग-सुंदरी।

लिंग-गीतिमहा-प्रीता भग-गीतिर्महा-सुखा।। 122।।

लिंग-नाम-सदानंदा भग-नाम सदा-रतिः।

लिंग-माला-वंसठ-भूषा भग-माला-विभूषणा।। 123।।

भग-लिंगामृत-प्रीता भग-लिंगामृतात्मिका।

भग-लिंगार्चन-प्रीता भग-लिंग-स्वरूपिणी।। 124।।

भग-लिंग-स्वरूपा च भग-लिंग-सुखावहा।

स्वयंभू-कुसुम-प्रीता स्वयंभू-कुसुमार्चिता।। 125।।

स्वयंभू-पुष्प-प्राणा स्वयंभू-कुसुमोत्थिता।

स्वयंभू-कुसुम-स्नाता स्वयंभू-पुष्प-तर्पिता।। 126।।

स्वयंभू-पुष्प-घटिता स्वयंभू-पुष्प-धारिणी।

स्वयंभू-पुष्प-तिलका स्वयंभू-पुष्प-चर्चिता।। 127।।


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