जीवन का महत्त्व

By: Feb 23rd, 2019 12:04 am

सदगुरु  जग्गी वासुदेव

मैं भारत में चारों ओर, इधर से उधर घूमा। किसी खास स्थान पर जाने के लिए नहीं, मुझे बस हर एक इलाका देखना था। मेरे लिए सब कुछ चित्र रूप ही होता है। मैं कभी, कुछ भी शब्द में नहीं सोचता था। मैं बस सभी इलाके देखना चाहता था,जमीन के हर हिस्से का हर टुकड़ा। कुछ साल पहले, मैं हिमालय के इलाके में एक बार फिर गया और मैं गाड़ी चला रहा था। किसी ने मुझे एक तेज कार दी थी, तो मैं पहाड़ों पर 150 से 160 किमी. प्रति घंटे की गति से चला रहा था। लोग मुझे कहते थे कि गुरु, आप खुद को मार ही डालेंगे। तब मैंने उन्हें बताया, इन रास्तों का हर मोड़ मेरे दिमाग में बसा है। आंख बंद कर के भी गाड़ी चला सकता हूं। ये यात्राएं संभवतः मेरे जीवन की सबसे ज्यादा कीमती हिस्सा थीं क्योंकि मैं बिना किसी खास मकसद के बस घूमता रहता था। मैं जो भी पढ़ता था वह भी बिना किसी मकसद के पढ़ता था। मैं जब बड़ा हो रहा था, तो अपनी किताबें बेच कर अपनी पसंद के उपन्यास ले आता था। जब तक परीक्षाएं न आ जाएं, मैं कभी किताबें देखता भी नहीं था। हालांकि यहां ऐसी बातें करना गलत है, क्योंकि यहां बहुत सारे बच्चे भी हैं। टेक्नोलॉजी कोई खराब चीज नहीं है। दुर्भाग्यवश लोग ऐसी बातें करते रहते हैं, जिनसे लगता है कि टेक्नोलॉजी हमारे जीवन को बिगाड़ रही है। सिर्फ  टेक्नोलॉजी ही नहीं,किसी भी चीज का गैर जिम्मेदाराना इस्तेमाल हमारे जीवन को बिगाड़ेगा। अपने दिनों में, आप और मैं,जब हम बच्चे थे, तब हम शारीरिक रूप से बहुत ही एक्टिव रहते थे। हम चाहे जो खाते, जितना खाते, फिर भी दुबले-पतले रहते थे। बढ़ती उम्र का कोई भी लड़का या लड़की किसी हाल में मोटे नहीं होते थे, क्योंकि हम हमेशा गतिविधि में लगे रहते थे। मुझे लगता है कि आज के बच्चों के विकास में जो एक बड़ी चीज नहीं है,वो है उनका आसपास के दूसरे जीवन पेड़-पौधे, पशु-पक्षी, और बाकी सभी तरह के जीवन से किसी भी तरह का कोई जुड़ाव है ही नहीं। एक मनुष्य के लिए यह मानना अच्छा नहीं है कि इस धरती पर वही सब कुछ है और दूसरे जीवन का कोई महत्त्व ही नहीं है। स्कूल को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि बच्चों का संबंध प्रकृति से बने।


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