युवावस्था – जिंदगी का स्वर्ण युग

By: Jan 23rd, 2019 12:05 am

बच्चे अपने क्षेत्र में या अपने लक्ष्य में क्यों सफल नहीं हो पाते, इसका एक कारण यह भी है कि प्रदेश में या देश में अभिभावक अपनी मर्जी बच्चों पर थोपना चाहते हैं।

चाहे बच्चे का रुझान खेलों की तरफ हो, या फिर बच्चा औसत स्तर का हो, फिर भी अभिभावक चाहेंगे कि अगर पड़ोसी का बच्चा विज्ञान संकाय ले रहा है, तो हमारा बच्चा भी विज्ञान संकाय ही लेगा। फिर चाहे बच्चे को उस विषय के बारे में कुछ समझ नहीं आए। इसका परिणाम, बच्चे को पढ़ाई बोझ लगने लगती है और वह अवसाद से भी ग्रसित हो जाता है। जिससे बच्चे आत्महत्या जैसा कदम उठाते हैं।

हर वर्ष कोटा, राजस्थान जो मेडिकल और इंजीनियरिंग कोचिंग का हब माना जाता है, अकसर बच्चों की आत्महत्या का समाचार  सुनने या पढ़ने को मिलता है।

इससे बचने के लिए हमें यह देखना चाहिए कि हमारे बच्चों का रुझान किस क्षेत्र में है और कोशिश करनी चाहिए कि उसी क्षेत्र में बच्चे को आगे उच्च शिक्षा दी जाए, जो बच्चे को पसंद हो। जबरदस्ती अपनी मर्जी न थोपें। क्योंकि बच्चों के साथ जबरदस्ती करके, बच्चा अरुचि से पढ़ेगा, तो उसे सफलता कहां मिलेगी। हर क्षेत्र में जोखिम है।आपको कौन सा क्षेत्र रोचक और काम करने योग्य लगता है। हर व्यक्ति में एक खूबी होती है, अभिभावकों को चाहिए कि वह उस खूबी को पहचानें और बच्चे को उसी क्षेत्र में आगे बढ़ाएं।


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