किशाऊ पर समझौते को फिर होगी बैठक

By: Jan 28th, 2019 12:15 am

उत्तराखंड-हिमाचल की शर्तें नहीं मान रहे दूसरे राज्य, पावर कंपोनेंट का पैसा देने को तैयार नहीं

शिमला —किशाऊ बांध निर्माण को लेकर जल्द ही केंद्र सरकार के प्रतिनिधित्व में संबंधित राज्यों की बैठक होगी। उम्मीद है कि फरवरी महीने में यह बैठक हो, क्योंकि किशाऊ बांध निर्माण पर अब केंद्र सरकार गंभीरता दिखा रही है, लिहाजा संबंधित राज्यों पर मामले को हल करने का दबाव है। सूत्रों के अनुसार दूसरे राज्य बिजली कंपोनेंट पर खर्च को लेकर अड़़े हुए हैं, जबकि उत्तराखंड व हिमाचल दोनों राज्य रेणुका की तर्ज पर किशाऊ का हल चाहते हैं। दोनों राज्यों ने शर्त रखी है कि यहां जिस बिजली परियोजना का निर्माण किया जाएगा उसके लिए दूसरे राज्य पैसा दें या फिर केंद्र सरकार इस खर्च को उठाए। क्योंकि यहां दोनों राज्यों की सीमा पर यह परियोजना बननी है और यहां पर पानी भी उन्हीं का इस्तेमाल होना है। ऐसे में मामला फिलहाल उलझा हुआ है, लेकिन अगली बैठक में समझौता होने की उम्मीद है। एमओयू साइन होने से कुछ दिन पहले राज्य सरकार ने केंद्र के समक्ष हिस्सेदारी की नई शर्त रख दी थी।  हिमाचल के हित सुरक्षित रखने का तर्क देते हुए राज्य सरकार रेणुका बांध की तरह ही इसमें एमओयू चाहती है। यही मानना उत्तराखंड का भी है, जो कि इसमें हिमाचल की भागीदार है। दोनों राज्यों ने एक स्पेशल पर्पज व्हीकल का भी गठन कर रखा है। इन राज्यों ने कहा है कि परियोजना में बिजली प्रोजेक्ट पर जितना भी खर्च होगा, उसे वे राज्य वहन करें जिन्हें इससे पानी मिलना है।  सीएम जयराम ठाकुर ने इस मामले को लेकर हाल ही में केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के साथ बात भी की है। इस पर स्थिति स्पष्ट न होने तक राज्य सरकार एमओयू साइन नहीं करेगी। ऐसे में यह मामला लटक गया है, वरना कुछ दिन पहले रेणुका के साथ इस पर भी एग्रीमेंट साइन हो जाता।

10 हजार करोड़ आएगी लागत

परियोजना के निर्माण पर 10 हजार करोड़ की लागत आएगी। अकेले बिजली कंपोनेंट पर 3100 करोड़ रुपए खर्च होंगे। पहले की शर्त के अनुसार हिमाचल और उत्तराखंड दोनों राज्यों को इसके लिए 50ः50 फीसदी बजट राशि का भुगतान करना है, वहीं अन्य राज्यों तक पानी पहुंचाने के लिए वॉटर कंपोनेंट पर कुल बजट का 90 फीसदी हिस्सा केंद्र और 10 फीसदी हिस्सा लाभ लेने वाले राज्यों को वहन करना है।

660 मेगावाट बिजली

660 मेगावाट की क्षमता वाली किशाऊ बांध जल विद्युत परियोजना में 236 मीटर ऊंचा और 680 मीटर लंबा बांध टौंस नदी पर बनाया जाएगा। इससे पैदा होने वाली बिजली में हिमाचल और उत्तराखंड की बराबर की हिस्सेदारी रहेगी। दोनों राज्यों से 2950 हेक्टेयर भूमि चाहिए होगी।


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