विनियोग के बाद बीजों का न्यास
विनियोग के पश्चात नाभि से पैरों तक प्रथम बीज का, हृदय से नाभि तक द्वितीय बीज का तथा शीश से हृदय तक तृतीय बीज का न्यास करें। तदनंतर बाएं हाथ में प्रथम बीज का, दाएं हाथ में द्वितीय बीज का तथा दोनों हाथों में तृतीय बीज का न्यास करें। तदोपरांत शीश, गुप्तांग तथा वक्षःस्थल में क्रमशः तीनों बीजों का न्यास करें। यथा : प्रथमन्यास : ऐं नमः (नाथे पादान्तम्)। क्लीं नमः (हृदयान्नाभ्यान्तम्)। सौः वमः (मूर्ध्नि हृदयान्तम्)। द्वितीयन्यास : ऐं नमः (वाम करे)। क्लीं नमः (दक्षिण करे)। सौः नमः (करयोरुभ्योः)…
-गतांक से आगे…
साधना विधान
श्रीबाला का तंत्र विधान इस प्रकार है :
विनियोग
अस्य श्रीबाला मंत्रस्य दक्षिणामूर्तिऋर्षिः, पंक्तिश्छंदः, त्रिपुरा बाला देवता, क्लौं शक्तिः, सौः बीजं ममाभीष्ट सिद्धये जपे विनियोगः।
न्यास
विनियोग के पश्चात नाभि से पैरों तक प्रथम बीज का, हृदय से नाभि तक द्वितीय बीज का तथा शीश से हृदय तक तृतीय बीज का न्यास करें। तदनंतर बाएं हाथ में प्रथम बीज का, दाएं हाथ में द्वितीय बीज का तथा दोनों हाथों में तृतीय बीज का न्यास करें। तदोपरांत शीश, गुप्तांग तथा वक्षःस्थल में क्रमशः तीनों बीजों का न्यास करें। यथा :
प्रथमन्यास :
ऐं नमः (नाथे पादान्तम्)।
क्लीं नमः (हृदयान्नाभ्यान्तम्)।
सौः वमः (मूर्ध्नि हृदयान्तम्)।
द्वितीयन्यास :
ऐं नमः (वाम करे)।
क्लीं नमः (दक्षिण करे)।
सौः नमः (करयोरुभ्योः)।
तृतीयन्यास :
ऐं नतः (मूर्धि्न)।
क्लीं नमः (गुह्ये)।
सौः नमः (वक्षे)।
नव-योनिन्यास :
ऐं नमः (वाम कर्णे)।
क्लीं नमः (दक्षिण कर्णे)।
सौः नमः (चिबुके)।
ऐं नमः (वाम गंडे)।
क्लीं नमः (दक्षिण गंडे)।
सौः नमः (मुखे)।
ऐं नमः (वाम नेत्रे)।
क्लीं नमः (दक्षिण नेत्रे)।
सौः नमः (नासिकाभ्याम्)।
ऐं नमः (वाम स्कंधे)।
क्लीं सौः (दक्षिण स्कंधे)।
सौः नमः (उदरे)।
ऐं नमः (वाम कूर्परे)।
क्लीं सौः (दक्षिण कूर्परे)।
सौः नमः (नाभौ)।
ऐं नमः (वाम जानौ)।
क्लीं नमः (दक्षिण जानौ)।
सौः नमः (लिंगोपरि)।
ऐं नमः (वाम पादे)।
क्लीं नमः (दक्षिण पादे)।
सौः नमः (गुह्ये)।
ऐं नमः (वाम पार्श्वे)।
क्लीं नमः (दक्षिण पार्श्वे)।
सौः नमः (हृदि)।
ऐं नमः (वाम स्तने)।
क्लीं नमः (दक्षिण स्तने)।
सौः नमः (कंठे)।
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