विकासपरक बजट की जरूरत

By: Feb 4th, 2019 12:06 am

अनुज कुमार आचार्य

लेखक, बैजनाथ से हैं

इसी वर्ष जून में सरकार ‘राइजिंग हिमाचल’ नाम से इन्वेस्टर मीट भी आयोजित करने जा रही है। वाइब्रेंट गुजरात की तर्ज पर इस मेगा इवेंट के सफल आयोजन से निस्संदेह देश-विदेश के बड़े निवेशकों के हिमाचल में निवेश करने से हमारी पढ़ी-लिखी शिक्षित युवा पीढ़ी को घर-द्वार पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हों, इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है…

हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर 4 से 18 फरवरी, 2019 तक चलने वाले बजट सत्र के दौरान 09 फरवरी, 2019 को राज्य सरकार का वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए बजट अनुमान पेश करेंगे। मुख्यमंत्री के रूप में जयराम ठाकुर का यह दूसरा बजट होगा। ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आगामी लोकसभा चुनावों के दृष्टिगत यह लोकलुभावन बजट होगा। लिहाजा मुख्यमंत्री के बजट अभिभाषण पर कर्मचारियों सहित प्रदेश के सभी वर्गों की निगाहें रहेंगी कि मुख्यमंत्री के पिटारे से उनके लिए क्या सौगातें निकलती हैं। लेकिन मैं चाहता हूं कि यह विकसित हिमाचल के लिए बजट हो। खुशी की बात है कि हिमाचल प्रदेश की अर्थव्यवस्था भारत वर्ष के अन्य राज्यों के मुकाबले में सबसे तेजी से बढ़ती इकोनॉमी है और यह मुख्यतः बिजली, पर्यटन और कृषि-बागबानी पर केंद्रित है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने वर्ष 2018-19 के लिए 41,440 करोड़ का बजट पेश किया था। प्रदेश के बजट का एक बड़ा हिस्सा वेतन अदायगी पर 11263 करोड़, पेंशन पर 5893 करोड़, ब्याज अदायगी पर 4260 करोड़, ऋण वापसी पर 3184 करोड़, अन्य ऋणों  पर 440 करोड़ और रख-रखाव पर 2741 करोड़ खर्च हो जाता है। लिहाजा विकास कार्यों तथा नई परियोजनाओं के लिए अतिरिक्त धन जुटाना किसी भी वित्त मंत्री के लिए हमेशा टेढ़ी खीर रहा है। प्रदेश के वित्त विभाग ने इस बार भी राज्य के प्रबुद्ध नागरिकों से बजट के लिए सुझाव आमंत्रित किए हैं और प्रत्युत्तर में अभी तक राजस्व बढ़ाने को लेकर 31, व्यय नियंत्रण पर 44, सुशासन में सुधार विषय पर 139 और अन्य मुद्दों पर 708 यानी कुल मिलाकर 922 सुझाव आए हैं।

निस्संदेह इन सुझावों के आलोक में बजट निर्माण में वित्त विभाग को सहूलियत रहेगी। हिमाचल प्रदेश का भौगोलिक स्वरूप पर्वतीय होने के चलते विकास संबंधी कुछ अड़चनें तो हैं, लेकिन हिमाचली नागरिकों के जीवन स्तर में गुणात्मक परिवर्तन हुए हैं। विकास का पहिया कभी नहीं थमता है और विकासशील से विकसित राज्य बनने की चाहत न केवल हिमाचली नागरिकों, बल्कि हमारे राजनेताओं के दिलों दिमाग में हमेशा से ही रहती आई है। इसी वर्ष जून में सरकार ‘राइजिंग हिमाचल’ नाम से इन्वेस्टर मीट भी आयोजित करने जा रही है। वाइब्रेंट गुजरात की तर्ज पर इस मेगा इवेंट के सफल आयोजन से निस्संदेह देश-विदेश के बड़े निवेशकों के हिमाचल में निवेश करने से हमारी पढ़ी-लिखी शिक्षित युवा पीढ़ी को घर-द्वार पर रोजगार के अवसर उपलब्ध हों, इससे अच्छी बात और क्या हो सकती है। हिमाचल प्रदेश के उद्योग विभाग द्वारा बद्दी के बाद कांगड़ा में इंडस्ट्री हब तैयार करने के लिए 7868 बीघा जमीन का लैंड बैंक सहित कुल 11,668 बीघा का लैंड बैंक चयनित करना एक सराहनीय उपलब्धि मानी जाएगी। मुख्यमंत्री जयराम ने अपने पिछले वित्त वर्ष के बजट में 28 नई योजनाओं की घोषणा की थी। आज जरूरत इस बात की भी है कि इन योजनाओं को किस तरह से धरातल पर लागू किया गया है, इसकी मानिटरिंग की जाए और हर बड़ी योजना का जिम्मा किसी उच्च अधिकारी को नामांकित करके उसके समयबद्ध क्रियान्वयन की जवाबदेही तय होनी चाहिए। सबसे बढ़कर सरकार द्वारा लागू की जाने वाली योजनाओं का लाभ आम जनता तक पहुंचे, इसके समुचित प्रचार-प्रसार की व्यवस्था भी होनी चाहिए। हिमाचल सरकार ने पिछले एक वर्ष में केंद्र से 9689 करोड़ रुपए की छह प्रमुख बाह्य सहायता परियोजनाएं भी प्राप्त की हैं। आशा है इन परियोजनाओं के समयबद्ध  क्रियान्वयन से रोजगार एवं राजस्व बढ़ाने के नए द्वार खुलेंगे। इसके अलावा प्रदेश के विकास को अमलीजामा पहनाने वाले कर्मचारियों को केंद्र की तर्ज पर सातवें वेतन आयोग की सिफारिशों को सीधे हिमाचल में लागू करने तथा न्यू पेंशन स्कीम को बदलकर पुरानी पेंशन प्रणाली को लागू करने की मांग पर सरकार को जरूरी पहल करने की आवश्यकता है।

आज बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग हिमाचल में आकर छोटे-छोटे काम-धंधों से चोखे रुपए कमा रहे हैं और हमारी बेरोजगार युवा पीढ़ी बाहर जाकर रोजगार ढूंढ रही है। मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर स्वयं इस दिशा में प्रयत्नशील हैं कि हमारे युवा स्वरोजगार द्वारा अपना व्यवसाय शुरू करें। इसके लिए सरकार ने 80 करोड़ रुपए की लागत से मुख्यमंत्री स्वावलंबन योजना शुरू की है और हमारे युवाओं को इन योजनाओं से लाभ उठाना चाहिए। आईपीएच विभाग में 16127 पदों के डाइंग कैडर में घोषित होना भी कहीं न कहीं विभागीय कामकाज की रफ्तार को धीमा करता है। इसलिए सड़क,  बिजली, पानी, पर्यटन जैसी सेवाओं वाले विभागों में नई भर्तियों की तत्काल आवश्यकता है। प्रायः हिमाचली लोगों को अपने जरूरी कार्यों के लिए अथवा बच्चों की प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए चंडीगढ़, दिल्ली और शिमला जाने पर वहां  रहने-खाने और रात्रि निवास संबंधी दिक्कतों से दो-चार होना पड़ता है। मेरा सरकार को सुझाव है कि यदि इन जगहों पर सस्ती दरों पर आवासीय भवनों के निर्माण के लिए धनराशि की व्यवस्था की जाए, तो यह हिमाचली लोगों के लिए एक बड़ा तोहफा होगा। वैसे भी दिल्ली स्थित हिमाचल भवन आम हिमाचलियों की पहुंच से बाहर है, तो वहीं चंडीगढ़, शिमला के पर्यटन विभाग के होटल बेहद महंगे हैं। हिमाचल सरकार का जनमंच कार्यक्रम भी काफी सफल रहा है।

मुख्यमंत्री जयराम से यह अपेक्षा है कि वह स्वयं अथवा उनकी मीडिया मैनेजमेंट टीम आम लोगों की समस्याओं, सुझावों का संज्ञान लेते हुए न केवल उनका निवारण और समाधान करेगी, अपितु प्रत्युत्तर में संबंधित व्यक्ति को प्रतिक्रिया स्वरूप सूचित भी किया जाएगा कि आप की समस्या पर गौर फरमाई जा रही है। 2020 से हिमाचल प्रदेश अपने पूर्ण राज्यत्व के स्वर्ण जयंती वर्ष में प्रवेश करेगा। उम्मीद है कि स्वर्ण जयंती वर्ष में भव्य कार्यक्रमों की रूपरेखा का जिक्र मुख्यमंत्री जयराम अपने बजट भाषण में करेंगे।


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