आचार संहिता में फंसा शिक्षा बजट

By: Mar 12th, 2019 12:01 am

शिमला – लोकसभा चुनाव के मध्यनजर आचार संहिता लगने के बाद शिक्षा के बजट पर भी ब्रेक लग गई है। केंद्र सरकार से समग्र शिक्षा अभियान के तहत अभी तक केवल एक ही इंस्टॉलमेंट मिली है। इसमें समग्र शिक्षा के तहत हिमाचल को 810 करोड़ में से केवल लगभग 113 करोड़ तक का ही बजट मिल पाया है। हालांकि हाल ही में केंद्र सरकार ने हिमाचल सरकार को आश्वस्त किया था कि आचार संहिता से पहले एडवांस बजट प्रदेश को मिल जाएगा। बावजूद इसके हिमाचल को समग्र शिक्षा के तहत इस वित्त वर्ष में स्वीकृत हुए बजट की अंतिम किस्त भी जारी नहीं हो पाई है।  अब शिक्षकों के वेतन के अलावा सरकारी स्कूलों में आईसीटी लैब स्थापित करने के प्रोजेक्ट पर भी अब विराम लग जाएगा। इस तरह से अब आचार संहिता तक शिक्षा विभाग के भी कई विकास कार्य व नई योजनाओं को शुरू करने के लिए विभाग को मई तक का इंतजार करना होगा। जानकारी के अनुसार शिक्षा विभाग चुनाव आयोग से कई महत्वपूर्ण कार्यो के लिए परमिशन भी मांग सकते हैं। उल्लेखनीय है कि मानव संसाधन मंत्रालय ने प्रदेश को बीते साल स्वीकृत बजट की पूरी राशि अभी जारी नहीं की है। इस समय केंद्र के पास प्रदेश का 400 करोड़ से ज्यादा बजट पेंडिंग पड़ा है। हाल ही में केंद्र ने प्रदेश को पूरी हुई योजनाओं के यूटिलाइजेशन सर्टिफिकेट देने कोे कहा था। बता दें कि अगर इस समय केंद्र से विभाग को बजट देरी से मिला है तो इसका कारण विभाग के अधिकारी भी हैं। समग्र शिक्षा अभियान के तहत शिक्षा विभाग ने केंद्र सरकार को यूसी समय पर नहीं भेजा था। यही वजह रही कि केंद्र सरकार ने टीचर एजुकेशन के बजट को भी लैप्स कर दिया था। इस बार समग्र शिक्षा की प्रोजेक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक भी जून जुलाई में ही होना तय है। ऐसे में अब अगर समग्र शिक्षा के तहत प्रोजैक्ट अप्रूवल बोर्ड की बैठक होती भी है तो नए वित्त वर्ष का ही बजट सरकार को मिलेगा। वर्ष 2018-2019 के तहत स्वीकृत हुए 810 करोड़ में से सरकार को केवल 30 प्रतिशत ही बजट से ही संतुष्ट होना पड़ेगा।

कम बजट से काम

देश में आम चुनाव होने के बाद ही एमएचआरडी की प्रोजेक्ट एप्रुवल बोर्ड (पीएबी)की बैठक आयोजित होगी। हालांकि एसएसए के तहत प्रदेश को इस दफा कितना बजट मिलेगा, इसको लेकर कुछ भी स्पष्ट नहीं किया गया था। फिलहाल चुनाव तक कम बजट में ही शिक्षा व्यव्स्था को मई तक विभाग के अधिकारियों को सुचारू रखनी होगी। ऐसे में यह अहम रहेगा कि शिक्षकों के वेतन के की समस्या को किस तरह से विभाग संभालता है।


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