पुलिस से पर्यटन का संवाद

By: Jan 4th, 2019 12:05 am

न्यू ईयर के आगोश में रोमांच के डग भरते पर्यटकों के लिए हिमाचल मात्र एक मंजिल नहीं, बल्कि रुहानियत का अनुभव भी है। पर्यटन की यह महफिल शांति से गुजर जाए या कानून-व्यवस्था की नाक ऊंची हो जाए, तो उस मेहनत का असर जरूर माना जाएगा जो पुलिस वर्दी में सतर्कता व तत्परता का हिमाचली आलम है। जाहिर तौर पर अगर मनाली में रिकार्ड वाहन पहुंच गए, तो पुलिस चैन की नींद नहीं सो सकती। कमोबेश हर पर्यटक स्थल इकतीस दिसंबर से पहली जनवरी के प्रवेश तक जागते रहे, तो इस जुनून की फितरत क्या रही होगी। होटलों से चौराहों और सड़कों से बाजारों तक के पर्यटन माहौल का कोई कुशल चितेरा रहा, तो यह सम्मान हिमाचल पुलिस को जाता है। अपनी भाषाई शब्दावली से देह भाषा तक पुलिस महकमे ने हिमाचली पर्यटन की आंखों में अपने दायित्व का नूर भर दिया है। साल की सबसे ठंडी रात के हर पहर का यह कमाल का पहरा, जहां पुलिस तत्परता इसलिए कि मेहमान पूरी तरह खिलखिलाते रहें और जब लौटें तो प्रदेश का नाम रोशन हो। हमारा मानना है कि हिमाचल में लगातार बढ़ रहे सैलानी आगमन की बड़ी वजहों में एक निश्चित रूप से प्रदेश पुलिस का सौहार्दपूर्ण रवैया भी है। चौराहे पर खड़ा पुलिसकर्मी अगर गाइड की तरह पर्यटक को सही डगर सुझाता है, तो यह व्यवस्था भी बनाए रखता है कि किसी भी सूरत ट्रैफिक जाम न हो। पर्यटन में पुलिस का यह चेहरा अब साल भर का रिश्ता है। प्रमुख पर्यटक स्थलों  पर तैनात सिपाही भी जानता है कि उसके कारण कई खामियां छिप सकती हैं। जाहिर है जहां पीडब्ल्यूडी या आईपीएच की वजह से पर्यटक सीजन की आंतें निकाल कर सड़कों की दुर्दशा में पेश होती हैं, वहां भी पुलिस अपने संयम से सारे यातायात चक्र को पनाह देती है। नए साल के शुभागमन का जिक्र करें, तो समय की प्रतिकूलता में अपने फर्ज के तेवर को नियंत्रण में रखना आसान नहीं है। किसी के रोमांच का निर्वहन पूरा कराने की अद्भुत कला अगर पुलिस विभाग प्रदर्शित कर पाया, तो इस संयम और अनुशासन की तारीफ करनी होगी। तमाम अव्यवस्थाआें और अलग-अलग मानवीय व्यवहार के प्रदर्शन पर, खामोशी से डटे रहना अगर  उदाहरण बन सकता है तो पुलिस ने वास्तव में साल का सूरज अपने कब्जे में किया है। पूर्ण पार्किंग उपलब्धता के बिना हिमाचल अगर टूरिस्ट स्टेट घोषित हो रहा है, तो होटलों के बजाय पुलिस महकमा यह फर्ज अदा कर रहा है। ग्रीष्मकालीन पर्यटन सीजन ने हिमाचल को कसौली कांड का दर्द या कसोल से मकलोडगंज तक बंद हुए होटलों का मर्ज और जो बदनामी दी थी, उससे कहीं अलग दिशा में नए साल का आगमन हुआ है। पुलिस की दृष्टि से पर्यटन सुविधाओं का खाका अगर बनाएं, तो केवल ट्रैफिक प्लान ही नहीं बल्कि होटलों का रसूख तथा अधोसंरचना भी सुधर जाएगी। प्रदेश की सैरगाहों की निगरानी में पुलिस की भूमिका का विस्तार हुआ है, लेकिन कभी यह नहीं सोचा गया कि कानून -व्यवस्था, भीड़ नियंत्रण तथा वाहन दबाव के मद्देनजर कितने बदलाव चाहिएं। निश्चित तौर पर पर्यटक परियोजनाओं के साथ पुलिस की पर्यटन योजनाएं भी समाहित करनी होंगी। यह इसलिए भी आवश्यक है क्योंकि बाहर से आ रहे पर्यटक का पहला संवाद किसी न किसी पुलिस कर्मी से होता है और यह हिमाचल की सीमा में प्रवेश करते ही शुरू हो जाता है। ऐसे में जहां हिमाचल को पर्यटन पुलिस की दिशा में प्रशिक्षण से लेकर शिष्टाचार तक आचरण को और मजबूत करना होगा, वहीं अलग से इस उद्देश्य से बटालियन खड़ी करनी होगी। पर्यटक स्थल का ट्रैफिक इंचार्ज वास्तव में पूरे सीजन को चलाने का किरदार है। इसी तरह नियमित पैट्रोलिंग तथा विभिन्न व्यापारियों, होटल व्यवसायियों व टैक्सी चालकों के सूत्रधार के रूप में पुलिस की निरंतरता जरूरी है। उदाहरण के लिए जो सैलानी नए साल की सुबह में अपनी आशाआें का मकसद हिमाचल में ढूंढ रहे थे, उनकी पहली आवभगत किसी न किसी पुलिसकर्मी ने तो की होगी। क्या संपूर्ण पर्यटन उद्योग इस तथ्य पर विचार करके यह आभार प्रकट  कर सकता है कि उस तक पहुंचे सुरक्षित सैलानी का सही मार्गदर्शक पुलिस महकमा है। हिमाचल के पर्यटन उद्योग में पुलिस की जगह सुनिश्चित करने तथा इसे सहयोगी के रूप में स्थापित करने के लिए विशेष प्रयत्न की जरूरत महसूस की जाती है।


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