भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान को रोकने के लिए बांध बनाने हेतु पंजाब सरकार ने मांगे 412 करोड़

By: Feb 27th, 2019 5:03 pm

भारत के हिस्से का पानी पाकिस्तान को रोकने के लिए बांध बनाने हेतु पंजाब सरकार ने मांगे 412 करोड़

भारतीय नदियों का पानी पाकिस्तान में जाने से रोकने के लिए पंजाब सरकार ने रावी-उज्ज नदियों के संगम पर मकोरा पत्तर बांध बनाने के लिए केंद्र से 412 करोड़ रुपये मांगे हैं और इसे राष्ट्रीय परियोजना मानने का अनुरोध किया है।पंजाब सरकार की आज यहां जारी बयान के अनुसार केंद्रीय जल संसाधन, सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी से पंजाब के ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा व जल संसाधन मंत्री सुखविंदर सिंह सरकारिया ने दिल्ली में मिलकर यह अनुरोध किया। उन्होंने श्री गडकरी को बताया कि इस बांध के निर्माण से पाकिस्तान को जाने वाला 600 क्यूसेक पानी रोका जा सकेगा अौर इसका इस्तेमाल सिंचाई उद्देश्यों के लिए किया जा सकेगा।श्री गडकरी को बताया गया कि एक सात किलोमीटर लंबा चैनल बनाया जायेगा जो पानी को कलांपुर-रामदास नहर प्रणाली में डालने के लिए इस्तेमाल होगा। इससे एक लाख एकड़ जमीन की सिंचाई हो सकेगी तथा सीमाई क्षेत्र के 100 गांवों व छह नगरों को पेयजल की आपूर्ति की जा सकेगी।दोनों मंत्रियों ने श्री गडकरी से अनुरोध किया कि इसे राष्ट्रीय परियोजना के रूप में मान्यता दी जाए व निधि जारी की जाये ताकि कम से कम समय में पानी पाकिस्तान जाने से रोका जा सके और देश में इस्तेमाल किया जा सके। विज्ञप्ति के अनुसार श्री गडकरी ने परियोजना को सैद्धांतिक सहमति दे दी और राज्य सरकार को विस्तृत परियोजना रिपोर्ट देने को कहा ताकि सभी तकनीकी पहलुओं की जांच की जा सके। मंत्रियों ने श्री गडकरी से अप्पर बारी दोआब कनल परियोजना के विस्तार के बारे में भी चर्चा की जिसके तहत इस समय कुल 5़ 13 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में से 2़ 76 लाख हेक्टेयर जमीन की सिंचाई हो रही है पर परियोजना पूरी होने पर सारी जमीन की सिंचाई की जा सकेगी।

श्री बाजवा और श्री सरकारिया ने केंद्रीय मंत्री से केंद्र निर्मित जम्मू-कटरा एक्सप्रेस हायवे परियोजना अमृतसर-डेरा बाबा नानक और कलानौर से जोड़ने का भी अनुरोध किया तथा कहा कि उससे एक्सप्रेसवे करतारपुर-डेरा बाबा नानक कॉरीडोर से जुड़ जायेगा और उन लाखों श्रद्धालुओं को लाभ होगा जो करतारपुर साहिब जाना चाहेंगे।

केंद्रीय मंत्री ने इस पर भी सैद्धांतिक सहमति दी है तथा अधिकारियों से परियोजना की पिछले व नये प्रस्तावों की तुलनात्मक रिपोर्ट बनाने को कहा है।

 


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