भारतीय कौशल की बढ़ती अहमियत

By: Jan 21st, 2019 12:07 am

जयंती लाल भंडारी

विख्यात अर्थशास्त्री

हमें शैक्षणिक दृष्टि से पीछे रहने वाले युवाओं को कौशल विकास से प्रशिक्षित करना होगा और उन्हें रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों से शिक्षित करना होगा। उच्च शिक्षा की ओर आगे बढ़ रही नई पीढ़ी को कौशल विकास और रोजगार की जरूरत के अनुरूप मानव संसाधन के रूप में गढ़ना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी नई तकनीकों को अपनाना होगा…

यकीनन इस भारत के कौशल प्रशिक्षित पेशेवर युवाओं की अहमियत बढ़ती हुई दिखाई दे रही है। कुछ समय पहले तक भारतीय पेशेवरों के लिए दुनिया के जो देश दरवाजे बंद करते हुए दिखाई दे रहे थे, वे देश स्वागत के साथ फिर दरवाजे खोलते हुए दिखाई दे रहे हैं। हाल ही में 11 जनवरी को अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ट्वीट करके एच-1बी वीजा धारकों को आश्वासन दिया कि उनका प्रशासन नए वर्ष 2019 में जल्द ऐसे बदलाव करेगा, जिससे उन्हें अमरीका में रुकने का भरोसा मिलेगा और जिससे उनके लिए नागरिकता लेने का संभावित रास्ता सरल बनेगा। ज्ञातव्य है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के शासनकाल के प्रथम दो वर्षों में ट्रंप प्रशासन ने एच-1बी वीजा धारकों के लिए अमरीका में अधिक समय तक ठहरना, विस्तार और नया वीजा हासिल करना कठिन बना दिया है। स्थिति यह है कि विगत नौ नवंबर, 2018 को अमरीका के व्हाइट हाउस में नीति समन्वयन के लिए डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ क्रिस ने कहा था कि एक जनवरी, 2019 से अमरीका वीजा संबंधी नीति में बदलाव करने जा रहा है।

खासतौर से कुशल पेशेवरों के लिए वीजा संबंधी नियमों में ऐसे नए परिवर्तन किए जाएंगे, जिससे प्रवासी प्रतिभाओं को कार्य के लिए अमरीका आने से हतोत्साहित किया जा सके। अमरीकी सरकार के अनुसार पांच अक्तूबर, 2018 तक अमरीका में एच-1बी वीजा रखने वालों की संख्या 4,19,637 है, इनमें से तीन चौथाई यानी 3,09,986 भारतीय मूल के नागरिक हैं। एच-1 बी वीजा भारतीय आईटी पेशेवरों के बीच खासा लोकप्रिय है। यह एक गैर-प्रवासी वीजा है, जो कि अमरीकी कंपनियों को कुछ विशिष्ट क्षेत्रों में विदेशी कर्मचारियों की भर्ती की अनुमति देता है। अमरीका हर साल 85,000 विदेशियों को एच-1बी वीजा जारी करता है। इनमें 20,000 अमरीकी यूनिवर्सिटी से मास्टर्स डिग्री वालों के लिए हैं। वर्ष 2017 में 67,815 वीजा  भारतीयों को दिए गए हैं, इनमें से 75.6 फीसदी आईटी प्रोफेशनल्स को मिले। ये आईटी प्रोफेशनल गूगल, आईबीएम, इन्फोसिस, टीसीएस, विप्रो, फेसबुक और एप्पल जैसी आईटी और इंटरनेट कंपनियों में नौकरी करते हैं, लेकिन अब वर्ष प्रति वर्ष एच-1बी वीजा स्वीकृति की संख्या घटती जा रही है। ट्रंप द्वारा अमरीका में प्रतिभाशाली पेशेवरों के लिए अमरीका में करियर बनाने के लिए किए गए ट्वीट से अब एच-1बी वीजा की मुश्किलों संबंधी स्थिति बदलेगी। निश्चित रूप से अब तक जहां एक ओर अमरीका में भारत के कुशल पेशेवरों की वीजा संबंधी कठोरता के कारण मुश्किलें और चिंताएं लगातार बढ़ती गई हैं और अमरीका में सरकार की ‘बाय अमरीका, हायर अमरीकन’ नीति के तहत नई-नई वीजा संबंधी कठोरता भारतीय हितों को नुकसान पहुंचाते हुए दिखाई दी है, वहीं अमरीका के उद्योग-कारोबार को भी कौशल प्रशिक्षित पेशेवरों की कमी के कारण विभिन्न प्रकार की हानियां उठानी पड़ी हैं। खासतौर से भारतीय मूल के अमरीकियों के स्वामित्व वाली छोटी तथा मध्यम आकार की कंपनियां भी इससे प्रभावित हुईं। एच-1बी वीजा नियमों में बदलाव को अमरीका में आईटी कंपनियों के संगठन आईटीसर्व अलायंस ने न्यायालय में चुनौती दी हुई है। ऐसे में राष्ट्रपति ट्रंप के पेशेवर प्रतिभाओं से संबंधित बदले हुए रुख के कारण भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स पर आधारित उद्योग-कारोबार को लाभ होने की संभावनाएं रहेंगी। इसी तरह जापान के उद्योग और व्यापार को बढ़ावा देने वाली सरकारी एजेंसी जापान विदेश व्यापार संगठन (जेईटीआरओ) ने कहा कि जापान ने भारत से वर्ष 2020 तक यानी दो वर्षों में दो लाख आईटी पेशेवरों की पूर्ति के लिए कार्य योजना बनाई है। यह सर्वविदित तथ्य है कि पूरी दुनिया में प्रवासी भारतीयों और विदेशों में कार्य कर रही भारत की नई पीढ़ी की श्रेष्ठता को स्वीकार्यता मिली है। कहा गया है कि भारतीय प्रवासी ईमानदार, परिश्रमी और समर्पण का भाव रखते हैं। दुनिया के अधिकांश विकसित और विकासशील देशों में भारतीय प्रतिभाओं का स्वागत हो रहा है। यदि हम चाहते हैं कि दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के कारण जो नौकरियां घटेंगी उनका भारत की नई पीढ़ी फायदा ले तथा अमरीका जैसे कुछ विकसित देश भारतीय पेशेवर प्रतिभाओं के कदमों को चाहने के बाद भी न रोक सकें, तो यह जरूरी होगा कि हम अपनी प्रतिभाओं की मुट्ठियों में उच्च कौशल प्रशिक्षण के मंत्र भर दें। हमें शैक्षणिक दृष्टि से पीछे रहने वाले युवाओं को कौशल विकास से प्रशिक्षित करना होगा और उन्हें रोजगारोन्मुखी पाठ्यक्रमों से शिक्षित करना होगा। उच्च शिक्षा की ओर आगे बढ़ रही नई पीढ़ी को कौशल विकास और रोजगार की जरूरत के अनुरूप मानव संसाधन के रूप में गढ़ना होगा। इन सबके साथ-साथ भारतीय आईटी कंपनियों द्वारा तकनीक में बदलाव और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, रोबोटिक्स और क्लाउड प्लेटफार्म जैसी तकनीकों को तेजी से अपनाना जरूरी होगा।

यह भी ध्यान रखना होगा कि ऐसी साफ्टवेयर एप्लीकेशन बढ़ाई जाएं, जो बिना किसी अड़चन के चलें और इन्हें स्मार्टफोन जैसी डिवाइसों पर भी इस्तेमाल किया जा सके। यह जरूरी होगा कि सरकार  रोबोट से बढ़ती रोजगार चिंताओं पर ध्यान दे और रोबोट की कार्य क्षमता को ध्यान में रखते हुए कौशल प्रशिक्षण की नई रणनीति बनाए। इस परिप्रेक्ष्य में पिछले दिनों इलेक्ट्रानिक एवं सूचना प्रौद्योगिक मंत्रालय ने तकनीकी क्षेत्र की कंपनियों के संगठन नैस्कॉम के साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, वर्चुअल रियल्टी, रोबोटिक प्रोसेस ऑटोमेशन, इंटरनेट ऑफ थिंग्स, बिग डाटा एनालिसिस, क्लाउड कम्प्यूटिंग, सोशल मीडिया-मोबाइल जैसे आठ नए तकनीकी क्षेत्रों में 55 नई भूमिकाओं में वर्ष 2020 तक 90 लाख युवाओं को प्रशिक्षित करने का जो अनुबंध किया है, उसे कारगर तरीके से कार्यान्वित करना होगा। नैस्कॉम द्वारा कौशल प्रशिक्षण के लिए विश्व के सबसे बेहतर कुशल प्रशिक्षकों और विषय वस्तु मुहैया कराने वाली और वैश्विक स्तर की विभिन्न संस्थाओं से सहयोग लिया जाए।

हम आशा करें कि अमरीका से ट्रंप के ट्वीट द्वारा भारतीय पेशेवरों के लिए जो शुभ संकेत आया है, वैसे ही शुभ संकेत अब आस्ट्रेलिया, ब्रिटेन और सिंगापुर जैसे देशों से भी आएंगे, जहां भारतीय पेशेवरों की राह में रोड़े डाले जा रहे हैं। इसी प्रकार दुनिया में आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के कारण रोजगार के जो नए मौके बनेंगे, वे हमारी मुट्ठियों में आए, तो जरूरी होगा कि सरकार और उद्योग-कारोबार एवं तकनीकी क्षेत्रों से जुड़े संगठन आने वाले वर्षों में देश और दुनिया की जरूरतों के मुताबिक देश की युवा आबादी को कौशल प्रशिक्षण से सुसज्जित करके कार्यक्षम बनाने की नई रणनीति के साथ आगे बढ़ें।


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