कालिका सहस्रनाम
-गतांक से आगे…
भग-रूपा भग-स्थात्री भगनी भग-रूपिणी।
भगात्मिका भगाधार-रूपिणी भग-मालिनी।। 118।।
लिंगाख्या चैव लिंगेशी त्रिपुरा-भैरवी तथा।
लिंग-गीतिः सुगीतिश्च लिंगस्था लिंग-रूप-धृव् ।। 119।।
लिंग-माना लिंग-भवा लिंग-लिंगा च पार्वती।
भगवती कौशिकी च प्रेमा चैव प्रियंवदा।। 120।।
गृध्र-रूपा शिवा-रूपा चक्रि.णी चक्र-रूप-धृव्।
लिंगाभिधायिनी लिंग-प्रिया लिंग-निवासिनी।। 121।।
लिंगस्था लिंगनी लिंग-रूपिणी लिंग-सुंदरी।
लिंग-गीतिमहा-प्रीता भग-गीतिर्महा-सुखा।। 122।।
लिंग-नाम-सदानंदा भग-नाम सदा-रतिः।
लिंग-माला-वंसठ-भूषा भग-माला-विभूषणा।। 123।।
भग-लिंगामृत-प्रीता भग-लिंगामृतात्मिका।
भग-लिंगार्चन-प्रीता भग-लिंग-स्वरूपिणी।। 124।।
भग-लिंग-स्वरूपा च भग-लिंग-सुखावहा।
स्वयंभू-कुसुम-प्रीता स्वयंभू-कुसुमार्चिता।। 125।।
स्वयंभू-पुष्प-प्राणा स्वयंभू-कुसुमोत्थिता।
स्वयंभू-कुसुम-स्नाता स्वयंभू-पुष्प-तर्पिता।। 126।।
स्वयंभू-पुष्प-घटिता स्वयंभू-पुष्प-धारिणी।
स्वयंभू-पुष्प-तिलका स्वयंभू-पुष्प-चर्चिता।। 127।।
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