रामसिंह ने युवाओं को लड़ने के लिए किया तैयार

By: Jan 16th, 2019 12:04 am

रामसिंह ने स्थानीय युवकों को संगठित किया तथा उन्हें मातृ भूमि के प्रति लड़ने के लिए  तैयार किया । उसने कई राजाओं को अंग्रेजों के विरूद्ध भड़काया। इनमें संसार चंद के पोते प्रबुद्ध चंद, जगत चंद, शमशेर सिंह, जसवान के राजा उम्मेद सिंह एवं उनका पुत्र जय सिंह शामिल थे …

गतांक से आगे …

पहाड़ों में क्रांति के अगुआ राम सिंह अंग्रेजों ने यहंा की संस्कृति तथा धर्म पर प्रहार किया। राजाओं की संपत्ति, सोना, चांदी, जवाहरात को छीना। इससे पहाड़ी राजा तथा प्रजा दोनों असंतोष में थे। सन् 1848 ई. में द्वितीय सिख युद्ध शुरू हुआ। अवसर देखकर रामसिंह ने अंग्रेजों पर प्रहार कर  किया। रामसिंह ने स्थानीय युवकों को संगठित किया तथा उन्हें मातृ भूमि के प्रति लड़ने के लिए  तैयार किया । उसने कई राजाओं को अंग्रेजों के विरूद्ध भड़काया। इनमें संसार चंद के पोते प्रबुद्ध चंद, जगत चंद, शमशेर सिंह, जसवान के राजा उम्मेद सिंह एवं उनका पुत्र जय सिंह शामिल थे। सिख सरदार से भी उसने संपर्क बनाया। उधर मुल्तान के गर्वनर ने मार्च 1848 ई. में अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध की घोषणा कर दी। अगस्त में सरदार छतर सिंह और उसके पुत्र शेर सिंह ने भी क्रांति कर दी। अंग्रेजों ने उन्हें कुचलने के लिए सेना भेजी। अंगेजी सैनिक गोला गारुद छोड़कर भाग गए। रामसिंह ने जसवंत सिंह को नूरपुर का राजा घोषित किया तथा अंग्रेजों को भगाने की शपथ ली। पठानिया राजा की स्थापना से लोगों में क्रांति की लहर दौड़ गई जिससे अंग्रेज डर गए ऐसी स्थिती में कांगड़ा के किले की सुरक्षा बढ़ा दी गई। अंग्रेजी सेना शाहपुर की ओर चल पड़ी राजपुतों को अपनी शक्ति आजमाने का मौका मिल गया उन्होंने अंग्रेजी सेना को पछाड़ दिया। अतः होशियारपुर से और सेना लेकर रामसिंह ने नूरपुर राज्य में अंग्रेजों के विरुद्ध मोर्चा खोल दिया  अंग्रेज सेना का नेतृत्व कमीशनर लारेंस तथा जिलाधीश बारनस कर रहे थे। उन्होंने रामसिंह को घेर लिया । जंगल में तोंपे गूंज उठीं। राजपुतों का तोपों के सामने टिकना असंभव था। अंग्रेज रामसिंह को पकड़ने में  असमर्थ रहे । वह भाग कर पंजाब में सिखों के कैंप में चला गया । जहां अंग्रेज उसे नहीं छोड़ सकते थे।

अब रामसिंह ने अपनी भावी योजना पर कार्य शुरू कर दिया , क्योंकि मातृभूमि  के प्रति उसका प्यार उसे उकसा रहा था। उसने कांगड़ा, दतारपुर, जसवान गुलेर के राज्य से संपर्क  बनाए रखे। भेष बदलकर यहां-वहां आता रहा। सिखों तथा राजाओं ने अंग्रेजों को भगाने की योजना बनाई जिसके लिए गोला-बारुद। इकट्ठा किया गया। योजनानुसार अंग्रेजों का ध्यान मैदानों की ओर लगाना था ताकि सेना इन राज्यों से हटकर पंजाब चली जाए और  राज्यों  पर फिर से राजाओं का कब्जा हो सके सिख अंग्रेजों के व्यवहार से पहले ही तंग थे क्योंकि  सिख सेनापति लाल सिंह को फांसी पर लटका दिया गया था तथा रानी जिंदा को देश से निकाल दिया गया था। सिखों ने सरदार शेरसिंह के नेतृत्व में  अंग्रेजों के विरुद्ध युद्ध छेड़ दिया । दूसरी और राम सिंह भी अपने सैनिकों सहित युद्ध में डट गया। सिख सेनापति बसपा सिंह ने पठानकोट में अधिकार स्थापित कर दिया।

                     — क्रमशः


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