पर्यटन से रोजगार का सुनहरा परिदृश्य

By: Jan 21st, 2019 12:06 am

जीवन बिलासपुरी

स्वतंत्र लेखक

अपार संभावनाओं के बावजूद हिमाचल में पर्यटन विकास सरकारी उदासीनता का शिकार है। सबसे ज्यादा जरूरी पहलू है विज्ञापनों के माध्यमों से प्रचार-प्रसार करना, जिसके लिए विशेषकर रेडियो और टेलीविजन का सहारा लिया जाता है। आजकल इंटरनेट के दौर में सोशल मीडिया को प्रचार-प्रसार के लिए अहम कड़ी माना जा रहा है…

हिमालय के आंचल में बसा राज्य जिस पर देवों की विशेष कृपा और मानो प्रकृति ने अपनी पूरी सौंदर्यता न्योछावर कर एक अतुल्य भेंट प्रस्तुत की है। हिमाचल जिसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर किसी पहचान की जरूरत नहीं, नाम ही काफी है पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करने के लिए, इसलिए यहां पर्यटन से रोजगार सीधे तौर पर जुड़ा हुआ है। प्रदेश के युवा ज्यादातर सरकारी नौकरी के लिए प्रयासरत रहते हैं। यहां रोजगार के संभावित संसाधनों में से पर्यटन का क्षेत्र भी एक है। हिमाचल में पर्यटन को शिखर पर ले जाने के लिए अलग-अलग क्षेत्रों को विशेष रूप से विकसित करने की आवश्यकता है, जिसके लिए सरकार को अपनी प्रतिबद्धता प्रदर्शित करनी होगी।

प्रदेश के प्रसिद्ध शक्तिपीठों में विशेष अवसरों पर बाहरी राज्यों से आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या में लगातार हो रही वृद्धि इस बात का प्रमाण है कि हमारे यहां सुख-सुविधाओं की कमी हो सकती है, लेकिन उनकी श्रद्धा अटूट है, जो धार्मिक गतिविधियों के साथ-साथ हमारे लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराते हैं। देश की रक्षा के लिए अपने प्राण न्योछावर करने वाले वीर सैनिकों में हिमाचल का नाम अग्रणी है। युद्ध व शहीद सैनिकों के स्मारकों के माध्यम से हम उन्हें सच्ची श्रद्धांजलि तो देते ही हैं, इसके साथ शहादत को पर्यटन तथा युवा पीढ़ी को देश की सुरक्षा के प्रति सजग किया जा सकता है।  जिला बिलासपुर में पिछले वर्ष यहां की स्थानीय जनता ने शहीद सैनिकों के स्मारक निर्माण के लिए सामूहिक रूप से कदम उठाया था, जो सराहनीय है।

अगर सरकार इस दिशा में उचित कदम उठाती है, तो निश्चित रूप से यह पर्यटन को बढ़ावा देने की दिशा में महत्त्वपूर्ण साबित हो सकता है। साहसिक पर्यटन में भी अपार संभावनाएं हैं, जिसके तहत जलक्रीड़ा को अन्य साहसिक गतिविधियों के साथ बढ़ावा दिया जा सकता है। हिमाचल में राजाओं के समय के महल जो आज जीर्ण अवस्था में पड़े हुए हैं, जहां हमारे स्कूली बच्चे एकदिवसीय सैर पर जाने की इच्छा जाहिर करते हैं, यदि इन स्थानों का जीर्णोद्वार किया  जाए तो सैलानियों के लिए एक विकल्प के तौर पर साबित हो सकते हैं। प्रकृति से सुसज्जित पहाड़ी क्षेत्र हो और कहीं उस पर रेल की पटरी बिछी हुई हो, तो शायद ही कोई अपने आप को हमारे प्रदेश से दूर रख पाए। दूर की सोच के साथ ऐसे कार्यों पर काम शुरू किया जा सकता है, वैसे भी हम अभी तक इस क्षेत्र में अंग्रेजों के समय से आगे नहीं बढ़ सके हैं। जब कभी अंतरराष्ट्रीय स्तर की खेलें, चाहे धर्मशाला क्रिकेट स्टेडियम में कोई मैच या बिलिंग घाटी में पैराग्लाइडिंग की प्रतिस्पर्धा हो, ढेर सारे पर्यटकों और दर्शकों को अपने तरफ आकर्षित करती हैं। इसी श्रेणी में और भी कई उपेक्षित मैदान अपने नवीकरण की प्रतीक्षा में हैं। जलक्रीड़ा को आज भी आर्थिकी अर्जित करने के लिए उसके वास्तविक स्तर पर विकसित नहीं किया जा सका है। हमें उपलब्ध संसाधनों के उचित दोहन के लिए निरंतर प्रयासरत रहना पड़ेगा, ताकि भावी पीढ़ी को रोजगार की एक नई दिशा में ले जा सकें। बीते जून माह में मुख्यमंत्री द्वारा प्रारंभ की गई हेली टैक्सी सेवा पर्यटन की दिशा में एक सही व सार्थक कदम है। इस सेवा को धीरे-धीरे चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ाने की जरूरत है। यह सेवा सैलानियों को आकर्षित करने में बेहतर माध्यम साबित होगी। 25 सितंबर को इस सेवा का रोहतांग के लिए भी उद्घाटन होने वाला है। अभ्यारण्य और चिडि़याघर भी सैलानियों के उल्लास का हिस्सा हो सकते हैं, बशर्ते इन्हें अन्य राज्यों की तर्ज पर विकसित किया जाए। हिमाचल के अंतरराष्ट्रीय व राज्यस्तरीय मेले भी अपनी विशेष जगह बनाए हुए हैं, जो बाहरी तथा स्थानीय लोगों के लिए व्यापार के अवसर उपलब्ध कराते हैं। बीते कुछ समय में शर्मसार करने वाली और हैवानियत की सारी सीमाएं लांघ कर जो कृत्य विदेशी पर्यटकों के साथ हुए हैं, वे हिमाचल पर्यटन के माथे पर कलंक की तरह हैं। इससे हिमाचल सरकार की विदेशी पर्यटकों के प्रति सुरक्षा व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लग गया है। सरकार ही नहीं, अपितु हम सभी की नैतिक जिम्मेदारी बनती है कि विदेशी सैलानियों के साथ इनसानियत से पेश आएं।

राक्षस प्रवृत्ति वाले लोगों के साथ सरकार को सख्ती से निपटने की आवश्यकता है। ऐसी घटनाओं की मुख्य वजह गाइड भी हो सकती है, क्योंकि ज्यादातर इन घटनाओं में टैक्सी चालक ही संलिप्त थे। पर्याप्त और निरंतर रोजगार न होने के कारण हिमाचली युवा गाइड के व्यवसाय को नहीं अपनाना चाहते। हिमाचल प्रदेश सरकार का पर्यटन के लिए 2018-19 का बजट मात्र 50 करोड़ है, जो इस उद्योग को विकसित, प्रचार-प्रसार करने के लिए नाकाफी है। इसकी अपेक्षा पड़ोसी राज्यों में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए कहीं ज्यादा प्रावधान किया जाता है। अपार संभावनाओं के बावजूद पर्यटन विकास सरकारी उदासीनता का शिकार है।

सबसे ज्यादा जरूरी पहलू है विज्ञापनों के माध्यमों से प्रचार-प्रसार करना, जिसके लिए विशेषकर रेडियो और टेलीविजन का सहारा लिया जाता है। आजकल इंटरनेट के इस दौर में विज्ञापन के तौर-तरीके भी बदल चुके हैं। सोशल मीडिया को प्रचार-प्रसार के लिए अहम कड़ी माना जा रहा है। विश्व की सभी नामी-गिरामी कंपनियां सोशल मीडिया के विज्ञापनों के माध्यम से प्रचार कर रही हैं। इसकी सबसे बड़ी वजह है आम व्यक्ति की स्मार्ट फोन के जरिए इंटरनेट, सोशल मीडिया और मोबाइल एप्लीकेशंस तक पहुंच।  ‘अविस्मरणीय हिमाचल’ अभियान को सही मायने में क्रियान्वित होना अभी बाकी है, तभी हिमाचल पर्यटन की तस्वीर चमक सकती है।


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