आदित्य हृदय स्तोत्र

By: Feb 23rd, 2019 12:07 am

वाल्मीकि रामायण के अनुसार ‘आदित्य हृदय स्तोत्र’ अगस्त्य ऋषि द्वारा भगवान् श्री राम को युद्ध में रावण पर विजय प्राप्ति हेतु दिया गया था। आदित्य हृदय स्तोत्र का नित्य पाठ जीवन के अनेक कष्टों का एकमात्र निवारण है। इसके नियमित पाठ से मानसिक कष्ट, हृदय रोग, तनाव, शत्रु कष्ट और असफलताओं पर विजय प्राप्त की जा सकती है। इस स्तोत्र में सूर्य देव की निष्ठापूर्वक उपासना करते हुए उनसे विजयी मार्ग पर ले जाने का अनुरोध है। आदित्य हृदय स्तोत्र सभी प्रकार के पापों, कष्टों और शत्रुओं से मुक्ति कराने वाला, सर्व कल्याणकारी, आयु, ऊर्जा और प्रतिष्ठा बढ़ाने वाला अति मंगलकारी विजय स्तोत्र है।

विनियोग

ओउम अस्य आदित्यहृदय स्तोत्रस्य अगस्त्यऋषिः अनुष्टुप्छंदः आदित्यहृदयभूतो

भगवान् ब्रह्मा देवता निरस्ताशेषविघ्नतया ब्रह्माविद्यासिद्धौ सर्वत्र जयसिद्धौ च विनियोगः

पूर्व पिठिता

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिंतया स्थितम्।

रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्॥ 1॥

दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्। उपगम्याब्रवीद् राममगस्त्यो भगवांस्तदा॥ 2॥

राम राम महाबाहो श्रृणु गुह्मं सनातनम्।

येन सर्वानरीन वत्स समरे विजयिष्यसे॥ 3॥

आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्।

जयावहं जपं नित्यमक्षयं परमं शिवम्॥ 4॥

सर्वमंगलमागल्यं सर्वपापप्रणाशनम्। चिन्ताशोकप्रशमनमायुर्वर्धनमुत्तमम्॥ 5॥

-क्रमशः


Keep watching our YouTube Channel ‘Divya Himachal TV’. Also,  Download our Android App