अभिनय में मंजिल ढूंढती मनीषा

By: Feb 20th, 2019 12:07 am

सपने तो सभी देखते हैं, लेकिन उन्हें पूरा करना हर किसी के बस की बात नहीं। जी हां कुछ अलग करने का सपना पाले आज जिला सिरमौर के दूरदराज क्षेत्र नोहराधार की मनीषा सिंह चौहान ने मुंबई में अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है। मनीषा सिंह अब फिल्मों में बतौर अभिनेत्री काम करने की इच्छुक हैं। 2015 में मनीषा चौहान ने मुंबई का रुख किया। लंबे संघर्ष के बाद मनीषा को सीरियल ‘इश्कबाज’ में रोल मिला। मनीषा का जन्म 7 जून, 1998 में नौहराधार तहसील के एक छोटे से गांव चौरास में हुआ है। उसकी प्रारंभिक शिक्षा गांव के ही स्कूल में हुई। मनीषा ने डीएवी पब्लिक स्कूल नोहराधार से दसवीं करने पर जमा दो की पढ़ाई पोर्टमोर स्कूल शिमला से की। इसके बाद आइजोम इंस्टीच्यूट नोएडा से मीडिया का डिप्लोमा किया। इसके बाद बीजेएमसी कोलकता विश्विद्यालय से की। वर्तमान में मनीषा बीजेएमसी की मास्टर डिग्री की तैयारी कर रही हैं। मनीषा सिंह को डांस, एक्टिंग, स्पोटर्स और योग करना बहुत पसंद है। मनीषा को राइटर प्रेम चंद की बुक पढ़ना बहुत पसंद है। मनीषा का कहना है मैं जहां भी रहूं पर अपने हिमाचल और यहां की संस्कृति को कभी नहीं भूलूंगी। मनीषा के पिता प्रताप चौहान शिक्षक हैं, जबकि माता शकुंतला एक कुशल गृहिणी है। दो छोटे भाई-बहन हैं, जो पढ़ रहे हैं। मनीषा जब मुंबई में सीरियल में काम करने लगीं, तो घर पर उनके पापा को  लोग बहुत ताने मारते थे कि यह तो अपनी लड़की बेच रहा है आदि, लेकिन मनीषा के पापा प्रताप चौहान लोगों की परवाह करे बिना अपनी बेटी के साथ खड़े रहे। 2017 में मनीषा की सिलेक्शन टीवी सीरियल में हुई। मात्र 22 साल की उम्र में मनीषा स्टार प्लस पर टीवी सीरियल ‘इश्कबाज’ में मुस्लिम लड़की (अस्या) का किरदार निभाया है। सोनी टीवी पर प्रसारित ‘क्राइम अलर्ट’, ‘जिंदगी यूटन’, कलर्स में ‘कोई है’ में भी मनीषा ने भूमिका निभाई है। मनीषा इस महीने अलग अंदाज में अभिनय करेंगी। मनीषा का कहना है कि उसके माता-पिता ने हर कदम पर उनका साथ दिया है। माता-पिता का साथ और उनका आशीर्वाद ही है जिसने मुझे यहां तक पहुंचा दिया और मेहनत करने पर सारे काम आसान हो जाते हैं। मनीषा सिंह की वेब सीरिज भी अगस्त, सितंबर तक आने वाली है।

— संजीव ठाकुर,  नोहराधार

मुलाकात :  भाग्य से ज्यादा मेहनत और कर्मठता पर विश्वास

आप अब तक के सफर में खुद को कहां देखती हैं ?

मुझे लगता है यह मेरी शुरुआत है। अभी मुझे और मेहनत करनी है और अभी काफी आगे जाना है। मैं खुश नसीब हूं कि आज मुझे सब लोग पहचाने लगे हैं ।

क्या भाग्य आपके लक्ष्य की रेखा है ?

मैं भाग्य से ज्यादा मेहनत और कर्मठता पर विश्वास करती हूं।

गांव से छोटे पर्दे तक पहुंचने के पीछे आपके लिए  सबसे बड़ा प्रोत्साहन या जीवन का आदर्श क्या है?

मुझे जो प्रोत्साहन मिला है मेरी मां व मेरे पिता जी से मिला है, जिन्होंने मुझे यहां तक पहुंचाया है। मैं समझती हूं कि सभी लोगों के लिए अपने मां-बाप आदर्श होते हैं

आपके भीतर कोई एक खूबी जो सिर्फ मनीषा की अपनी है ?

मुझे चुनौतियां पसंद हैं तथा मैं निर्भिरता से कार्य करती हूं।

अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि?

मेरी सबसे बड़ी उपलब्धि यह है कि मुझे छोटी उम्र में इतना बड़ा प्लेटफोर्म मिला।  मैंने नहीं सोंचा था कि अभी मुझे सीरियल में अभिनय करने का मौका मिलेगा, परंतु विश्वास जरूर था। जीवन जिंदा दिली का नाम तथा हमेशा कुछ नया करने का अवसर।

खुद से जब प्रतियोगिता करती हो तो फैसला कैसे लेती हैं?

मैं प्रतियोगिता के लिए कार्य करती हूं और सफलता स्वयं करीब आ जाती है।

‘इश्कबाज’ या किसी अन्य सीरियल के सेट पर जो सीखा?

मैंने सेट पर बहुत कुछ सीखा। सेट पर नई-नई टेक्नोलॉजी होती है। मैंने थियेटरों में भी काम किया है। थियेटर में एक बार में शूट होता है सीरियल में या फिल्मों में बार-बार शॉट देने पड़ते हैं, इसमें पहले इम्प्रेशन अंत तक चाहिए होता है।

अब आप भूमिकाओं में कितना परिपक्व हो चुकी हैं?

अभी मुझे बहुत कुछ सीखना है मैं अभी अपने कार्य में परिपक्व नहीं, हूं मगर मुझे इस उम्र में विश्वास आ गया है तो आने वाले समय में जल्दी ही अपने कार्य में पक्की हो जाऊंगी।

ऐसा कौन सा रोल है जिसे आप करना चाहती हैं?

मैं वेब सीरिज में काम करने वाली हूं इसके लिए मैं बहुत ज्यादा उत्साहित हूं। वेब श्रृंखला स्क्रिप्टेड वीडिओ की एक श्रृंखला है मैं ऐसा ही अभिनय पसंद करती हूं।

कंगना रणौत ने फिल्मी दुनिया में जो मुकाम बनाया है उसे कैसे देखती हैं ?

कंगना ने हम सब के लिए मार्ग प्रशस्त किया है। सिनेमा जगत में उनके जीवन में बहुत उतार-चड़ाव आए थे, मगर आज कंगना सफल अभिनेत्रियों में शुमार हैं। उनको मैं दिल से स्ल्युट करती हूं

अपने भीतर मीडिया सरोकारों तथा शैक्षणिक उपाधि का प्रभाव कितना पाती हैं?

मैं मीडिया सरोकार को मानती हूं मैंने मीडिया में उपाधि ली है जो मेरे सिनेमा में भी बहुत काम आई है। अभी मीडिया की पढ़ाई जारी है इसमें मास्टर डिग्री लेना चाहती हूं ।

हिमाचली बालाओं को संदेश?

हिमाचल में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है आवश्यकता है अपने हुनर को पहचानने की तथा हिम्मत और हौसले से उसे पाने की इच्छाशक्ति की। मुश्किल  कुछ नहीं होता काम करने का जज्बा होना चाहिए।

कोई पहाड़ी गाना जो आपके दिल के पास है।  खुद  को हिमाचली किस तरह साबित करती हैं तथा इस पक्ष को कैसे रखती हैं?

मेरा पहाड़ी गाना दोडू दोए थेइ, डूंगे नालुये डूंगे नालुये, मेरा पसंदीदा गाना है, जिसे मैं हमेशा गुनगुनाती रहती हूं। हिमाचल मेरी मातृ भूमि है मैंने अपने प्रारंभिक शिक्षा यहीं से प्राप्त की है। मैं यहां की मिट्टी से जुड़ी हूं तथा मुझे प्रदेश एवं प्रदेशवासियों से अत्यंत स्नेह है ।


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