आदतें और संकल्प

By: Feb 23rd, 2019 12:04 am

श्रीश्री रवि शंकर

व्यसन (आदत) से मुक्ति कैसे पाई जाए? जो लोग अपनी आदतों से मुक्ति पाना चाहते हैं,उनके लिए यह एक बड़ा प्रश्न है। हम आदतों से मुक्ति चाहते हैं क्योंकि ये हमें पीड़ा देती है और बंधन में बांधती है। व्यसन हमें कष्ट देते हैं और सीमित करते हैं, जबकि जीवन उन्मुक्तता चाहता है। जब जीवन मुक्ति चाहता है और आत्मा को पता नहीं होता कि कैसे मुक्त हुआ जाए, तो वह जीवन भर मुक्ति की चाह में भटकती रहती है। संकल्प (प्रतिज्ञा) आदतों से मुक्ति पाने का एक साधन है। इसे संयम के रूप में भी जाना जाता है। हम सब में कुछ मात्रा में संयम होता है। संकल्प समयबद्ध होना चाहिए। इससे हम सदाचारी बनेंगे और हठधर्मिता से बचेंगे। स्थान एवं समय को ध्यान में रख कर संकल्प (प्रतिज्ञा) लें। जब मन बेकार के विचारों में अटकता है, तो दो बातें होती हैं। पहली यह कि पुरानी बातें मन में आती हैं और हम उनसे हतोत्साहित हो जाते हैं, अपने आप को दोष देने लगते हैं साथ ही महसूस करते हैं कि हमने कोई उन्नति नहीं की है।

जबकि दूसरी बात में हम उन्हें संयम के लिए एक अवसर के रूप में देखते हैं और अच्छा महसूस करते हैं। संयम के बिना जीवन प्रसन्न नहीं रहेगा और बीमारियां हमको घेर लेंगी। जैसे कि हमें पता है कि एक बार में हमें तीन आइसक्रीम नहीं खानी चाहिए या रोज आइसक्रीम नहीं खानी चाहिए अन्यथा हम बीमार पड़ सकते हैं। जब जीवन में जिंदादिली न हो या जीवन रसहीन हो जाता है तो हमारी आदतें हमें बांध सी देती हैं, लेकिन जब हमारे जीवन में एक दिशा/उद्देश्य हो, तो संयम के माध्यम से हम अपनी आदतों से ऊपर उठ सकते हैं।

स्थान एवं समय को ध्यान में रख कर संकल्प लें। उदाहरण के लिए मान लें कि किसी को सिगरेट पीने की लत है और वह कहे कि मैं सिगरेट छोड़ दूंगा,परंतु वह ऐसा नहीं कर पा रहा हो, तो उसे एक समयबद्ध संकल्प (प्रतिज्ञा) जैसे कि तीन महीने या 90 दिन का संकल्प लेना चाहिए। इसी प्रकार यदि किसी को कोसने या बात-बात पर कसम खाने की आदत है, तो वह 10 दिनों तक बुरा न बोलने का संकल्प (प्रतिज्ञा) ले लें, जीवनभर के लिए संकल्प न लें, नहीं तो वह इसे जल्दी ही तोड़ देगा और इस बीच यदि संकल्प (प्रतिज्ञा) टूट भी जाए तो चिंता न करें। फिर से आरंभ कर दें। इसके बाद धीरे-धीरे इसकी अवधि बढ़ाते रहें जब तक कि यह हमारी प्रकृति न बन जाए। ऐसी सभी आदतें जो हमें कष्ट देती हैं, उन्हें संयमपूर्वक संकल्प से बांध दें। तो वे सभी लोग जो आज सत्संग में आए हैं, एक समयबद्ध संकल्प (प्रतिज्ञा) ले लें और इस पर नजर भी रखें। यदि हम अपने संकल्प को बीच में तोड़ देते हैं, तो इसकी तिथि एवं समय को ध्यान में रखें और अगले सत्संग में इस पर चर्चा करें एवं दोबारा फिर से आरंभ कर दें। संयम के दौरान कष्ट देने वाली आदतों को भी संकल्प में बांध लें।


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App